लोगों के हृदयों में मेरे लिए कभी भी जगह नहीं रही है। जब मैं वास्तव में लोगों की खोज करता हूँ, तो वे अपनी आँखों को भींच कर बंद कर लेते हैं और मेरे कार्यकलापों की अनदेखी करते हैं, मानो कि मैं जो कुछ भी करता हूँ वह उन्हें खुश करने का एक प्रयास है, जिसके परिणामस्वरूप वे सदैव मेरे कार्यकलापों से घृणा करते हैं। यह ऐसा है मानो कि मुझमें किसी आत्म-जागरूकता का अभाव हो: मैं सदैव मनुष्य के सामने स्वयं को दिखाता हूँ, जो मनुष्य में क्रोध का कारण बनता है, जो कि "ईमानदार और धर्मी" है।
फिर भी इस तरह की प्रतिकूल परिस्थितियों में, मैं सहन करता हूँ और अपना कार्य जारी रखता हूँ। इस लिए, मैं कहता हूँ कि मैंने मानव अनुभव के मीठे, खट्टे, कड़वे और तीखे स्वादों का अनुभव किया है, कि हवा और बारिश के बीच, मैंने परिवार के उत्पीड़न का अनुभव किया है, जीवन के उतार-चढ़ाव का अनुभव किया है, और शरीर की जुदाई की पीड़ा का अनुभव किया है। हालाँकि, जब मैं पृथ्वी पर आया, तो मैंने उनके लिए जिन कठिनाइयों का सामना किया उसकी वजह से मेरा स्वागत करने के बजाय, लोगों ने "नम्रतापूर्वक" मेरी अच्छे इरादों को अस्वीकार कर दिया। कैसे मुझे इससे पीड़ा नहीं हो सकती थी? मैं कैसे व्यथित नहीं हो सकता था? क्या ऐसा हो सकता है कि इस सब को इस तरह से समाप्त करने के लिए मैं देह बन गया? मनुष्य मुझे प्यार क्यों नहीं करता है? मेरे प्रेम को मनुष्य की घृणा से क्यों चुकाया गया है? क्या ऐसा हो सकता है कि मेरा इस तरह से पीड़ित होना अपेक्षित है? लोगों ने पृथ्वी पर मेरी कठिनाई की वजह से सहानुभूति के आँसू बहाए हैं, और मेरे दुर्भाग्य के अन्याय पर प्रचंड शिकायत की है। फिर भी किसने सचमुच मेरे हृदय को जाना है? कौन कभी मेरी भावनाओं को देख सकता है? किसी समय मनुष्य में मेरे प्रति गहरा स्नेह था, और किसी समय अपने सपनों में प्रायः मेरे लिए तरसता था—किन्तु पृथ्वी पर रहने वाले लोग स्वर्ग में मेरी इच्छा कैसे समझ सकते थे? यद्यपि किसी समय लोगों ने मेरी दुःख की भावनाओं को महसूस किया था, किन्तु एक साथी-पीड़ित के रूप में किसे सदैव मेरे मनस्ताप के लिए सहानुभूति रही है? क्या ऐसा हो सकता है कि पृथ्वी पर लोगों का विवेक मेरे दुःखी हृदय को द्रवित कर सकता है और बदल सकता है? क्या पृथ्वी पर रहने वाले लोग मुझे अपने हृदयों की अकथनीय कठिनाई को बताने में असमर्थ हैं? आत्माएँ और पवित्रात्मा किसी समय एक दूसरे पर निर्भर हुआ करती थीं, किन्तु देह के अवरोधों के कारण, लोगों के मस्तिष्क ने "नियंत्रण खो दिय़ा"। मैंने एक बार लोगों को अपने सामने आने की याद दिलायी—किन्तु मेरी पुकारें लोगों से उसे पूरा करने का कारण नहीं बनी जो मैंने कहा था; वे आँसुओं से भरी आँखें से, केवल आसमान में देखते थे, मानो कि वे अकथनीय कठिनाई को सहन कर रहे हों, मानो कि उनके रास्ते में कोई चीज खड़ी हो। इस लिए, उन्होंने अपने हाथों को जोड़ लिया और वे मेरे लिए याचना में स्वर्ग के नीचे झुक गए। क्योंकि मैं दयालु हूँ, इसलिए मैं मनुष्य के बीच अपने आशीष प्रदान करता हूँ, और पलक झपकते ही, मनुष्य के बीच मेरे व्यक्तिगत आगमन का क्षण आ जाता है—फिर भी मनुष्य स्वर्ग के लिए अपनी शपथ को बहुत समय पहले भूल चुका है। क्या यह मनुष्य की वास्तविक अवज्ञा नहीं है? क्यों मनुष्य सदैव "विस्मरण" से ग्रस्त है? क्या मैंने उसे छुरा भोंका है? क्या मैंने उसके शरीर को मार गिराया है? मैं मनुष्य को अपने हृदय के भीतर की भावनाएँ कहता हूँ, और वह सदैव मुझसे क्यों बचता है? लोगों की स्मृतियों में, ऐसा लगता है कि उन्होंने कोई चीज खो दी है और यह कहीं नहीं मिल रही है, बल्कि यह भी मानो उनकी स्मृतियाँ ग़लत हैं। इस प्रकार, लोग अपने जीवन में सदैव भुलक्कड़पन से पीड़ित रहते हैं, और समस्त मानवजाति के जीवन के दिन अव्यवस्था में रहते हैं। फिर भी कोई भी इसे प्रशासित नहीं करता है, लोग कुछ नहीं बस एक-दूसरे को कुचलते हैं, और एक-दूसरे की हत्या करते हैं, जो आज विनाशकारी पराजय की अवस्था का कारण बना है, और ब्रह्मांड के नीचे सभी को, उद्धार के किसी अवसर के बिना, गंदे पानी और कीचड़ में गिराने का कारण बना है।
जब मैं सभी लोगों के बीच आया तभी वह क्षण था जब लोग मेरे प्रति वफादार हो गए। इस समय, बड़े लाल अजगर ने भी लोगों पर अपने हत्यारे हाथों को रखना शुरू कर दिया। मैंने "आमंत्रण" स्वीकार कर लिया और मनुष्य से "आमंत्रण पत्र" ले आया जब मैं मनुष्यों के बीच "भोज की मेज पर बैठने" के लिए आया। जब उन्होंने मुझे देखा, तो लोगों ने मुझ पर कोई ध्यान नहीं दिया, क्योंकि मैंने स्वयं को भव्य वस्त्रों से नहीं सजाया हुआ था और मनुष्य के साथ मेज पर बैठने के लिए केवल अपना "पहचान पत्र" लाया था। मेरे चेहरे पर कोई महँगा श्रृंगार नहीं था, मेरे सिर पर कोई मुकुट नहीं था, और मैंने अपने पैरों में घर पर बने मात्र साधारण जूते की एक जोड़ी पहनी हुई थी। लोगों को जिस बात ने सबसे अधिक निराश किया वह था मेरे मुँह पर लिपस्टिक का अभाव। इसके अलावा, मैंने विनम्र वचन नहीं बोले, और मेरी जीभ किसी पहले से तैयार लेखक की कलम नहीं थी; इसके बजाय, मेरे प्रत्येक वचन ने मनुष्यों के अंतरतम हृदय को चीर दिया, जिससे लोगों पर मेरे मुँह का एक बहुत अधिक "अनुकूल" प्रभाव पड़ा। लोगों के लिए यह पूर्वगामी मुझे "विशेष व्यवहार" देने के लिए पर्याप्त था, और इस प्रकार उन्होंने मेरे साथ देहात से आए किसी ग्रामीण साथी के रूप में व्यवहार किया, जो अंतर्दृष्टि या ज्ञान से रहित था। फिर भी जब हर किसी ने "पैसों के उपहार" सौंप दिए, तब भी लोगों ने मुझे सम्माननीय नहीं माना, बल्कि, कम गुस्से के साथ, अपनी ऊँची एड़ी के जूतों को घसीटते हुए बिना, किसी सम्मान के मात्र मेरे सामने आए। जब मेरा हाथ पसरा, तो वे तुरंत हैरान हो गए, उन्होंने घुटने टेक दिए, और वे बड़ी जय-जयकार करने लगे। उन्होंने मेरे सारे "मौद्रिक उपहार" एकत्र कर लिए। क्योंकि धनराशि बहुत बड़ी थी, उन्होंने तुरन्त मुझे एक करोड़पति समझा और मेरी सहमति के बिना मेरे शरीर के फटीचर कपड़ों को फाड़ डाला, उन्हें नए कपड़ों से बदल दिया—फिर भी इससे मुझे खुशी नहीं हुई। क्योंकि मैं इतने आसान जीवन का अभ्यस्त नहीं था, और इस "प्रथम श्रेणी" के व्यवहार को तुच्छ समझता था, क्योंकि मैं पवित्र घर में पैदा हुआ था, और, यह कहा जा सकता है, क्योंकि मैं "गरीबी" में पैदा हुआ था, इसलिए मैं विलासिता के जीवन का आदी नहीं था जिसमें मैं अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने के सभी काम दूसरों से करवाने की अपेक्षा करता। मेरी केवल इतनी ही इच्छा है कि लोग मेरे हृदय की भावनाओं को समझ सकें, कि वे मेरे मुँह से असहज सच्चाई को स्वीकार करने के लिए थोड़ी कठिनाई सहन कर सकें। क्योंकि मैं कभी भी सिद्धांत की बात करने में समर्थ नहीं रहा हूँ, या लोगों के साथ सम्बद्ध होने के लिए उनके सामाजिक होने के रहस्यों का उपयोग करने में सक्षम नहीं रहा हूँ, और क्योंकि मैं लोगों की मुखाकृति या उनके मनोविज्ञान के अनुसार अपने वचनों को अनुकूल करने में अक्षम हूँ, इसलिए लोगों ने सदैव मुझसे घृणा की है, मुझे पारस्परिक क्रिया के अयोग्य समझा है, और कहा है कि मेरी भाषा तीखी है और सदैव लोगों को चोट पहुँचाती है। फिर भी मेरे पास कोई विकल्प नहीं है: मैंने एक बार मनुष्य के मनोविज्ञान का अध्ययन किया, एक बार मनुष्य के जीवन दर्शन की नकल की, और मनुष्य की भाषा सीखने के लिए एक बार "भाषा महाविद्यालय" में गया, ताकि मैं उस साधन निपुण हो जाऊँ जिससे लोग बोलते हैं, और वह बोलूँ जो उनकी मुखाकृति के अनुकूल हो—किन्तु यद्यपि मैंने बहुत प्रयास किए, और कई "विशेषज्ञों" के पास गया, फिर भी यह सब कुछ काम नहीं आया। मुझ में कभी भी मानवता की कोई चीज नहीं रही है। इन सभी वर्षों में, मेरे प्रयासों ने कभी भी जरा से भी प्रभाव का परिणाम नहीं दिया है, मुझे मनुष्य की भाषा में थोड़ी सी भी योग्यता नहीं मिली है। इस प्रकार, मनुष्य के वचन कि "कठिन परिश्रम का फल मिलता है" मेरे द्वारा "प्रतिबिंबित" होते हैं, और परिणामस्वरूप, ये वचन पृथ्वी पर समाप्त होते हैं। लोगों द्वारा इसे महसूस किए बिना, पर्याप्त रूप से यह पुष्टि करते हुए कि ऐसे वचन असमर्थनीय हैं, इस सूक्ति को स्वर्ग से परमेश्वर द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है। इस प्रकार मैं मनुष्य से क्षमा माँगता हूँ, लेकिन कुछ नहीं किया जा सकता है—किसने मुझे इतना "बेवकूफ" बनाया है? मैं मनुष्य की भाषा सीखने में, जीवन दर्शन में कुशल बनने में, लोगों के साथ सामाजिक होने में अक्षम हूँ। मैं केवल लोगों को धैर्यवान बनने, क्रोध को अपने हृदयों में दमन करने, मेरी वजह से अपने आप को चोट नहीं पहुँचाने की सलाह देता हूँ। किसने हमसे पारस्परिक क्रिया करवाई? किसने हमें इस क्षण में मिलवाया? किसने हमसे आदर्शों को साझा करवाया है?
मेरा स्वभाव मेरे सभी वचनों में सर्वत्र चलता है, फिर भी लोग इसे मेरे वचनों में समझने में अक्षम हैं। जो मैं कहता हूँ वे केवल उसकी बाल की खाल निकालते हैं—और इसका क्या फायदा है? क्या मेरे बारे में उनकी धारणाएँ उन्हें परिपूर्ण बनाती हैं? क्या पृथ्वी की चीजें मेरी इच्छा को निष्पादित कर सकती हैं? मैं लोगों को सिखाने का प्रयास करता रहा था कि मेरे वचनों को कैसे बोला जाए, लेकिन यह ऐसा था मानो कि मनुष्य अवाक् हो गया था, और वह सीखने में कभी भी समर्थ नहीं था कि मेरे वचनों को उस प्रकार से कैसे बोला जाए जैसे मेरी इच्छा है। मैंने उसे मुँह-से-मुँह लगा कर सिखाया, फिर भी वह कभी भी सीखने में समर्थ नहीं हुआ। केवल इसके बाद ही मैंने एक नई खोज की: पृथ्वी पर रहने वाले लोग स्वर्ग के वचनों को कैसे बोल सकते हैं? क्या इससे प्रकृति के नियमों का उल्लंघन नहीं होता है? किन्तु, मेरे प्रति लोगों के उत्साह और जिज्ञासा की वजह से, मैंने मनुष्य पर कार्य के दूसरे हिस्से को आरंभ किया। मैंने मनुष्य को उसकी कमी की वजह से कभी भी शर्मिंदा नहीं किया है, बल्कि इसके बजाय मनुष्य को उसके पास जिस चीज की कमी है उसके अनुसार प्रदान करता हूँ। यह केवल इसीलिए है कि लोगों में मेरे बारे में कुछ-कुछ अनुकूल छाप है, और मैं लोगों को एक बार फिर से इकट्ठा करने के लिए इस अवसर का उपयोग करता हूँ, ताकि वे मेरी सम्पत्तियों के अन्य हिस्से का आनंद ले सकें। इस समय, लोग एक बार फिर से, आसमान में गुलाबी बादलों के आसपास बहती हुई खुशी, प्रसन्नता और हँसी में डूबे हुए हैं। मैं मनुष्य का हृदय खोलता हूँ, और मनुष्य को तुरंत नयी जीवन-शक्ति मिल जाती है, और वह मुझसे अब और छिपने का अनिच्छुक है, क्योंकि उसने शहद के मीठे स्वाद को चख लिया है, और इसलिए वह अपने समस्त कबाड़ को बदलने के लिए ले आता है—मानो कि मेरे पास कोई कचरा संग्रह स्थल, या एक अपशिष्ट प्रबंधन केन्द्र हो। इस प्रकार, डाले गए "विज्ञापनों" को देखने के बाद, लोग मेरे सामने आते हैं और उत्सुकता से भाग लेते हैं, क्योंकि वे ऐसा सोचते प्रतीत होते हैं कि वे कुछ "स्मृति चिन्हों" को प्राप्त कर सकते हैं, इस लिए उनमें से प्रत्येक प्रत्येक उन कार्यक्रमों में हिस्सा लेने का विश्वास करने लगता है जिन्हें मैंने निर्धारित किया है। इस समय वे घाटे के बारे में भयभीत नहीं हैं, क्योंकि इन गतिविधियों की "पूँजी" बड़ी नहीं है, और इसलिए वे भागीदारी का जोखिम लेने का साहस करते हैं। यदि भाग लेने से प्राप्त होने वाला कोई स्मृति चिन्ह नहीं होता, तो लोग कार्यक्षेत्र छोड़कर अपने पैसे वापस करने की माँग करते, और मुझ पर बकाया "ब्याज" की गणना भी करते। ऐसा इसलिए है क्योंकि कार्य की व्यवस्था करने के लिए "वरिष्ठ संवर्ग" के व्यक्तिगत रूप से "देहात की और जाने" के साथ, आज के जीवन स्तर "समृद्धि के शालीन स्तर" तक पहुँचते हुए और "आधुनिकीकरण" को प्राप्त करते हुए, बढ़ गए हैं, इस कारण लोगों का विश्वास कई बार तुरंत कई गुना हो गया है—और क्योंकि उनका "गठन" बेहतर और बेहतर होता जा रहा है, इसलिए वे मुझे प्रशंसा से देखते हैं, और मेरा विश्वास प्राप्त करने के लिए मेरे साथ संलग्न होने के इच्छुक हैं।
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