तुम लोगों में स्वतंत्र रूप से रहने, अपने आप परमेश्वर के वचनों को खाने और पीने, स्वयं के दम पर परमेश्वर के वचनों का अनुभव करने, और दूसरों की अगुआई के बिना एक सामान्य आध्यात्मिक जीवन जीने की क्षमता अवश्य होनी चाहिए; जीने के लिए, सच्चे अनुभव में प्रवेश करने के लिए, और असल अंतर्दृष्टि पाने के लिए तुम्हें आज के परमेश्वर के वचनों पर निर्भर रहने में सक्षम होना चाहिए। केवल इसी प्रकार तुम अडिग रह पाओगे। आज, बहुत से लोग भविष्य के क्लेशों और परीक्षणों को पूरी तरह से नहीं समझते हैं। भविष्य में, कुछ लोगों को क्लेशों का अनुभव होगा, और कुछ लोगों को दण्ड का अनुभव होगा। यह दण्ड अधिक कठोर होगा; यह तथ्यों का आना होगा। आज, तुम जो अनुभव करते हो, अभ्यास करते हो, और प्रकट करते हो, वे सब भविष्य के परीक्षणों के लिए नींव डालते हैं, और कम से कम, तुम्हें स्वतंत्र रूप से जीने में सक्षम अवश्य होना चाहिए। आज, कलीसिया में कई लोगों की स्थिति आम तौर पर निम्नानुसार है: यदि कार्य करने के लिए अगुआ और कार्यकर्ता हैं, तो वे प्रसन्न हैं, और यदि ये लोग नहीं हैं, तो वे अप्रसन्न हैं वे कलीसिया के कार्य पर कोई ध्यान नहीं देते हैं, और न ही अपने स्वयं के आध्यत्मिक जीवनों पर ध्यान देते हैं, और उन्हें थोड़ी सी भी ज़िम्मेदारी नहीं हैं—वे एक हैनहाओ पक्षी की तरह भ्रमित होकर साथ चलते हैं।[क] स्पष्ट रूप से हें तो, तो बहुत से लोगों पर मैंने जो कार्य किया है वह केवल जीतने का कार्य है, क्योंकि कई लोग मूलतः पूर्ण बनाए जाने के अयोग्य हैं। केवल लोगों के एक छोटे से हिस्से को ही पूर्ण बनाया जा सकता है। यदि, इन वचनों को सुनकर, तुम सोचते हो "चूँकि परमेश्वर द्वारा किया गया कार्य केवल लोगों को जीतने के लिए ही है, और इसलिए मैं केवल लापरवाही से अनुसरण करूँगा," तो इस तरह का कोई दृष्टिकोण कैसे स्वीकार्य हो सकता है? यदि तुम्हारे पास वास्तव में विवेक है, तो तुम्हारे पास बोझ और उत्तरदायित्व की भावना अवश्य होनी चाहिए। तुम्हें अवश्य कहना चाहिए: "चाहे मुझे जीता जाये या पूर्ण बनाया जाए, मुझे इस गवाही देने के कदम को अवश्य सही ढंग से करना चाहिए।" परमेश्वर के एक प्राणी के रूप में, किसी भी व्यक्ति को परमेश्वर द्वारा सर्वथा जीता जा सकता है, और अंततः, वह परमेश्वर से प्रेम रखने वाले दिल से परमेश्वर के प्रेम को चुकाते हुए और पूरी तरह से परमेश्वर के प्रति समर्पित होते हुए, परमेश्वर को संतुष्ट करने में सक्षम हो जाता है। यह मनुष्य का उत्तरदायित्व है, यह वह कर्तव्य है जिसे मनुष्य को अवश्य करना चाहिए, और वह बोझ है जिसे मनुष्य द्वारा अवश्य वहन किया जाना चाहिए, और मनुष्य को इस आदेश को अवश्य पूरा करना चाहिए। केवल तभी वह वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करता है। आज, तुम कलीसिया में जो करते हो क्या वह तुम्हारे उत्तरदायित्व की पूर्ति है? यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या तुम पर बोझ है, और क्या तुम अपने ज्ञान पर हो। इस कार्य का अनुभव करने में, यदि मनुष्य जीत लिया जाता है और उसे सच्चा ज्ञान हो जाता है, तो वह अपनी स्वयं की संभावनाओं या भाग्य की परवाह किए बिना आज्ञाकारिता में सक्षम हो जाएगा। इस तरह से, परमेश्वर का महान कार्य अपनी संपूर्णता में साधित होगा, क्योंकि तुम लोग इससे अधिक किसी चीज में सक्षम नहीं हैं, और किसी भी उच्च माँग को पूरा करने में असमर्थ हैं। फिर भी भविष्य में, कुछ लोगों को पूर्ण बनाया जाएगा। उनकी क्षमता में सुधार होगा, उनकी आत्माओं में उन्हें गहरा ज्ञान होगा, उनका जीवन विकसित होगा...। मगर कुछ लोग इसे प्राप्त करने में पूरी तरह से असमर्थ हैं, और इसलिए बचाए नहीं जा सकते हैं। इसका कारण है कि मैं क्यों कहता हूँ कि उन्हें बचाया नहीं जा सकता है। भविष्य में, कुछ को जीत लिया जाएगा, कुछ को मार दिया जाएगा, कुछ को पूर्ण बना दिया जाएगा, और कुछ का उपयोग किया जाएगा—और इसलिए कुछ लोग क्लेशों का अनुभव करेंगे, कुछ लोग दण्ड (प्राकृतिक आपदाओं और मानव निर्मित दुर्भाग्य दोनों) का अनुभव करेंगे, कुछ को मार दिया जाएगा, और कुछ जीवित रहेंगे। इस में, प्रत्येक को किस्म के अनुसार वर्गीकृत किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक समूह व्यक्ति की एक किस्म का प्रतिनिधित्व करेगा। सभी लोगों को नहीं मारा जाएगा, न ही सभी लोगों को पूर्ण बनाया जाएगा। इसका कारण यह है कि चीनी लोगों की क्षमता इतनी ख़राब है, और उन में केवल एक छोटी सी संख्या ऐसी है जिनमें वह आत्म-जागरूकता है जो पौलुस में थी। तुम लोगों में से, कुछ लोगों में परमेश्वर को प्यार करने का वही दृढ़ संकल्प है जो पतरस में था, या उसी प्रकार का विश्वास है जैसा अय्यूब में था। तुम लोगों में मुश्किल से ही कोई ऐसा है जो यहोवा के वैसे सेवा करे जैसे दाऊद ने की थी। तुम लोग कितने दयनीय हो!
आज, पूर्ण बनाए जाने की बात मात्र एक पहलू है। इस बात की परवाह किए बिना कि क्या होता है, तुम लोगों को गवाही देने के इस कदम को सही ढंग से करना चाहिए। यदि तुम लोगों से मंदिर में परमेश्वर की सेवा करने के लिए कहा जाता, तो तुम ऐसा कैसे करते? यदि तुम याजक नहीं होते, और परमेश्वर के ज्येष्ठ पुत्रों या बेटों की हैसियत के न होते, तो क्या तुम तब भी वफादारी के लिए सक्षम होते? क्या तुम तब भी राज्य को फैलाने के लिए वह सब कुछ कर पाते जो तुम कर सकते हो? क्या तुम तब भी परमेश्वर के आदेश के कार्य को ठीक से करने में सक्षम होते? इस बात की परवाह किए बिना कि तुम्हारी ज़िंदगी कितनी विकसित हुई है, आज का कार्य तुम्हें अंदर से पूरी तरह से आश्वस्त होने और अपनी सभी अवधारणाओं को अलग करने के लिए प्रेरित करेगा। चाहे तुम्हारे पास वह है या नहीं जो जीवन का अनुसरण करने के लिए चाहिए, कुल मिलाकर, परमेश्वर का कार्य तुम्हें पूरी तरह से आश्वस्त करेगा। कुछ लोग कहते हैं: मैं बस परमेश्वर पर विश्वास करता हूँ, और मैं यह नहीं समझता हूँ कि जीवन का अनुसरण करने का क्या अर्थ है। और कुछ कहते हैं: मैं परमेश्वर में अपने विश्वास में पूर्ण रूप से उलझन में हूँ। मैं जानता हूँ कि मुझे पूर्ण नहीं बनाया जा सकता है, और इसलिए मैं ताड़ित किए जाने के लिए तैयार हूँ। यहाँ तक कि इस तरह के लोगों को भी, जो ताड़ित या नष्ट किए जाने के लिए तैयार हैं, यह स्वीकार करवाया जाना चाहिए कि आज का कार्य परमेश्वर द्वारा किया जाता है। कुछ लोग यह भी कहते हैं: मैं पूर्ण बनाए जाने के लिए नहीं कहता हूँ, लेकिन आज, मैं परमेश्वर के समस्त प्रशिक्षण को स्वीकार करने के लिए तैयार हूँ, और सामान्य मानव स्वभाव जीने, अपनी क्षमता को सुधारने और परमेश्वर के सभी व्यवस्थाओं का पालन करने के लिए तैयार हूँ...। इस में, उन्हें भी जीत लिया गया है और गवाही दिलवाई गई है, जो साबित करती है कि इन लोगों के भीतर परमेश्वर के कार्य का कुछ ज्ञान है। कार्य का यह चरण बहुत शीघ्रता से किया गया है, और भविष्य में, यह विदेशों में और भी तीव्रता से किया जाएगा। आज, विदेशों में लोग शायद ही प्रतीक्षा कर सकते हैं, वे सब चीन की ओर दौड़ रहे हैं—और इसलिए यदि तुम लोगों को पूर्ण नहीं किया जा सकता है, तो तुम लोग विदेश में लोगों को रोकोगे। उस समय, चाहे तुम लोगों ने कितने भी अच्छे ढंग से प्रवेश किया हो या तुम कैसे भी हो, जब समय आएगा तो मेरा कार्य समाप्त और पूरा हो जाएगा! मेरे सारे कार्य तुम लोगों के द्वारा नहीं रोके जा सकते हैं। मैं समस्त मानव जाति का कार्य करता हूँ, और मुझे तुम लोगों पर और अधिक समय लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है! तुम लोग अत्यधिक अनुत्साही हो, तुम लोगों में आत्म-जागरूकता की अत्यधिक कमी है! तुम लोग पूर्ण बनाए जाने के योग्य नहीं हो—तुम लोगों में मुश्किल से ही कोई संभावना है! भविष्य में, भले ही लोग इतने ढीले और आलसी बने रहें, और अपनी क्षमताओं को सुधारने में असमर्थ बने रहें, इससे समस्त ब्रह्मांड का कार्य बाधित नहीं होगा। जब परमेश्वर के कार्य के पूरा होने का समय आएगा, तो यह पूरा हो जाएगा, और जब लोगों को मारे जाने का समय आएगा है, तो वे मारे जाएँगे। निस्संदेह, जिन लोगों को पूर्ण किया जाना चाहिए, और जो पूर्ण होने के योग्य हैं, वे भी पूर्ण किए जाएँगे—लेकिन यदि तुम लोगों के पास कोई आशा नहीं है, तो परमेश्वर का कार्य तुम्हारी प्रतीक्षा नहीं करेगा! अंततः, यदि तुम जीत लिए जाते हो, तो यह भी गवाही देना माना जा सकता है। इस बात की सीमाएँ हैं कि परमेश्वर तुम लोगों से क्या कहता है; मनुष्य जितनी ऊँची कद-काठी प्राप्त करने में सक्षम होता है, उतनी ही ऊँची गवाही की अपेक्षा उससे की जाती है। यह ऐसा नहीं है जैसी मनुष्य कल्पना करता है कि इस तरह की गवाही बहुत उच्चतम सीमाओं तक पहुँच जाएगी और कि यह ज़बर्दस्त होगी—ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे कि इसे तुम चीनी लोगों द्वारा प्राप्त किया जा सके। मैं इस पूरे समय तुम लोगों के साथ व्यस्त हूँ, और तुम लोग स्वयं इसे देख चुके हो: मैं तुम लोगों से प्रतिरोधन नहीं करने, विद्रोही न होने, मेरी पीठ के पीछे ऐसी चीजों को न करने के लिये कह चुका हूँ जो बाधा डालती हैं या परेशान करती हैं। मैंने कई बार इस पर सीधे तौर पर लोगों की आलोचना की है, लेकिन यह भी पर्याप्त नहीं है—जैसे ही जिस क्षण वे घूमते हैं, वे बदल जाते हैं, और कुछ लोग, बिना मलाल के, गुप-चुप तरीके से मेरा प्रतिरोध करते हैं। क्या तुम्हें लगता है कि मुझे इसका कुछ भी पता नहीं है? क्या तुम्हें लगता है कि तुम मेरे लिए परेशानी पैदा कर सकते हो और इससे कुछ नहीं होगा? क्या तुम्हें लगता है कि जब तुम मेरी पीठ के पीछे मेरे कार्य को तबाह करने का प्रयास करते हो तो मुझे पता नहीं चलता है? क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारी छोटी-मोटे चालें तुम्हारे चरित्र का स्थान ले सकती हैं? तुम प्रकट रूप से हमेशा आज्ञाकारी हो, लेकिन गुप्त रूप से विश्वासघाती हो, तुम अपने दिल में भयावह विचारों को छिपाते हो, और यहाँ तक कि तुम जैसे लोगों के लिए मृत्यु भी पर्याप्त दण्ड नहीं है। क्या तुम्हें लगता है कि पवित्र आत्मा द्वारा तुम में कुछ मामूली कार्य मेरे प्रति तुम्हारे सम्मान का स्थान ले सकता है? क्या तुम्हें लगता है कि तुमने स्वर्ग को पुकार कर प्रबुद्धता प्राप्त कर ली है? तुम्हें कोई शर्म नहीं है! तुम बहुत बेकार हो! क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारे "अच्छे कर्मों" ने स्वर्ग को स्पर्श किया है, जिसने एक अपवाद बनाया है और प्राकृतिक उपहार प्रदान किए हैं, जिसने तुम्हें दूसरों को धोखा देने और मुझे धोखा देने कि अनुमति देते हुए, तुम्हें वाक्पटु बना दिया है? तुममें तर्कसंगतता की कितनी कमी है! क्या तुम जानते हो कि तुम्हारी प्रबुद्धता कहाँ से आती है? क्या तुम नहीं जानते कि तुम किसका भोजन खा कर बड़े हुए हो? तुम कितने निर्लज्ज हो! तुम लोगों के बीच में से कुछ लोग चार या पाँच साल तक व्यवहार किये जाने के बाद भी नहीं बदले हैं और तुम इन मामलों के बारे में स्पष्ट हो। तुम्हें अपने स्वभाव के बारे में स्पष्ट होना चाहिए और जब किसी दिन तुम्हें त्याग दिया जाता है, तो आपत्ति नहीं करो। कुछ को, जो अपनी सेवा में अपने ऊपर और नीचे वाले दोनों को धोखा देते हैं, उनके साथ अत्यधिक व्यवहार किया जाता है; कुछ को, धन के लोभी होने की वजह से, व्यवहार के अत्यधिक अधीन किया गया है; कुछ को, पुरुषों और महिलाओं के बीच स्पष्ट सीमाओं को नहीं बनाए रखने की वजह से, इसके अत्यधिक अधीन किया गया है; कुछ को, क्योंकि वे आलसी हैं, केवल शरीर के प्रति सचेत हैं, और जब वे कलीसिया में आते हैं तो सिद्धांतों के अनुसार अभ्यास नहीं करते हैं, इसलिए अत्यधिक व्यवहार के अधीन किया गया है; कुछ को, क्योंकि वे जहाँ भी जाते हैं गवाही देने में विफल रहते हैं, और जानबूझकर पाप और दुर्व्यवहार करते हैं, इसलिए कई बार याद दिलाया गया है; कुछ लोग जब कलीसिया में आते हैं, वचनों और सिद्धांतों की बात करते हैं, वे दूसरों से श्रेष्ठतर होने का दिखावा करते हैं, और उनमें सत्य की थोड़ी सी भी वास्तविकता नहीं होती है, और वे भाइयों-बहनों के साथ संघर्ष करते हैं, एक दूसरे के साथ स्पर्द्धा करते हैं—वे प्रायः इसी वजह से उजागर किए गए हैं। मैंने ये वचन तुम लोगों को कई बार बोले हैं, और आज, मैं इस बारे में ज्यादा नहीं बोलूँगा—तुम जो चाहे करो! अपने निर्णय स्वयं लो! कई लोग न सिर्फ एक या दो वर्ष तक इस तरह के व्यवहार किये जाने के अधीन किए गए हैं, कुछ के लिए यह तीन या चार वर्ष रहा है, और कुछ ने विश्वासी बन जाने पर व्यवहार किये जाने के के अधीन होने का एक दशक से अधिक समय तक इसका अनुभव किया है, किंतु आज के दिन तक उनमें थोड़ा सा ही बदलाव हुआ है। तुम क्या कहते हो, क्या तुम सूअरों की तरह नहीं हो? क्या ऐसा हो सकता है कि परमेश्वर तुम्हारे प्रति अनुचित है? ऐसा न सोचो कि यदि तुम लोग एक निश्चित स्तर तक पहुँचने में असमर्थ हो, तो परमेश्वर का कार्य समाप्त नहीं होगा। यदि तुम लोग उसकी अपेक्षाओं को पूरा करने में असमर्थ हो, तो क्या परमेश्वर तब भी तुम्हारी प्रतीक्षा करेगा? मैं तुम्हें स्पष्ट रूप से बताता हूँ—ऐसा नहीं है! चीजों का इस तरह का एक चित्ताकर्षक दृष्टिकोण मत रखो! आज के कार्य के लिए एक समय सीमा है, परमेश्वर यूँ ही तुम्हारे साथ खेल नहीं रहा है! पहले, जब सेवा करने वालों के परीक्षण का अनुभव करने की बात आयी, तो लोगों ने सोचा कि यदि उन्हें परमेश्वर की अपनी गवाही में दृढ़ता से खड़े होना और उसके द्वेअ जीत लिए जाना हैं, तो उन्हें एक निश्चित अवस्था तक पहुंचना होगा—उन्हें स्वेच्छा से और खुशी से एक सेवा करने वाला होना था, और उन्हें हर दिन परमेश्वर की स्तुति करनी थी, और थोड़ा सा भी ढीला या जिद्दी नहीं होना था। उन्होंने सोचा कि केवल तभी वे वास्तव में सेवा करने वाले होते, लेकिन क्या यह वास्तव में ऐसा ही मामला है? उस समय, लोगों में सभी तरह की अभिव्यक्तियाँ थीं। कुछ भाग गए, कुछ ने परमेश्वर का विरोध किया, कुछ ने कलीसिया के पैसे को गँवा दिया, और भाइयों और बहनों ने एक-दूसरे के खिलाफ साजिश की। यह वास्तव में एक महान मुक्ति थी, लेकिन इसके बारे में एक बात अच्छी थी: कोई भी पीछे नहीं हटा। यह सबसे मुख्य बात है। इसकी वजह से उन्होंने शैतान के सामने गवाही का एक चरण पेश किया, और बाद में परमेश्वर के लोगों के रूप में पहचान प्राप्त की और आज तक पहुंच पाए हैं। परमेश्वर का कार्य उस तरह से नहीं किया जाता है जैसा कि तुम कल्पना करते हो, इसके बजाय जब समय समाप्त हो जाता है, तो चाहे तुम किसी भी भी बिंदु पर क्यों न पहुँचो कार्य समाप्त हो जाएगा। कुछ लोग कह सकते हैं: इस तरह का दिखावा करके तुम लोगों को बचाते, या प्यार नहीं करते हो—तुम धर्मी परमेश्वर नहीं हो। मैं तुम्हें स्पष्ट रूप से बताता हूँ: आज मेरे कार्य का मर्म है तुम्हें जीतना और तुमसे गवाही दिलवाना है। तुम्हें बचाना तो सिर्फ उससे जुड़ा हुआ एक कार्य है; तुम को बचाया जा सकता है या नहीं यह तुम्हारी स्वयं की खोज पर निर्भर करता है, और मुझसे सम्बद्ध नहीं है। फिर भी मुझे तुम्हें अवश्य जीतना चाहिए; हमेशा मुझे ज़बरदस्ती रास्ता दिखाने का प्रयास मत करो—आज तुम नहीं बल्कि मैं तुम पर कार्य करता हूँ और बचाता हूँ!
आज, तुम लोगों ने जो समझा है, चाहे वो परीक्षणों का तुम्हारा ज्ञान हो या परमेश्वर में विश्वास का ज्ञान, वह इतिहास के ऐसे किसी भी व्यक्ति की तुलना में अधिक है जिसे पूर्ण नहीं बनाया गया था। जिन चीजों को तुम लोग समझे हो ये वे हैं जिन्हें तुम लोग पर्यावरण के परीक्षणों से गुजरने से पहले जान गए हो, लेकिन तुम्हारी वास्तविक कद-काठी उनके साथ पूरी तरह से असंगत हैं। तुम लोग जो जानते हो वह उससे अधिक है जो तुम लोग अभ्यास में लाते हो। यद्यपि तुम लोग कहते हो कि जो लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, उन्हें परमेश्वर से प्रेम करना चाहिए, और आशीषों के लिए नहीं बल्कि केवल परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए प्रयत्न करना चाहिए, तुम्हारे जीवन में जो अभिव्यक्त होता है, वह इससे एकदम अलग है, और बहुत दूषित हो गया है। अधिकांश लोग शांति और अन्य लाभों के लिए परमेश्वर पर विश्वास करते हैं। जब तक यह तुम्हारे लाभ के लिए न हो, तब तक तुम परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते हो, और यदि तुम परमेश्वर के अनुग्रह प्राप्त नहीं कर सकते हो, तो तुम खीज जाते हो। तुमने जो कहा वो तुम्हारी असली कद-काठी कैसे हो सकती है? जब अनिवार्य पारिवारिक की घटनाओं (जैसे कि बच्चों का बीमार पड़ना, प्रियजनों का अस्पताल जाना, ख़राब फसल पैदावार, परिवार के सदस्यों द्वारा उत्पीड़न) की बात आती है, तो तुम इन्हें चीजों को भी नहीं झेल पाते हो जो प्रायः दिन-प्रतिदिन जीवन में होती हैं। जब ऐसी चीजें होती हैं, तो तुम घबरा जाते हो, तुम्हें पता नहीं होता कि क्या करना है—और अधिकांश समय, तुम परमेश्वर के बारे में शिकायत करते हो। तुम शिकायत करते हो कि परमेश्वर के वचनों ने तुम्हारे साथ चालाकी की है, कि परमेश्वर के कार्य ने तुम्हें परेशानी में डाल दिया है। क्या तुम लोगों के ऐसे विचार नहीं हैं? क्या तुम्हें लगता है कि ऐसी चीजें कभी-कभार ही तुम लोगों के बीच में होती हैं? तुम लोग इस तरह की घटनाओं के बीच रहते हुए हर दिन बिताते हो। तुम लोग परमेश्वर में अपने विश्वास की सफलता के बारे में और कैसे परमेश्वर की इच्छा को पूरा करें, इस बारे में जरा सा भी विचार नहीं करते हो। तुम लोगों की असली कद-काठी बहुत छोटी है, यहाँ तक कि चूजे से भी छोटी है। जब तुम लोगों के परिवार के व्यवसाय में नुकसान होता है तो तुम परमेश्वर के बारे में शिकायत करते हो, जब तुम लोग स्वयं को परमेश्वर की सुरक्षा के बिना किसी वातावरण में पाते हो तब भी तुम लोग परमेश्वर के बारे में शिकायत करते हो, यहाँ तक कि तुम तब भी शिकायत करते हो जब तुम्हारे चूजे मर जाते हैं या तुम्हारी बूढ़ी गाय बाड़े में बीमार पड़ जाती है, तुम तब शिकायत करते हो जब तुम्हारे बेटे का शादी करने करने का समय आता है लेकिन तुम्हारे परिवार के पास पर्याप्त धन नहीं होता है, और जब कलीसिया के कार्यकर्ता तुम्हारे घर पर कुछ भोजन खाते हैं, लेकिन कलीसिया तुम्हें प्रतिपूर्ति नहीं करती है या कोई भी तुम्हें कोई सब्ज़ी नहीं भेजता है, तब भी तुम शिकायत करते हो। तुम्हारा पेट शिकायतों से भरा है, और इस वजह से तुम कभी-कभी सभाओं में नहीं जाते हो या परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते नहीं हो, लंबे समय तक तुम्हारे नकारात्मक हो जाने की संभावना हो जाती है। आज तुम्हारे साथ जो भी कुछ भी होता है उसका तुम्हारी संभावनाओं या भाग्य से कोई संबंध नहीं है; ये चीजें तब भी होती जब तुम परमेश्वर पर विश्वास नहीं भी करते, मगर आज तुम उनका उत्तरदायित्व परमेश्वर पर डाल देते हो और यह कहने पर जोर देते हो कि परमेश्वर ने तुम्हें हटा दिया है। परमेश्वर में तुम्हारे विश्वास का क्या, क्या तुमने अपना जीवन सचमुच अर्पित किया है? यदि तुम लोगों ने अय्यूब के समान परीक्षणों का सामना किया होता, तो परमेश्वर का अनुसरण करने वाले तुम लोगों में से ऐसा कोई भी आज डटा नहीं रह पाता, तुम सभी लोग नीचे गिर जाते। और, निस्संदेह, तुम लोगों के और अय्यूब के बीच ज़मीन-आसमान का अंतर है। आज, यदि तुम लोगों की आधी संपत्ति जब्त कर ली जाए तो तुम लोग परमेश्वर के अस्तित्व को अस्वीकार करने की हिम्मत करोगे; यदि तुम्हारे बेटे या बेटी को तुम से ले लिया जाए, तो तुम चिल्लाते हुए सड़कों पर दौड़ेंगे कि तुम्हारे साथ अन्याय हुआ है; यदि तुम्हारे पास आजीविका कमाने का कोई रास्ता न बचे, तो तुम परमेश्वर से चर्चा करने की कोशिश करोगे; तुम पूछोगे कि मैंने तुम्हें डराने के लिए शुरुआत में इतने सारे वचनों को क्यों कहा। ऐसा कुछ नहीं है जिसे तुम लोग ऐसे समय में करने की हिम्मत नहीं करोगे। यह दर्शाता है कि तुम लोगों ने वास्तव में कोई सच्ची अंतर्दृष्टि नहीं पायी है, और तुम लोगों की कोई वास्तविक कद काठी नहीं है। इस प्रकार, तुम लोगों में परीक्षण अत्यधिक बड़े हैं, क्योंकि तुम लोग बहुत ज्यादा जानते हो, लेकिन तुम लोग वास्तव में जो समझते हो वह उसका हज़ारवाँ अंश भी नहीं है जिससे तुम लोग अवगत हो। मात्र समझ और ज्ञान पर मत रुको; सबसे अच्छा रहता कि तुम लोग यह देखते कि तुम लोग वास्तव में कितना अभ्यास में ला सकते हो, पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और रोशनी में कितनी है जो तुम्हारे कठोर परिश्रम के पसीने से अर्जित की गयी है, और तुम लोगों ने अपने कितने अभ्यासों में अपने स्वयं के संकल्प को समझा है। तुम्हें अपनी कद-काठी पर विचार करना चाहिए और गंभीरतापूर्वक अभ्यास करना चाहिए। परमेश्वर में तुम्हारे विश्वास में, तुम्हें किसी के लिए भी मात्र ढोंग करने का प्रयास नहीं करना चाहए—अंतत: तुम सत्य और जीवन प्राप्त कर सकते हो या नहीं यह तुम्हारी स्वयं की खोज पर निर्भर करता है।
स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
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