जैसे ही तुम्हें किसी कमी या दुर्बलता का पता चले, उसे दूर करने के लिए तुम्हें मुझ पर भरोसा रखना चाहिए। विलम्ब न करो; अन्यथा पवित्र आत्मा का कार्य तुमसे बहुत दूर होगा, और तुम बहुत पीछे रह जाओगे। जो कार्य मैंने तुम्हें सौंपा है, वह, तुम्हारे, मेरे समीप आने, प्रार्थना करने और मेरी उपस्थिति में सहभागिता करने पर ही पूरा हो सकता है। यदि नहीं, तो कोई परिणाम प्राप्त न होंगे, और सब कुछ व्यर्थ होगा। मेरा आज का कार्य वैसा नहीं है जैसा वह पूर्व में था। उन लोगों में, जिन्हें में प्रेम करता हूँ, जीवन का परिमाण पहले जैसा नहीं है। वे मेरे वचन स्पष्ट रूप में समझते हैं, और उनके प्रति उनमें कुशाग्र प्रवीणता होती है। यह सर्वाधिक स्पष्ट पहलू है, यह मेरे कार्य की अद्भुतता को परावर्तित करने मे सबसे अधिक सक्षम है।मेरे कार्य की गति तीव्र हो गई है, और मेरा कार्य निश्चित रूप से अतीत से भिन्न है। लोगों के लिए इसकी कल्पना करना कठिन है, और उससे भी अधिक, लोगों के लिए इसकी थाह पाना असंभव है। तुम लोगों के लिए अब कुछ भी रहस्य नहीं है; बल्कि सभी कुछ ज्ञात और प्रत्यक्ष करा दिया गया है। यह पारदर्शी है, मुक्त किया हुआ है, और, इसके अतिरिक्त, यह पूर्णत: स्वतंत्र है। जिन्हें मैं प्रेम करता हूँ वे निश्चित रूप से किसी भी व्यक्ति, घटना, वस्तु या किसी स्थान अथवा भूभाग से सीमित न होंगे; वे सभी प्रकार के परिवेशों के नियंत्रण के परे चले जाएंगे तथा देह से उभर जाएंगे। यह मेरे महान कार्य का समापन है। कुछ भी शेष न रहेगा; उसका पूरी तरह अंत हो जाएगा।
इस महान कार्य के समापन का कथन सभी पहिलौठे पुत्रों और ऐसे सभी लोग जिन्हें मैं प्रेम करता हूँ, उनके संदर्भ में किया जाता है। इसके पश्चात तुम कभी भी किसी व्यक्ति, घटना अथवा वस्तु के द्वारा नियंत्रित नहीं किए जाओगे। तुम सभी राष्ट्रों में चारों ओर यात्रा करोगे, संपूर्ण ब्रह्माण्ड में घूमोगे, ताकि तुम लोगों के पदचिन्ह सभी जगह रहें। इसे बहुत अधिक दूर न समझो; यह कुछ ऐसा है जो अतिशीघ्र तुम्हारी आंखों के सामने साकार होगा। जो मैं करता हूँ वह तुम लोगों को सौंप दिया जाएगा, ओर जिन स्थानों पर मैं पग रखता हूँ वहाँ तुम लोगों के पदचिन्ह रहेंगे। यही मेरा और तुम लोगों का, साथ-साथ राजाओं के रूप में शासन करने का सही अर्थ है। क्या तुमने कभी विचार किया है कि जो प्रकाशन मैं देता हूँ वह किसी भी गुप्तता से रहित, निरंतर और अधिक साफ़, अधिकाधिक स्पष्ट क्यों है? क्यों मैंने सर्वोच्च साक्ष्य दिए हैं, और तुम लोगों को सभी भेद और सारे वचन बताये हैं? इसका कारण, ऊपर उल्लेखित कार्य के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। मगर तुम लोगों के काम की प्रगति अभी भी बहुत मंथर है। तुम मेरे डगों के साथ अपनी चाल नहीं बैठा पा रहे हो, मेरे साथ बहुत अच्छे से सहयोग नहीं कर पा रहे हो, और अभी के लिए तुम मेरी इच्छा को प्राप्त करने में असमर्थ हो। मुझे तुम लोगों को और तीव्रता से प्रशिक्षित करना होगा, अपने द्वारा तुम लोगों की पूर्णता को और वेग देना होगा, ताकि तुम लोग मेरे हृदय को जितना शीघ्र हो सके संतुष्ट कर सको।
सबसे अधिक स्पष्ट बात अब यह है कि पहिलौठे पुत्रों का एक समूह संपूर्ण रूप से बन गया है, जो कि संसार की रचना से, मेरे द्वारा पूर्वनिर्धारित भी किए गए और चुने गए थे, जिनमें से प्रत्येक को मैंने अपने हाथों से बढ़ावा दिया, सब कुछ मेरे द्वारा अनुमोदित है। इसमें किसी मानवीय सोच के लिए कोई जगह नहीं है, और यह तुम्हारे नियंत्रण से बाहर है। अभिमानी न बनो; यह मेरी कृपालुता और करूणा है। मेरी दृष्टि में, सब कुछ पहले ही सम्पन्न हो चुका है। क्योंकि तुम लोगों की आंखें बहुत धुंधलाई हुई हैं, इसी कारण मात्र तुम अभी भी मेरे कर्मों की अद्भुतता देखने में समर्थ नहीं हो। तुम लोग बिल्कुल भी मेरी सर्वशक्तिसम्पन्नता, मेरी बुद्धिमत्ता, मेरे हर कृत्य, और मेरे प्रत्येक वचन तथा कर्मों के विषय में स्पष्ट नहीं हो। अत: मैं स्पष्ट रूप से कहता हूँ। अपने पुत्रों, अपने प्रियजनों के लिए, मैं कोई भी मूल्य अदा करने के लिए तत्पर हूँ, मैं श्रम करने हेतु तैयार हूँ, और मैं स्वयं को व्यय करने के लिए तैयार हूँ। क्या तुम मुझे मेरे वचनों के माध्यम से जानते हो? क्या तुम मुझसे और स्पष्ट रूप से कहलवाना चाहते हो? और अधिक हठीले न बनो; मेरे हृदय का ध्यान रखो! अब चूंकि इतना महान रहस्य तुम लोगों को बताया जा चुका है, तो तुम लोगों को क्या कहना है? क्या तुम में अभी भी कुछ शिकायतें बाकी हैं? यदि तुम मूल्य नहीं चुकाते हो और कड़ा श्रम नहीं करते हो, तो क्या तुम मेरे द्वारा उठाई गईं सभी कठिनाईयों के योग्य हो सकते हो?
इन दिनों लोग स्वयं पर नियंत्रण नहीं कर पाते हैं। यदि मैं किसी पर अति कृपा न करूं, तो वे मुझे प्रेम नहीं कर पाएंगे, भले ही वे ऐसा करना चाहते हों। मगर, जिन लोगों को मैंने पूर्वनिधारित किया और चुना है, वे चाह कर भी बच नहीं पाएंगे; चाहे वे जहां भी जाएं, वे मेरी हथेली से बच नहीं पाएंगे। ऐसा मेरा प्रताप है, इससे भी और अधिक ऐसा मेरा न्याय है। सभी लोगों को अपने कार्य मेरी योजना, और मेरी इच्छा के अनुसार करने चाहिए। अब के बाद से, पूर्णतया सब कुछ मेरे हाथों में लौटता है, और उनके स्वयं के नियंत्रण के बाहर है। वह पूरी तरह मेरे द्वारा संचालित और व्यवस्थित किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति मामूली ढंग से इसमें भाग लेता है, तो मैं उसे सहजता से नहीं छोड़ दूंगा। आज से शुरू कर, मैं सभी लोगों को मुझे जानना प्रारंभ करने दूंगा–एकमात्र सच्चा परमेश्वर जिसने सभी कुछ रचा, जो लोगों के मध्य आया और जिसे लोगों ने अस्वीकार और कलंकित किया, जो सब कुछ पर नियंत्रण रखता और उसकी व्यवस्था करता है, वह राजा जो राज्य का प्रभारी है, वह परमेश्वर जो ब्रह्माण्ड का प्रबंधन करता है, इसके अतिरिक्त वह परमेश्वर जो मनुष्यों के जीवन और मृत्यु पर नियंत्रण करता है और जिसके पास अधोलोक की कुंजियाँ हैं। मैं सभी लोगों (वयस्क, बच्चे, चाहे उनमें आत्मायें हों या न हों, या वे मूर्ख हों अथवा उनमें कोई अक्षमता हो, आदि) को मुझे जानने दूंगा। मैं किसी को भी इस कार्य से बचने नहीं देता; यह सबसे गंभीर कार्य है, एक ऐसा कार्य जिसे मैंने अच्छे से तैयार किया है, एक ऐसा कार्य जो ठीक अभी से प्रारंभ होकर क्रियान्वित किया जा रहा है। जो मैं कहता हूँ वह होगा। अपनी आध्यात्मिक आंखों को खोलो, अपनी अवधारणाओं को छोड़ दो, और यह पहचानो कि मैं ही वह सच्चा परमेश्वर हूँ जो पूरी कायनात का प्रशासन करता है! मैं किसी से छिपा हुआ नहीं हूँ, और मैं सभी के प्रति अपनी प्रशासकीय आज्ञाओं को पूरा करता हूँ।
अपनी सभी बातें एक ओर रख दो। क्या मुझसे जो चीज़ें तुम्हें प्राप्त होती हैं वे अधिक मूल्यवान और अधिक महत्वपूर्ण नहीं हैं? क्या उनमें और तुम्हारे कूड़े-करकट में ज़मीन-आसमान का अंतर नहीं हैं? व्यर्थ की सभी वस्तुओं को त्यागने में कोई समय न गंवाओ। आशीषों की प्राप्ति होगी या दुर्गति का सामना होगा, यह बात निर्णित हो चुकी है। यही निर्णायक क्षण है; यह नाज़ुक घड़ी भी है। क्या तुम इसे देख पा रहे हो?
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