जो लोग अंधे हैं उन्हें मेरे पास से अवश्य चले जाना चाहिए और एक पल के लिए भी नहीं टिकना चाहिए, क्योंकि जिन लोगों को मैं चाहता हूँ ये वे लोग हैं जो मुझे जान सकते हैं, जो मुझे देख सकते हैं और जो मुझसे सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं। और कौन वास्तव में मुझसे सब कुछ प्राप्त कर सकता है? निश्चित रूप से इस तरह के लोग बहुत कम हैं और वे अवश्य मेरे आशीषों को प्राप्त करेंगे। मैं इन लोगों से प्रेम करता हूँ और उन्हें मैं अपना दायाँ हाथ बनने, मेरी अभिव्यक्तियाँ बनने के लिए एक-एक करके चुनूँगा, और मैं सभी राष्ट्रों और सभी लोगों से, उन्हीं के वास्ते जयजयकार कराते हुए, लगातार अपनी स्तुति करवाऊँगा।हे, पर्वत सिय्योन! जीत का झंडा उठा और मेरी जयजयकार कर! क्योंकि मैं, पर्वतों, नदियों के हर कोने को और सभी चीज़ों को आवृत करते हुए, फिर यहाँ दोबारा लौटते हुए, ब्रह्मांड के अंत तक घूमता हूँ। मैं धार्मिकता, न्याय, कोप और दहन के साथ और उससे भी अधिक अपने ज्येष्ठ पुत्रों के साथ विजयी रूप से लौटता हूँ। उन सभी चीज़ों को जिनसे मैं घृणा करता हूँ और उन सभी लोगों, मामलों, और वस्तुओं को जिनसे मैं नफ़रत करता हूँ, बहुत दूर फेंक देता हूँ। मैं विजेता हूँ और मैंने वह सब पूरा कर लिया है जो मैं करना चाहता हूँ। कौन ऐसा कहने का साहस करता है कि मैंने अपना कार्य पूरा नहीं किया है? कौन ऐसा कहने का साहस करता है कि मैंने अपने ज्येष्ठ पुत्रों को प्राप्त नहीं किया है? कौन ऐसा कहने का साहस करता है कि मैं जीत के साथ वापस नहीं आया हूँ? वे निश्चित रूप से शैतान के प्रकार हैं, और ऐसे लोग हैं जिन्हें मेरी क्षमा पाना मुश्किल लगता हैं। वे अंधे हैं, वे गंदे राक्षस हैं और मैं उनसे सर्वाधिक घृणा करता हूँ। इन चीज़ों पर मैं अपने कोप और अपने न्याय की समग्रता को प्रकट करना शुरू करूँगा और, मेरी जलती हुई आग के माध्यम से, हर कोने को रोशन करते हुए, ब्रह्मांड को शुरू से अंत तक जला दूँगा—यह मेरा प्रशासनिक आदेश है।
एक बार जब मेरे वचन तेरी समझ में आ जाते हैं, तो तुझे उनसे सान्त्वना मिलनी चाहिए; तुझे उन्हें ध्यान दिए बिना बिल्कुल नहीं गुज़रने देना चाहिए। न्याय के कथन हर दिन पड़ते हैं, तो तुम लोग इतने मंद-बुद्धि और सुन्न क्यों हो? तुम लोग मेरे साथ सहयोग क्यों नहीं करते हो? क्या तुम लोग नरक में जाने के लिए इतने इच्छुक हो? मैं कहता हूँ कि मैं अपने ज्येष्ठ पुत्रों, अपने पुत्रों और लोगों के लिए दया का परमेश्वर हूँ, तो तुम लोग इसे कैसे समझते हो? यह एक साधारण वक्तव्य नहीं है, और इसे सकारात्मक परिप्रेक्ष्य से समझा जाना चाहिए। ओह, अंधी मानवजाति! मैंने, तुम लोगों को शैतान के चंगुल से और ताड़ना से बाहर निकाल कर, तुम लोगों को कई बार बचाया है ताकि तुम लोग मेरा वादा प्राप्त कर सको, तो तुम लोग मेरे हृदय के लिए कोई विचारशीलता क्यों नहीं दिखाते हो? क्या इस तरह से तुम लोगों में से किसी को भी बचाया जा सकता है? मेरी धार्मिकता, प्रताप और न्याय शैतान के प्रति कोई दया नहीं दिखाते हैं। लेकिन तुम लोगों के लिए, वे तुम लोगों को बचाने के लिए हैं, फिर भी तुम लोग मेरे स्वभाव को समझने में अक्षम हो, न ही तुम लोग मेरे कार्यों के पीछे के सिद्धांतों को जानते हो। तुम लोगों ने सोचा था कि मैं अपने कार्यों की गंभीरता, या उनके लक्ष्यों की परवाह किए बिना कार्य करता हूँ—कितने अज्ञानी हो! मैं सभी लोगों, घटनाओं और चीज़ों को स्पष्ट रूप से देखने में समर्थ हूँ। मैं प्रत्येक व्यक्ति के सार की वास्तविक प्रकृति को पूरी स्पष्टता के साथ समझता हूँ, जिसका अर्थ है कि, मैं उन चीज़ों की वास्तविक प्रकृति का पूरी तरह से पता लगा लेता हूँ जिन्हें कोई व्यक्ति अपने स्वयं के भीतर आश्रय देता है। मैं स्पष्ट रूप से देख सकता हूँ कि क्या कोई व्यक्ति ईजेबेल है या वेश्य, और मुझे पता है कि कौन गुप्त रूप से क्या करता है। मेरे सामने अपने आकर्षण का दिखावा मत कर—कमबख्त! यहाँ से अभी बाहर निकल! ताकि मेरा नाम शर्मिंदा होने से बचे, मेरे पास इस तरह के व्यक्तियों के लिए कोई उपयोग नहीं है! वे मेरे नाम की गवाही नहीं दे सकते हैं, बल्कि इसके बजाय वे प्रतिकूल ढंग से कार्य करते हैं और वे मेरे परिवार को अपमानित करते हैं! उन्हें तुरंत मेरे घर से निष्कासित कर दिया जाएगा। मुझे वे नहीं चाहिए। मैं एक पल का विलंब भी सहन नहीं करूँगा! चाहे वे कैसे ही क्यों न खोजें यह उन लोगों के लिए व्यर्थ है, क्योंकि मेरे राज्य में सभी पवित्र और किसी भी दोष से मुक्त हैं। मेरे लोगों सहित, यदि मैं कहता हूँ कि मुझे कोई व्यक्ति नहीं चाहिए तो मुझे वह सच में नहीं चाहिए; मेरा मन बदलने की प्रतीक्षा मत कर। मुझे परवाह नहीं है कि पहले तूने मेरे प्रति कितना अच्छा था!
मैं हर दिन तुम लोगों के लिए रहस्यों को प्रकट करता हूँ। क्या तुम लोग बोलने की मेरी विधि को जानते हो? मैं अपने रहस्यों को किसके अनुसार प्रकट करता हूँ? क्या तुम लोग जानते हो? तुम लोग अक्सर कहते हो कि मैं ही वह परमेश्वर हूँ जो तुम लोगों का सही समय पर भरण-पोषण करता है, तो तुम लोग इन पहलुओं को कैसे समझते हो? मैं तुम लोगों के लिए एक-एक करके अपने कार्य के चरणों के अनुसार अपने रहस्यों को प्रकट करता हूँ, और मैं अपनी योजनानुसार और उससे भी अधिक तुम लोगों की वास्तविक कद-काठी के अनुसार तुम लोगों का भरण-पोषण करता हूँ, (भरण-पोषण करना राज्य में हर एक व्यक्ति के संदर्भ में उल्लेख किया जाता है)। मेरे बोलने की विधि इस प्रकार है: मेरे घर के लोगों को मैं सान्त्वना देता हूँ, मैं उन्हें भरण-पोषण प्रदान करता हूँ और मैं उनका न्याय करता हूँ; शैतान के लिए मैं कोई दया नहीं दिखाता हूँ, और उसके लिए केवल कोप और दहन है। जिन्हें मैंने पूर्वनियत या चयनित नहीं किया है उन्हें एक-एक करके अपने घर से बाहर फेंकने के लिए मैं अपने प्रशासनिक आदेशों का उपयोग करूँगा। चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। जब मैं उनसे उनके मूल रूपों को प्रकट करवा देता हूँ उसके बाद (जब अंत में वे मेरे पुत्रों के लिए सेवा प्रदान करते हैं उसके बाद), वे अथाह गड्ढे में लौट जाएँगे, नहीं तो मैं इस मामले को कभी ख़त्म नहीं करूँगा और मैं कभी नहीं छोड़ूँगा। लोग प्रायः नरक और अधोलोख का उल्लेख करते हैं। किन्तु ये दोनों शब्द किसका संकेत करते हैं, और उनके बीच क्या अंतर है? क्या वे वास्तव में किसी ठंडे, अंधकारमय कोने का उल्लेख करते हैं? मानव मन हमेशा मेरे प्रबंधन में बाधा डालता रहा है। वे अनियत तरीके से चीज़ों पर विचार करते हैं, फिर भी उन्हें लगता है कि यह बहुत अच्छा है! अधोलोक और नरक दोनों गंदगी के मंदिर का संकेत करते हैं जिसमें पहले शैतान या दुष्ट आत्माओं द्वारा निवास किया जाता था। अर्थात्, जिस किसी पर भी शैतान या बुरी आत्माओं द्वारा पहले कब्जा किया गया है, यही वे लोग हैं जो अधोलोक हैं और वही हैं जो नरक हैं—इसमें कोई त्रुटि नहीं है! यही कारण है कि मैंने अतीत में बार-बार जोर दिया है कि मैं गंदगी के मंदिर में नहीं रहता हूँ। क्या मैं (स्वयं परमेश्वर) अधोलोक में, या नरक में रह सकता हूँ? क्या यह अनुचित बकवास नहीं होगा? मैंने यह कई बार कहा है लेकिन तुम लोगों की समझ में अभी भी नहीं आता कि मेरा क्या मतलब है। नरक की तुलना में, अधोलोक को शैतान के द्वारा अधिक गंभीर रूप से दूषित किया जाता है। जो लोग अधोलोक के लिए हैं वे सबसे गंभीर मामले हैं, और मैंने इन लोगों को पूर्वनियत किया ही नहीं है; जो लोग नरक के लिए हैं ये वे लोग हैं जिन्हें मैंने पूर्वनियत किया है, किन्तु उन्हें निकाल दिया गया है। आसान भाषा में कहें तो, मैंने इन लोगों में से एक को भी नहीं चुना है।
लोग अक्सर मेरे वचनों को ग़लत ढंग से समझने वाले विशेषज्ञ होना दर्शाते हैं। यदि मैं थोड़ा-थोड़ा करके चीज़ों को स्पष्ट रूप से नहीं दिखाता और समझाता, तो तुम लोगों में से कौन उसे समझता? मैं जो वचन बोलता हूँ उनमें भी तुम लोग केवल आधा ही विश्वास करते हो, उन चीज़ों की तो बात ही रहने दो जिनके बारे में पहले उल्लेख नहीं किया गया है। अब, सभी देशों के भीतर आंतरिक विवाद शुरू हो गए हैं: मजदूर नेताओं के साथ, छात्र शिक्षकों के साथ, नागरिक राज्य के संवर्गों के साथ विवाद कर रहे हैं, और इस तरह की सभी गतिविधियाँ जो अशांति का कारण बनती हैं, पहले हर देश में उत्पन्न होती हैं, और यह सब केवल एक हिस्सा है जो मुझे सेवा प्रदान करता है। और मैं क्यों कहता हूँ कि यह मुझे सेवा प्रदान करता है? क्या मैं लोगों के दुर्भाग्य में आनंद लेता हूँ? क्या मैं बेपरवाह बैठता हूँ?
निस्संदेह नहीं! क्योंकि यह शैतान है जो अपनी अंतिम मौत की कसक में, और नकारात्मक पक्ष से, घोर निन्दा कर रहा है, यह मेरी सामर्थ्य के लिए एक विषमता के रूप में कार्य करता है और मेरे अद्भुत कर्मों के लिए एक विषमता के रूप में कार्य करता है। यह सब एक मज़बूत गवाही है जो मेरी गवाही देती है, और यह शैतान पर हमला करने का एक हथियार है। ठीक जब दुनिया के सभी राष्ट्र भूमि और प्रभाव के लिए लड़ रहे हैं, तो मैं और मेरे ज्येष्ठ पुत्र साथ-साथ राजाओं के रूप में शासन करते हैं और उन्हें ठीक करते हैं, और यह सर्वथा उनकी कल्पनाओं से परे है कि इन दुःखद पर्यावरणीय परिस्थितियों में, मेरा राज्य मनुष्य के बीच पूरी तरह से साकार होता है। इसके अलावा, जब वे सत्ता के लिए झगड़ते हैं और दूसरों की आलोचना करने की इच्छा करते हैं, तो दूसरे भी उनकी आलोचना करते हैं और वे मेरे कोप द्वारा जला दिए जाते हैं—कितना दयनीय है! कितना दयनीय है! मेरा म्राज्य मनुष्य के बीच साकार होता है—यह कितनी महिमामयी घटना है!
मनुष्य होने के नाते (चाहे मेरे राज्य के लोग हों या शैतान के वंशज), तुम सभी लोगों को मेरे अद्भुत कर्मों को अवश्य देखना चाहिए, अन्यथा मैं इस मामले को कभी भी खत्म नहीं करूँगा। भले ही तू मेरे न्याय को स्वीकार करने का इच्छुक हो, तब भी इससे काम नहीं चलेगा यदि तूने मेरे अद्भुत कर्मों को नहीं देखा है। सभी लोगों को मन से, वचन से और दृष्टि से आश्वस्त अवश्य होना चाहिए, और किसी को भी चुपके से निकलने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सभी लोगों को मुझे महिमा अवश्य देनी चाहिए। अंत में, मैं बड़े लाल अजगर को भी खड़ा करवाऊँगा और मेरी जीत के लिए मेरी स्तुति करूवाऊँगा। यह मेरा प्रशासनिक आदेश है—क्या यह तुझे याद रहेगा? सभी लोगों को अवश्य अनंत रूप से मेरी स्तुति करनी चाहिए और मुझे महिमा देनी चाहिए!
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