अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III" (भाग चार)
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "तुम इसमें क्या देखते हैं? जब परमेश्वर ने मानवता में होकर काम किया, तो उसकी बहुत सारी पद्धतियाँ, वचन, और सच्चाईयाँ सब कुछ मानवीय तरीके से प्रकट हो गए थे। परन्तु उस समय परमेश्वर का स्वभाव, और परमेश्वर का स्वरूप वह सब लोगों के लिए प्रकट हुआ ताकि उन्हें जाना और समझा जा सके। जो कुछ उन्होंने जाना और समझा था वह वास्तव में जो उसके पास है तथा जो वह है और उसका सार था, जो स्वयं परमेश्वर की स्वाभाविक पहचान और स्थिति को दर्शाता था।
ऐसा कहना चाहिए, कि मनुष्य के पुत्र के देहधारण ने स्वयं परमेश्वर के अंतर्निहित स्वभाव और सार को संभावित सब से बड़े पैमाने तक और जहाँ तक हो सके उतने सटीक रूप में प्रकट किया था। ना केवल मनुष्य के पुत्र की मानवता स्वर्गीय परमेश्वर के साथ मनुष्य के संवाद और परस्पर व्यवहार में एक रूकावट या एक बाधा नहीं थी, किन्तु वह मनुष्य जाति के लिए सृष्टि के प्रभु से जुड़ने का एकमात्र माध्यम और एकमात्र पुल था।"सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "तुम इसमें क्या देखते हैं? जब परमेश्वर ने मानवता में होकर काम किया, तो उसकी बहुत सारी पद्धतियाँ, वचन, और सच्चाईयाँ सब कुछ मानवीय तरीके से प्रकट हो गए थे। परन्तु उस समय परमेश्वर का स्वभाव, और परमेश्वर का स्वरूप वह सब लोगों के लिए प्रकट हुआ ताकि उन्हें जाना और समझा जा सके। जो कुछ उन्होंने जाना और समझा था वह वास्तव में जो उसके पास है तथा जो वह है और उसका सार था, जो स्वयं परमेश्वर की स्वाभाविक पहचान और स्थिति को दर्शाता था। ऐसा कहना चाहिए, कि मनुष्य के पुत्र के देहधारण ने स्वयं परमेश्वर के अंतर्निहित स्वभाव और सार को संभावित सब से बड़े पैमाने तक और जहाँ तक हो सके उतने सटीक रूप में प्रकट किया था। ना केवल मनुष्य के पुत्र की मानवता स्वर्गीय परमेश्वर के साथ मनुष्य के संवाद और परस्पर व्यवहार में एक रूकावट या एक बाधा नहीं थी, किन्तु वह मनुष्य जाति के लिए सृष्टि के प्रभु से जुड़ने का एकमात्र माध्यम और एकमात्र पुल था।"
ऐसा कहना चाहिए, कि मनुष्य के पुत्र के देहधारण ने स्वयं परमेश्वर के अंतर्निहित स्वभाव और सार को संभावित सब से बड़े पैमाने तक और जहाँ तक हो सके उतने सटीक रूप में प्रकट किया था। ना केवल मनुष्य के पुत्र की मानवता स्वर्गीय परमेश्वर के साथ मनुष्य के संवाद और परस्पर व्यवहार में एक रूकावट या एक बाधा नहीं थी, किन्तु वह मनुष्य जाति के लिए सृष्टि के प्रभु से जुड़ने का एकमात्र माध्यम और एकमात्र पुल था।"सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "तुम इसमें क्या देखते हैं? जब परमेश्वर ने मानवता में होकर काम किया, तो उसकी बहुत सारी पद्धतियाँ, वचन, और सच्चाईयाँ सब कुछ मानवीय तरीके से प्रकट हो गए थे। परन्तु उस समय परमेश्वर का स्वभाव, और परमेश्वर का स्वरूप वह सब लोगों के लिए प्रकट हुआ ताकि उन्हें जाना और समझा जा सके। जो कुछ उन्होंने जाना और समझा था वह वास्तव में जो उसके पास है तथा जो वह है और उसका सार था, जो स्वयं परमेश्वर की स्वाभाविक पहचान और स्थिति को दर्शाता था। ऐसा कहना चाहिए, कि मनुष्य के पुत्र के देहधारण ने स्वयं परमेश्वर के अंतर्निहित स्वभाव और सार को संभावित सब से बड़े पैमाने तक और जहाँ तक हो सके उतने सटीक रूप में प्रकट किया था। ना केवल मनुष्य के पुत्र की मानवता स्वर्गीय परमेश्वर के साथ मनुष्य के संवाद और परस्पर व्यवहार में एक रूकावट या एक बाधा नहीं थी, किन्तु वह मनुष्य जाति के लिए सृष्टि के प्रभु से जुड़ने का एकमात्र माध्यम और एकमात्र पुल था।"
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