भ्रष्ट मानवता को आवश्यकता है परमेश्वर द्वारा उद्धार की
दूषित मानवता को चाहिये देहधारी परमेश्वर का कार्य।
दूषित मानवता को चाहिये देहधारी परमेश्वर का कार्य।
देह बना परमेश्वर क्योंकि, शैतान की रूह नहीं है लक्ष्य उसका,
ना अन्य कोई चीज़ है, बस मानव है लक्ष्य उसके काम का।
मानव की देह को, दूषित किया शैतान ने,
इसी वजह से लक्ष्य बना मानव, परमेश्वर के काम का।
मानव ही है मुक्ति-स्थल परमेश्वर का।
मानव ही है मुक्ति-स्थल परमेश्वर का।
मानव नश्वर जीव है, बस देह है।
परमेश्वर ही उसकी रक्षा कर सकता है।
अपने कामों की ख़ातिर, उत्तम परिणामों की ख़ातिर,
परमेश्वर को, मानव बनकर आना होगा,
मानव चूंकि देह है, पापों पर वश नहीं है उसका।
उसकी ख़ातिर परमेश्वर को, देह धारण करना होगा,
मानव छूट नहीं सकता ख़ुद, देह की इन ज़ंजीरों से।
उसकी ख़ातिर परमेश्वर को, देह धारण करना होगा।
उसकी ख़ातिर परमेश्वर को, देह धारण करना होगा।
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