सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन |
मार्ग... (8)
जब परमेश्वर मानव जाति से मिलने-जुलने, उसके साथ जीवन व्यतीत करने के लिए आता है, तो वह केवल एक या दो दिनों के लिए नहीं आता है। हो सकता है कि इस समय तक लोग परमेश्वर को थोड़ा या ज़्यादा पहचानने लगे हों, और हो सकता है कि उन्हें परमेश्वर की सेवा करने के बारे में काफ़ी महत्वपूर्ण अंतर्ज्ञान प्राप्त हो चुका हो, और वे परमेश्वर पर अपने विश्वास में पक्के हो चुके हों। स्थिति चाहे जो भी हो, लोग काफ़ी हद तक परमेश्वर के स्वभाव को समझते हैं, और मानवीय स्वभाव की सभी अभिव्यक्तियों के प्रकार बहुत भिन्न होते हैं। जहाँ तक मुझे समझ आता है, परमेश्वर द्वारा उदाहरण के रूप में उपयोग के लिए लोगों की विभिन्न अभिव्यक्तियां और संदर्भ के रूप में उनकी मानसिक क्रियाएं पर्याप्त होती हैं। शायद यही एक पहलू है जिसमें मानव जाति परमेश्वर के साथ सहयोग करती है, यह परमेश्वर के प्रति मानव जाति का बेख़बर सहयोग है, ताकि परमेश्वर द्वारा निर्देशित यह प्रदर्शन रंगीन और वास्तविक, और बहुत जीवंत हो।