सोलहवाँ कथन
ऐसा बहुत कुछ है जो मैं मनुष्य से कहना चाहता हूँ, बहुत सी चीजें हैं जो मुझे उसे अवश्य बतानी चाहिए। परन्तु मनुष्य में स्वीकृति की योग्यताओं का अत्यधिक अभाव हैः मेरे वचनों को, जिस अनुसार मैं प्रदान करता हूँ, उस अनुसार समझने में पूरी तरह से अक्षम है, और केवल एक ही पहलू को वह समझता है किन्तु दूसरे के प्रति अनभिज्ञ रहता है। फिर भी, मैं मनुष्य को उसकी शक्तिहीनता की वजह से मृत्यु नहीं देता हूँ, न ही मैं उसकी कमज़ोरी से व्यथित हूँ।