2018-10-25

अध्याय 69

अध्याय 69

जिन परिस्थितियोंका सामना तुम करो, वहां मेरी इच्छा की अधिक खोज करो और तुम्हें निश्चित रूप से मेरी स्वीकृति प्राप्त होगी। जब तक तुम एक ऐसा दिल रखने को तैयार हो जो खोज करने का इच्छुक हो और जो मेरा आदर करता हो, तो मैं तुम्हें वे सब चीज़ें दूंगा जिनकी तुम्हारे पास कमी है। कलीसिया अब एक औपचारिक अभ्यास में प्रवेश कर रही है और सभी चीज़ें सही रास्ते में प्रवेश कर रही हैं।
चीज़ें अब वैसी नहीं रहीं जैसी तब थी जब तुम्हें आने वाली चीज़ों का पहले से स्वाद मिल जाता था। तुम लोगों को अब भ्रमित नहीं होना चाहिए या अंतर समझने की क्षमता के बिना नहीं होना चाहिए। मुझे क्यों आवश्यकता है कि तुम लोग हर चीज़ में वास्तविकता में प्रवेश करो? क्या तुमने वास्तव में इसका अनुभव किया है? क्या तुम लोग वास्तव में मुझे उन चीज़ों में संतुष्ट कर सकते हो जो मुझे तुम लोगों से चाहिए, जैसे मैं तुम लोगों को संतुष्ट करता हूं? कपटी मत बनो! यह तुम लोगों के लिए मेरी बर्दाश्त से अधिक कुछ नहीं है, जो मैं बार-बार दर्शाता हूं और फिर भी तुम लोग बार-बार यह बताने में असमर्थ रहते हो कि तुम लोगों के लिए क्या अच्छा है, और प्रशंसा दिखाने में असफल रहते हो!
मेरी धार्मिकता, मेरी महिमा, मेरा न्याय और मेरा प्यार—ये सब चीज़ें मेरे पास हैं और मैं यही हूं—क्या तुमने वास्तव में इनका स्वाद लिया है? तुम वास्तव में बहुतविचारहीन हो और तुम मेरी इच्छा को नहीं समझते हो। मैंने तुम लोगों को बार-बार कहा है कि जिन दावतों को मैं तैयार करता हूं, उनका स्वाद स्वयं तुम्हें लेना चाहिए, फिर भी तुम लोग बार-बार उन्हेंअस्वीकार करते हो और अच्छे और बुरे वातावरण के बीच अंतर नहीं समझ पाते हो। इनमें से कौन-सा वातावरण तुमने बनाया है? और किन्हेंमेरे हाथों ने व्यवस्थित किया है? अपना बचाव मत करो! मैं सब कुछ पूरी स्पष्टता से देख सकता हूं और बात केवल इतनी है कि तुम खोज नहीं करते हो। इससे अधिक मैं क्या कह सकता हूँ?
मैं निरंतर उन सभी को प्रसन्न करूंगा जो मेरी इच्छा को समझेंगे और मैं उन्हें पीड़ा सहने नहीं दूंगा या उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचने दूंगा। इस समय महत्वपूर्ण बात यह है कि तुम मेरी इच्छा के अनुसार कार्य करने में सक्षम रहो, और जो लोग ऐसा करेंगे, वे निश्चित रूप से मेरे आशीष प्राप्त करेंगे और मेरी सुरक्षा के अंतर्गत रहेंगे। तुम में से कौन वास्तव में पूरी तरह से मेरे लिए समर्पित हो सकता है और मेरे लिए अपना सब कुछ भेंट कर सकता है? तुम सभी अधूरे दिल से काम करने वाले हो, तुम्हारे विचार इधर-उधर घूमते हैं, तुम घर, बाहरी दुनिया, भोजन और कपड़ों के बारे में सोचते हो। हालांकि तुम मेरे सामने होते हो और मेरे लिए कार्य कर रहे होते हो, अपने दिल में तुम अभी भी घर पर उपस्थित अपनी पत्नी, बच्चों और माता-पिता के बारे में सोचते हो। क्या ये सभी तुम्हारी संपत्ति हैं? तुम उन्हें मेरे हाथों में क्यों नहीं सौंप देते हो? क्या तुम मुझ पर पर्याप्त विश्वास नहीं करते हो? या क्या तुम्हें डर है कि मैं तुम्हारे लिए अनुचित व्यवस्था करूंगा? तुम्हें हमेशा अपने घर की याद क्यों आती है? और अन्य लोगों को याद करते हो! क्या मेरा तुम्हारे दिल में एक निश्चित स्थान है? और तुम फिर भी मुझे तुम्हारे भीतर प्रभुत्व करने देने और तुम्हारे पूरे अस्तित्व पर कब्ज़ा करने देने के बारे में बात करते हो—ये सभी कपटपूर्ण झूठ हैं! तुम में से कितने लोग कलीसिया के लिए तहेदिल से काम करते हो? और तुम में से कौन अपने बारे में नहीं सोचता है, बल्कि आज के राज्य के लिए है? इस बारे में बहुत ध्यानपूर्वक सोचो।
तुम लोगों ने मुझे इस हद तक मजबूर कर दिया है, इसलिए मैं केवल अपने हाथों का उपयोग करके तुम लोगों को प्रोत्साहित करके आगे बढ़ा सकता हूं; अब मैं तुम लोगों को मनाऊंगा नहीं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं एक बुद्धिमान परमेश्वर हूं, और मैं विभिन्न लोगों के साथ विभिन्न ढंग से व्यवहार करता हूं, और यह तुम लोगों की मेरे प्रति वफ़ादारी पर निर्भर करता है। मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूं—किसकी हिम्मत है कि मेरे आगे बढ़ते कदमों को रोक सके? जो कोई भी मेरे प्रति निष्ठाहीन होंगे, अब निश्चित रूप से उनके ऊपर मेरे प्रशासनिक फ़रमानों का हाथ होगा, ताकि वे मेरी सर्वशक्तिमत्ता को जान सकें। मुझे बहुत से लोगों की इच्छा नहीं हैं, बस कुछ चुनिंदा लोगों की इच्छा है। जो भी निष्ठाहीन, बेईमान होगा, जो भी गलत व्यवहार और कपट में संलग्न होगा, मैं उसे त्याग दूंगा और दंडित करूंगा। अब यह मत सोचो कि मैं कृपालु हूं, या मैं स्नेहशील और दयालु हूं; यह केवल तुम अपने आप को प्रसन्न कर रहे हो। मुझे पता है कि जितना अधिक मैं तुम्हारीबात मानता हूं तुम उतना अधिक नकारात्मक और निष्क्रिय हो जाते हो, और तुम अपने आप को देने के लिए तैयार नहीं होते हो। जब लोग इस हद तक ज़िद्दी हो जाते हैं, तो मैं केवल उन्हें हर समय प्रोत्साहित करके आगे बढ़ा सकता हूं और आगे की ओर खींच सकता हूं। यह जान लो! अब से मैं वह परमेश्वर हूं जो न्याय करता है; अब मैं मनुष्य की कल्पनाओं का कृपालु, दयालु और स्नेहशील परमेश्वर नहीं रह गया हूं!
Source From:सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया--सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन

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