2018-11-13

अध्याय 69


जब मेरी इच्छा आगे बढ़ेगी, तो जो कोई भी विरोध करने की हिम्मत करेगा और जो भी आलोचना या संदेह करने की हिम्मत करेगा, मैं उसे तुरंत निकाल दूँगा। आज, जो कोई भी मेरी इच्छा के अनुसार कार्य नहीं करता है, या जो भी मेरी इच्छा को ग़लत समझता है, उसे अवश्य मेरे राज्य से बाहर निकाल दिया जाना चाहिए और हटा दिया जाना चाहिए। मेरे राज्य में कोई और नहीं है—सब मेरे पुत्र हैं, जिन्हें मैं प्यार करता हूँ और जो मेरे बारे में विचारशील हैं।
इसके अलावा, यही वे हैं जो मेरे वचन के अनुसार कार्य करते हैं और जो सभी देशों और सभी लोगों का न्याय करने के लिए मेरी ओर से सामर्थ्य में शासन करने में सक्षम हैं। इसके अलावा, वे ज्येष्ठ पुत्रों का एक समूह हैं, जो निर्दोष और जीवंत हैं; सादे और स्पष्ट हैं; ईमानदार और बुद्धिमान हैं। मेरी इच्छा तुम लोगों में संतुष्ट होती है, और जो मैं करना चाहता हूँ वह तुम लोगों में पूर्ण होता है, बिना किसी ग़लती के, पूरी तरह से स्पष्ट और प्रकट। जिनके इरादे और उद्देश्य गलत हैं—मैंने उन्हें त्यागना शुरू कर दिया है, और उन्हें एक-एक करके गिराऊँगा। मैं उन्हें एक-एक करके नष्ट कर दूँगा ताकि न वे और न ही उनके जीव, उनकी आत्माएँ, और उनकी देहें जीवित रहे।
समझो कि वह क्या है जिसे मेरे हाथ कर रहे हैं—गरीबों को सहारा दे रहे हैं, जो मुझे प्यार करते हैं उनकी देखभाल और रक्षा कर रहे हैं, जो मेरे प्रबंधन में हस्तक्षेप नहीं करते हैं उन अज्ञानी और उत्साही लोगों को बचा रहे हैं, जो मेरा विरोध करते हैं और जो सक्रिय रूप से मेरे साथ सहयोग नहीं करते हैं उन्हें दंड दे रहे हैं—इन सभी चीज़ों की एक-एक करके मेरे कहे अनुसार पुष्टि होगी। क्या तू कोई ऐसा व्यक्ति है जो वास्तव में मुझसे प्यार करता है? क्या तू कोई ऐसा व्यक्ति है जो अपने आप को निष्ठापूर्वक मेरे लिए व्यय करता है? क्या तू कोई ऐसा व्यक्ति है जो मेरे वचन को सुनता है और तदनुसार कार्य करता है? क्या तू कोई ऐसा व्यक्ति है जो मेरे विरुद्ध है, या क्या तू मेरे साथ संगत है? क्या इन मुद्दों पर तेरा स्वयं का मन स्पष्ट है? क्या तू इन चीज़ों का उत्तर दे सकता है जो मैंने एक-एक करके कही हैं? यदि नहीं, तो तू एक ऐसा व्यक्ति है जो उत्साहपूर्वक खोज करता है, लेकिन मेरी इच्छा को नहीं समझता है। इस तरह का व्यक्ति आसानी से मेरे प्रबंधन में हस्तक्षेप करेगा और मेरी इच्छा को ग़लत समझेगा। अगर ऐसे व्यक्ति का क्षण भर के लिए भी ग़लत इरादा होगा, तो उसे मेरे द्वारा निर्वासन और विनाश के अधीन कर दिया जाएगा।
मुझमें अनंत रहस्य हैं, जो अथाह हैं। मैं उन्हें अपनी योजना के अनुसार लोगों के सामने एक-एक करके प्रकट करूँगा। अर्थात्, मैं उन्हें अपने ज्येष्ठ पुत्रों के लिए प्रकट करूँगा। जो लोग अविश्वासी हैं और जो मेरा विरोध करते हैं, मैं उन्हें बस प्रवाह के साथ जाने दूँगा, लेकिन अंत में मैं उन्हें अवश्य समझा दूँगा कि मैं प्रतापी न्याय हूँ। आज के अविश्वासियों को केवल वही पता है जो उनकी आँखों के सामने होता है, लेकिन वे मेरी इच्छा को नहीं जानते हैं। केवल मेरे पुत्र, वे जिन्हें मैं प्यार करता हूँ, मेरी इच्छा को जानते और समझते हैं। मेरे पुत्रों के लिए, मैं खुले तौर पर प्रकट हूँ, लेकिन शैतान के लिए मैं प्रतापी न्याय हूँ, बिल्कुल भी छुपा हुआ नहीं हूँ। आज केवल ये मेरे ज्येष्ठ पुत्र ही हैं जो मेरी इच्छा को जानने के योग्य हैं—अन्य कोई योग्य नहीं है—और सृजन से पहले मैंने यही व्यवस्थित किया था। कौन धन्य है और कौन अभिशप्त है, यह मेरे द्वारा पहले ही व्यवस्थित किया गया था, मैं इस बारे में स्पष्ट था, और आज यह पूरी तरह से व्यक्त हो चुका है: जो लोग धन्य हैं, उन्होंने अपने आशीषों का आनंद लेना शुरू कर दिया है, जबकि जो लोग अभिशप्त हैं उन्होंने भी आपदा को झेलना शुरू कर दिया है। जो लोग अभिशाप को झेलना नहीं चाहते हैं, तब भी झेलेंगे क्योंकि मैंने यही निर्धारित किया है और प्रशासनिक नियमों के मेरे हाथों ने यही व्यवस्थित किया है। वास्तव में किस प्रकार का व्यक्ति धन्य है और किस प्रकार का व्यक्ति अभिशप्त है? मैं पहले ही इन चीज़ों को प्रकट कर चुका हूँ; यह तुम लोगों के लिए रहस्य नहीं है, बल्कि यह खुले में प्रकट है: जो मुझे स्वीकार करते हैं लेकिन जिनके इरादे गलत हैं; जो मुझे स्वीकार करते हैं लेकिन खोजते नहीं हैं; जो मुझे जानते हैं लेकिन अवज्ञाकारी हैं; जो मुझे धोखा देने के लिए कुटिलता और विश्वासघात में संलग्न हैं; जो मेरे वचनों को पढ़ते हैं लेकिन नकारात्मकता उगलते हैं; जो स्वयं को नहीं जानते हैं, जो नहीं जानते हैं कि वे क्या हैं, जो सोचते हैं कि वे स्वयं महान हैं, और जो सोचते हैं कि वे परिपक्वता तक पहुँच चुके हैं (शैतान का उदाहरण), ये लोग अभिशाप के लक्ष्य हैं। जो मुझे स्वीकार करते हैं और जिनका इरादा मेरे प्रति है (और यदि वे बाधा उत्पन्न करते हैं तो मैं उनके उल्लंघनों को याद नहीं रखूँगा, लेकिन उनके इरादे अवश्य सही होने चाहिए और उन्हें अवश्य हमेशा सतर्क, सावधान रहना चाहिए और स्वच्छन्द नहीं होना चाहिए, और उन्हें अवश्य मेरी बात सुनना और मेरा आज्ञापालन करना हमेशा अपने हृदय में रखना चाहिए); जो शुद्ध हैं; जो स्पष्ट हैं; जो ईमानदार हैं; जो लोग किसी भी व्यक्ति, चीज़ या पदार्थ द्वारा नियंत्रित नहीं हैं; जो दिखने में बच्चे जैसे हैं, यद्यपि जीवन में परिपक्व हैं, ये लोग मेरे प्रिय हैं, मेरे आशीष की वस्तुएँ हैं। अब, प्रत्येक अपनी स्थिति के अनुसार अपनी उचित जगह लेगा। और तुझे पता चल जाएगा कि तू धन्य है या अभिशाप है—मुझे स्पष्ट रूप से कहने की कोई आवश्यकता नहीं है। जो लोग धन्य हैं उन्हें आनन्दित और प्रसन्न होना चाहिए, जबकि जिन्हें अभिशाप भुगतना है उन्हें व्यथित नहीं होना चाहिए। दोनों को मेरे हाथों द्वारा व्यवस्थित किया गया है, लेकिन मैं दोषी नहीं हूँ: यह मेरे साथ तेरे सक्रिय सहयोग की तेरी स्वयं की कमी है, और यह समझने में तेरी विफलता है कि मैं एक परमेश्वर हूँ जो मनुष्य के हृदय के अंतर्तम को टटोलता है; यही है वह जो मैंने यह पहले से निर्धारित किया है, और यह तेरी अपनी तुच्छ चाल है जिससे तूने स्वयं को नुकसान पहुँचाया है; यह स्वयं-पहुँचाई-गई-पीड़ा है! तुझे अधोलोक में गिरना चाहिए यह तेरे बारे में दुर्व्यवहार नहीं है! यह तेरा अंत है; यह तेरा परिणाम है!
धन्य ज्येष्ठ पुत्रो! जयजयकार करने के लिए शीघ्र उठो! स्तुति करने के लिए शीघ्र उठो! अब से, कोई और कड़वाहट नहीं होगी, और कोई और कष्ट नहीं होगा, और सब कुछ हमारे हाथों में है। जो भी मेरे अनुरूप है उससे मैं प्रेम करता हूँ, और वह आपदा की पीड़ा के अधीन नहीं होगा। जो कुछ भी तेरे ह़ृदय की इच्छा है, मैं उसे पूरा करूँगा (लेकिन यह मनमाना नहीं हो सकता है), यह मेरा कार्य है।
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