2019-07-09

अध्याय 107

परमेश्वर का वचन-अध्याय 107

जब मेरे वचन एक निश्चित अंश तक गंभीर होते हैं, तो अधिकांश लोग मेरे वचनों की वजह से पीछे हट जाते हैं। ठीक इसी समय मेरे ज्येष्ठ पुत्रों को प्रकट किया जाता है। मैंने कहा है कि मैं एक भी अँगुली नहीं उठाऊँगा, बल्कि सभी चीज़ों को प्राप्त करने के लिए केवल अपने वचनों का उपयोग करूँगा। मैं उन सभी को नष्ट करने के लिए अपने वचनों का उपयोग करता हूँ जिनसे मैं नफ़रत करता हूँ, और मैं अपने ज्येष्ठ पुत्रों को सिद्ध बनाने के लिए भी अपने वचनों का उपयोग करता हूँ। (जब मेरे वचन बोले जाएँगे, तो सात गरजनें सुनाई देंगी, और उस पल में मेरे ज्येष्ठ पुत्र और मैं रूप बदलेंगे और आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश करेंगे)। जब मैंने कहा कि मेरा आत्मा व्यक्तिगत रूप से कार्य करता है, तो मेरा मतलब था कि मेरे वचन सब प्राप्त कर लेते हैं, और इस के माध्यम से कोई देख सकता है कि मैं सर्वशक्तिमान हूँ।इसलिए, कोई भी मेरे प्रत्येक वाक्य के लक्ष्य और उद्देश्य को और भी अधिक स्पष्टता के साथ देख सकता है। मैंने पहले कहा है, कि मैं अपनी मानवता के भीतर जो कुछ भी कहता हूँ वह मेरी अभिव्यक्ति का एक पहलू है। इसलिए, जो मैं अपनी सामान्य मानवता के भीतर कहता हूँ उसके बारे में जो लोग निश्चित नहीं हो सकते हैं और उसमें वास्तव में विश्वास नहीं करते हैं वे अवश्य हटा दिए जाने चाहिए! मैंने बार-बार जोर दिया है कि मेरी सामान्य मानवता मेरी पूर्ण दिव्यता का एक अपरिहार्य पहलू है, फिर भी बहुत से लोग मेरी मानवता को अनदेखा करते हुए अभी भी मेरी पूर्ण दिव्यता पर ध्यान केंद्रित करते हैं। तू अंधा है! तू कहता है कि मैं तेरी धारणाओं के अनुकूल नहीं हूँ, कि मैं जो मनुष्य हूँ वह परमेश्वर के तेरे विचारों के अनुरूप नहीं है।[क] क्या ये लोग मेरे राज्य में रह सकते हैं? मैं तुझे अपने पैरों के नीचे कुचल दूँगा! तू बस मेरे विरुद्ध विद्रोह करने का साहस तो कर! तू बस इतना ज़िद्दी होने का साहस तो कर! मेरी मुस्कुराहट उन धारणाओं को पूरा नहीं करती हैं जो तू रखता है, मेरा भाषण तेरे कानों के लिए सुखद नहीं है, और मेरे कार्य तेरे लिए फायदेमंद नहीं हैं, है ना? ये सभी चीज़ें तेरी पसंद की होनी चाहिए—क्या परमेश्वर ऐसा है? और ये लोग मेरे घर में रहना चाहते हैं, और मेरे राज्य में आशीषों को प्राप्त करना चाहते हैं? क्या तू दिवास्वप्न नहीं देख रहा है? ऐसी अद्भुत बात कैसे हो सकती है! तू मेरी अवज्ञा करना चाहता है, फिर भी मुझसे आशीषें प्राप्त करना चाहता है। मैं तुझसे कहता हूँ: किसी भी तरीके से ऐसा नहीं होगा! जो लोग मेरे राज्य में प्रवेश करते हैं और आशीषें प्राप्त करते हैं, ये अवश्य वे लोग होने चाहिए जिन्हें मैं प्यार करता हूँ, जैसा कि मैंने कई बार कहा है। मैं इन वचनों पर जोर क्यों देता हूँ? मैं जानता और समझता हूँ कि हर कोई अपने हृदय में क्या सोच रहा है, मुझे उनके सभी विचारों को इंगित करने की आवश्यकता नहीं है। उनके सच्चे रूपों को न्याय के मेरे वचनों के माध्यम से प्रकट किया जाएगा और सभी न्याय के मेरे आसन के सामने दुःख से चीखेंगे। यह एक स्पष्ट तथ्य है जिसे कोई नहीं बदल सकता है! अंत में, मैं उन्हें एक-एक करके अथाह गड्ढे में प्रवेश करवाऊँगा। दुष्ट शैतान के बारे में मेरे न्याय का यह अंतिम प्रभाव है। मुझे प्रत्येक व्यक्ति का उपचार करने के लिए न्याय और प्रशासनिक आदेशों का उपयोग अवश्य करना होगा, और यह ताड़ना का मेरा तरीका है। क्या तुम लोगों के पास इसका सच्चा परिज्ञान है? मुझे शैतान को कोई कारण बताने की आवश्यकता नहीं है, मैं पीटने के लिए अपनी लोहे की छड़ी का तब तक उपयोग करता हूँ जब तक कि यह लगभग मरने की स्थिति तक न पहुँच गया हो और दया की भीख न माँग रहा हो। इसलिए जब लोग न्याय के मेरे वचनों को पढ़ते हैं, तो वे इसे थोड़ा सा भी नहीं समझ सकते हैं, लेकिन मेरे परिप्रेक्ष्य से, हर शब्द, हर वाक्य मेरे प्रशासनिक आदेशों का एक कार्यान्वयन है। यह एक स्पष्ट तथ्य है।
आज से मैं न्याय ला रहा हूँ, इसमें न्याय का आसन शामिल है। इससे पहले तुम लोगों ने बार-बार कहा है कि तुम लोग मसीह के आसन के समक्ष न्याय प्राप्त करोगे। तुम लोगों को न्याय के बारे में समझ है, लेकिन तुम लोग न्याय के आसन की कल्पना नहीं कर सकते हो। शायद कुछ लोग सोचते हों कि न्याय का आसन एक भौतिक वस्तु है, वे इसकी एक बड़ी मेज के रूप में कल्पना कर सकते हैं, या शायद वे इसकी धर्मनिरपेक्ष दुनिया में न्याय की कुर्सी के रूप में कल्पना कर सकते हैं। निस्संदेह, इस बार मेरी व्याख्या में, तुम लोगों ने जो कहा है मैं उससे इन्कार नहीं करूँगा, बल्कि मेरे लिए, लोगों की कल्पनाओं की चीज़ों के अभी भी प्रतीकात्मक अर्थ हैं। इसलिए लोगों की कल्पनाओं और मेरे मूल अर्थ के बीच की खाई अभी भी स्वर्ग और पृथ्वी के बीच की दूरी जैसी व्यापक है। लोगों की धारणाओं में, न्याय के आसन के सामने, दुःख में रोते हुए और दया के लिए भीख माँगते हुए बहुत से लोग जमीन पर पड़े हैं। यह पहले से ही मानव कल्पना का शिखर है और कोई भी इससे ज्यादा किसी चीज़ की कल्पना नहीं कर सकता है। तब न्याय का आसन क्या है? इससे पहले कि मैं रहस्यों को प्रकट करूँ, तुम लोगों को अवश्य उस सभी से इन्कार करना होगा जो तुम लोगों ने पहले से सोचा हुआ है और केवल तभी मेरे लक्ष्य तक पहुँचा जा सकता है। यही एकमात्र तरीका है जिससे इस क्षेत्र में तुम लोगों की धारणाओं और विचारों को दूर किया जा सकता है। जब मैं बोलता हूँ तो तुम लोगों को अवश्य हर समय ध्यान देना चाहिए। तुम लोगों को लापरवाह बिल्कुल नहीं होना चाहिए। मेरा न्याय का आसन दुनिया के सृजन के समय से ही स्थापित किया गया है। बीते युगों और पीढ़ियों में, मेरे न्याय के आसन के समक्ष कई लोग मर गए हैं, और कई लोग इसके सामने जी उठे हैं, जीवन की ओर लौट गए हैं। यह भी कहा जा सकता है कि शुरुआत से अंत तक मेरा न्याय कभी नहीं रुकता है, और इसलिए मेरा न्याय का आसन सदैव विद्यमान रहता है। जब न्याय के आसन का उल्लेख किया जाता है, तो सभी मनुष्यों में भय का अंश आ जाता है। निस्संदेह, मैंने ऊपर जो कहा है उससे, तुम लोग बिल्कुल भी नहीं जानते हो कि न्याय का आसन क्या है। न्याय का आसन और न्याय एक साथ होते है, लेकिन दो अलग-अलग पदार्थ हैं। (यह पदार्थ कोई भौतिक वस्तु नहीं है, बल्कि वचनों को संदर्भित करता है। मनुष्य इसे बिल्कुल भी नहीं देख सकते हैं)। न्याय मेरे वचनों को संदर्भित करता है। (भले ही वे तीखे या नरम हों, वे सभी मेरे न्याय में शामिल हैं। इस प्रकार, जो कुछ भी मैं अपने मुँह से बोलता हूँ वह न्याय है।) इससे पहले, लोगों ने मेरे वचनों को कई अलग-अलग प्रकारों में विभाजित किया था, जिसमें न्याय के वचन, सौम्य वचन और जीवन देने वाले वचन शामिल थे। आज, मैं तुम लोगों के लिए स्पष्ट कर दूँगा कि न्याय और मेरे वचन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। दूसरे शब्दों में, न्याय मेरा वचन है, और मेरे वचन न्याय हैं। तुम लोगों को उन्हें अलग-अलग बिल्कुल नहीं कहना चाहिए। लोगों की कल्पनाओं में, वे सोचते हैं कि तीखे वचन न्याय हैं, लेकिन लोगों को केवल आंशिक समझ ही है। जो कुछ भी मैं कहता हूँ वह न्याय है। अतीत में कही गई न्याय की शुरुआत मेरे आत्मा के आधिकारिक रूप से हर जगह कार्य करना शुरू करने और मेरे प्रशासनिक आदेशों को कार्यान्वित करने को संदर्भित करती है। इस वाक्य में, "न्याय" यथार्थ वास्तविकता को संदर्भित करता है। अब मैं न्याय के आसन की व्याख्या करूँगा: मैं क्यों कहता हूँ कि न्याय का आसन अनंत काल से अनंत काल तक विद्यमान रहता है और मेरे न्याय के साथ चलता है? क्या न्याय की मेरी व्याख्या से यह तुम लोगों की समझ में आता है? न्याय का आसन मुझ स्वयं को संदर्भित करता है। अनंत काल से अनंत काल तक, मैं सदैव आवाज़ दे रहा और बोल रहा हूँ। मैं सदैव रहता हूँ, इसलिए मेरा न्याय का आसन और मेरा न्याय सदैव एक साथ होंगे। यह अब स्पष्ट हो जाना चाहिए! लोग मुझे अपनी कल्पनाओं में एक वस्तु के रूप में देखते हैं, लेकिन इस संबंध में मैं तुम लोगों को दोष नहीं देता हूँ और मैं तुम लोगों की निंदा नहीं करता हूँ। मैं केवल इतना ही चाहता हूँ कि तुम लोगों के पास एक आज्ञाकारी हृदय हो और मेरे प्रकाशन को स्वीकार करो, और इससे जानो कि मैं स्वयं ही सर्वव्यापी परमेश्वर हूँ।
मेरे वचन पूरी तरह से लोगों की समझ से बाहर हैं, उनके लिए मेरे पदचिह्नों को ढूँढना असंभव है, और मेरी इच्छा को समझना उनके लिए असंभव है। इसलिए, आज तुम लोग जिस अवस्था में हो (मेरे प्रकाशन को प्राप्त करने में सक्षम होना, इसके भीतर से मेरी इच्छा को समझना, और इसके माध्यम से मेरे पदचिह्नों का अनुसरण करना) वह पूरी तरह से मेरे अद्भुत कार्यों, मेरे अनुग्रह और मेरी करुणा का परिणाम है। एक दिन, मैं तुम लोगों को अपनी बुद्धि को भी देखने दूँगा, देखने दूँगा कि मैंने अपने हाथों से क्या किया है, और मेरे कार्य के चमत्कार को देखने दूँगा। तब, तुम लोगों की नज़रों के सामने मेरी पूरी प्रबंधन योजना की रूपरेखा पूरी तरह से प्रकट हो जाएगी। ब्रह्मांड की दुनिया में और हर दिन, मेरे अद्भुत कार्यों की अभिव्यक्तियाँ होती रहती हैं, और सभी सेवा प्रदान कर रहे होते हैं ताकि मेरी प्रबंधन योजना पूरी की जा सके। जब यह पूरी तरह से प्रकट हो जाएगा, तो तुम लोग देखोगे कि सेवा प्रदान करने के लिए मैंने किस तरह के लोगों की व्यवस्था की है, मेरी इच्छा को पूरा करने के लिए मैंने किस तरह के लोगों की व्यवस्था की है, मैंने शैतान का शोषण करके क्या प्राप्त किया है, मैंने स्वयं क्या सम्पन्न किया है, किस तरह के लोग रो रहे हैं, किस तरह के लोग अपने दाँत पीस रहे हैं, किस प्रकार के लोग विनाश की पीड़ा को भुगतेंगे, और किस प्रकार के लोग तबाही को भुगतेंगे। विनाश से, मैं उन लोगों का उल्लेख कर रहा हूँ जिन्हें मैं आग और गंधक की झील में डालूँगा, जिन्हें पूरी तरह से जला दिया जाएगा, और तबाही से मेरा अर्थ उन लोगों से है जिन्हें मैं अनन्त काल तक दिन काटने के लिए अथाह गड्ढे में डालूँगा। इसलिए विनाश और तबाही को एक ही चीज़ समझने की ग़लती मत करो। इसके विपरीत, ये दोनों बहुत भिन्न हैं। सेवा करने वाले जो आज मेरे नाम को छोड़ देते हैं वे तबाही भुगतेंगे, और जो मेरे नाम के नहीं हैं वे विनाश की ओर जाएँगे। यही कारण है कि मैं कहता हूँ कि जो लोग तबाही भुगतेंगे वे मेरे न्याय के बाद मेरी अनन्त स्तुति करेंगे, किन्तु वे लोग मेरी ताड़ना से कभी भी छुटकारा नहीं पाएँगे, वे सदैव मेरे नियम को स्वीकार करेंगे। यही कारण है कि मैं कहता हूँ कि अथाह गड्ढा ही वह हाथ है जिसका उपयोग मैं लोगों को ताड़ना देने के लिए करता हूँ। मैं यह भी कहता हूँ कि सब मेरे हाथों में है। भले ही अथाह गड्ढा शैतान के प्रभाव को संदर्भित करता है, यह मेरे हाथों में भी है जिसे मैं लोगों को ताड़ना देने के लिए उपयोग करता हूँ। तो, जब मैं कहता हूँ कि सब मेरे हाथों में है, तो कोई विरोधाभास नहीं है। मेरे वचन गैर-जिम्मेदार नहीं हैं। वे उचित और सुसंगत हैं। वे बनावटी या उटपटांग नहीं हैं, और हर किसी को मेरे वचनों पर विश्वास करना चाहिए। भविष्य में, तुम लोग इसकी वजह से भुगतोगे। मेरे वचनों की वजह से, बहुत से लोग निरुत्साही या मायूस हो जाते हैं, या निराश हो जाते हैं, या चीखते, या रोते हैं। सभी प्रकार की प्रतिक्रियाएँ होंगी। एक दिन, जब वे सभी लोग हट जाएँगे जिनसे मुझे नफ़रत है, तो मेरा कार्य पूरा हो जाएगा। भविष्य में, ज्येष्ठ पुत्रों की वजह से बहुत से लोगों का पतन हो जाएगा, और अंत में वे कदम दर कदम छोड़ कर चले जाएँगे। दूसरे शब्दों में, मेरा घर धीरे-धीरे पवित्र हो जाएगा, और सभी प्रकार की दुष्टात्माएँ धीरे-धीरे मेरी ओर से, चुपचाप, विनम्रतापूर्वक और शिकायत के एक शब्द के बिना वापस चली जाएँगी। उसके बाद, मेरे सभी ज्येष्ठ पुत्रों को प्रकट किया जाएगा, और मैं अपने कार्य के अगले चरण को शुरू करूँगा। तभी केवल ज्येष्ठ पुत्र मेरे साथ राजा होंगे और पूरे ब्रह्मांड पर शासन करेंगे। ये मेरे कार्य के चरण हैं, और वे मेरी प्रबंधन योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इसे अनदेखा मत करो, अन्यथा तुम लोग ग़लती कर रहे होगे।
जब मेरे वचन तुम लोगों के लिए प्रकट किए जाते हैं यही वह समय है जब मैं अपना कार्य शुरू करूँगा। मेरे वचनों में से कोई एक भी अपूर्ण नहीं रहेगा। मेरे लिए, एक दिन एक हजार वर्ष की तरह हैं, और एक हजार वर्ष एक दिन की तरह है। तुम लोग इसे कैसे देखते हो? तुम लोगों की समय की धारणा मुझसे बहुत भिन्न है, क्योंकि मैं ब्रह्मांड की दुनिया को नियंत्रित करता हूँ, और मैं सभी चीज़ों को पूरा करता हूँ। मेरा कार्य दिन-प्रतिदिन, कदम-दर-कदम, और चरण दर चरण किया जाता है, और इसके अलावा मेरे कार्य की गति एक सेकंड के लिए भी नहीं रुकती है, यह हर पल जारी रहता है। दुनिया के निर्माण के समय से ही, मेरे वचनों में बाधा नहीं आई है। मैंने बोलना जारी रखा है और आज भी बोलता रहता हूँ, और यह भविष्य में अपरिवर्तित रहेगा। हालाँकि, मेरा समय सावधानी से व्यवस्थित और संगठित है, और बहुत यथाक्रम है। मैं वह करूँगा जो और जब करने की मुझे आवश्यकता होगी (मेरे साथ, सब कुछ स्वतंत्र होगा, सभी मुक्त होंगे), और कोई भी चीज़ मेरे कार्य के कदमों में बाधा नहीं डालती है। मैं अपने घर में सभी को व्यवस्थित कर सकता हूँ, मैं दुनिया में हर एक को व्यवस्थित कर सकता हूँ, लेकिन मैं बिल्कुल भी व्यस्त नहीं हूँ, क्योंकि मेरा आत्मा कार्य कर रहा है, मेरा आत्मा हर स्थान में भरा हुआ है, क्योंकि मैं स्वयं अद्वितीय परमेश्वर हूँ और पूरा ब्रह्मांड का जगत मेरे हाथों में है। इस प्रकार, कोई भी यह देख सकता है कि मैं सर्वशक्तिमान हूँ, मैं बुद्धिमान हूँ और मेरी महिमा ब्रह्मांड के हर कोने में भरी हुई है।

          स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया-वचन देह में प्रकट होता है
और पढ़ें: वैशिष्ट्य पृष्ठ "आपदा से पहले स्वर्गारोहण" आपको स्वर्गारोहण के रहस्य को समझने के लिए नेतृत्व करेंगे।

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