तुम लोग नहीं जानते हो कि मैं ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ; तुम लोग नहीं जानते हो कि सभी पदार्थ और चीज़ें मेरे नियंत्रण में हैं! इसका क्या अर्थ है कि सब कुछ मेरे द्वारा सृजित और पूरा किया जाता है? प्रत्येक व्यक्ति के आशीष या दुर्भाग्य सभी मेरी तृप्ति पर, मेरे कार्यकलापों पर निर्भर करते हैं। मनुष्य क्या कर सकता है?
मनुष्य सोच के द्वारा क्या सम्पन्न कर सकता है? इस अंतिम युग में, इस लम्पट युग में, इस अंधकारमय दुनिया में जिसे शैतान ने बहुत अधिक भ्रष्ट कर दिया है, मेरी पसंद के वे थोड़े से क्या हैं? चाहे यह आज हो, या बीते हुए कल हो , या निकट भविष्य में हो, सभी लोगों के जीवन मेरे द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। चाहे वे आशीषों को प्राप्त करें या दुर्भाग्य को भुगतें, और चाहे वे मेरे द्वारा प्यार किए जाएँ या नफ़रत किए जाएँ, इन सब बातों को निश्चित रूप से मेरे द्वारा एक ही झटके में निर्धारित किया गया था। तुम लोगों में से कौन यह दावा करने का साहस करता है कि तेरी गति आत्म-निर्धारित है, कि तेरा भाग्य तेरे नियंत्रण में है, कौन ऐसा करने का साहस करता है? कौन इतना अवज्ञाकारी होने का साहस करता है? कौन मुझसे नहीं डरता है? कौन अन्दर गहराई तक मेरे प्रति अवज्ञाकारी है? कौन अपनी मनमानी करने का साहस करता है? मैं उन्हें मौके पर ही ताड़ना दूँगा, निश्चित रूप से मानवजाति पर अब और दया नहीं करूँगा या उसे अब और नहीं बचाऊँगा। इस बार, अर्थात् जब तुम लोगों ने मेरे नाम को स्वीकार कर लिया है, अंतिम बार है कि मैं मानवजाति के प्रति उदारता दिखाऊँगा। अर्थात्, मैंने मानवजाति के एक हिस्से को चुना है जो, यद्यपि उनके आशीष शाश्वत नहीं हैं, फिर भी वे मेरे प्रचुर अनुग्रह का आनंद उठा चुके हैं; इसलिए, भले ही यह पूर्वनियत नहीं है कि तू शाश्वत रूप से धन्य रहेगा, फिर भी मैं तेरे साथ दुर्व्यवहार नहीं कर रहा हूँ, और तू उन लोगों की तुलना में बहुत बेहतर है जो सीधे दुर्भाग्य को भुगतेंगे।
मनुष्य सोच के द्वारा क्या सम्पन्न कर सकता है? इस अंतिम युग में, इस लम्पट युग में, इस अंधकारमय दुनिया में जिसे शैतान ने बहुत अधिक भ्रष्ट कर दिया है, मेरी पसंद के वे थोड़े से क्या हैं? चाहे यह आज हो, या बीते हुए कल हो , या निकट भविष्य में हो, सभी लोगों के जीवन मेरे द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। चाहे वे आशीषों को प्राप्त करें या दुर्भाग्य को भुगतें, और चाहे वे मेरे द्वारा प्यार किए जाएँ या नफ़रत किए जाएँ, इन सब बातों को निश्चित रूप से मेरे द्वारा एक ही झटके में निर्धारित किया गया था। तुम लोगों में से कौन यह दावा करने का साहस करता है कि तेरी गति आत्म-निर्धारित है, कि तेरा भाग्य तेरे नियंत्रण में है, कौन ऐसा करने का साहस करता है? कौन इतना अवज्ञाकारी होने का साहस करता है? कौन मुझसे नहीं डरता है? कौन अन्दर गहराई तक मेरे प्रति अवज्ञाकारी है? कौन अपनी मनमानी करने का साहस करता है? मैं उन्हें मौके पर ही ताड़ना दूँगा, निश्चित रूप से मानवजाति पर अब और दया नहीं करूँगा या उसे अब और नहीं बचाऊँगा। इस बार, अर्थात् जब तुम लोगों ने मेरे नाम को स्वीकार कर लिया है, अंतिम बार है कि मैं मानवजाति के प्रति उदारता दिखाऊँगा। अर्थात्, मैंने मानवजाति के एक हिस्से को चुना है जो, यद्यपि उनके आशीष शाश्वत नहीं हैं, फिर भी वे मेरे प्रचुर अनुग्रह का आनंद उठा चुके हैं; इसलिए, भले ही यह पूर्वनियत नहीं है कि तू शाश्वत रूप से धन्य रहेगा, फिर भी मैं तेरे साथ दुर्व्यवहार नहीं कर रहा हूँ, और तू उन लोगों की तुलना में बहुत बेहतर है जो सीधे दुर्भाग्य को भुगतेंगे।
वास्तव में, मेरा न्याय, एक अभूतपूर्व क्षेत्र में प्रवेश करते हुए, पहले ही एक उच्च बिंदु पर पहुँच चुका है। मेरा न्याय हर व्यक्ति पर है, अब यह एक कोपपूर्ण न्याय है। अतीत में यह, अब से बहुत भिन्न, एक प्रतापी न्याय था। अतीत में मनुष्यों को ज़रा भी डर महसूस होना शुरू नहीं होता था जब तक कि वे न्याय किए जाने के किसी उदाहरण का सामना नहीं करते थे, अब यदि वे एक वचन भी सुनते हैं तो वे बुरी तरह से घबरा जाते हैं; कोई तो मेरे मुँह खोलने से भी डरता है। जब मैं बोलना शुरू करता हूँ, तो यदि मेरी आवाज़ भी निकलती है, तो वह इतना डर जाता है कि वह नहीं जानता कि क्या करे, उस समय वह ईमानदारी से यही चाहता है कि अपने आप को ज़मीन में किसी गड्ढे में छुपा ले, किसी सबसे अँधेरे कोने में छुपा ले। इस तरह के व्यक्ति को बचाया नहीं जा सकता क्योंकि वह दुष्ट आत्माओं के कब्ज़े में है। जब मैं बड़े लाल अजगर, उस प्राचीन सर्प, का न्याय करूँगा, तो वह बुज़दिल हो जाएगा, वह लोगों द्वारा देखे जाने से भी डरेगा; सचमुच वह शैतान का अंधकार में पैदा हुआ वंशज है।
अतीत में मैंने अक्सर "पूर्वनियति और चयन" शब्दों का उपयोग किया, इनका क्या अर्थ है? मैं कैसे पूर्वनियत और चयन करता हूँ? क्यों कोई व्यक्ति पूर्वनियत और चयनित लोगों में से एक नहीं होगा? इसे कैसे समझा जाए? इन सब बातों को मेरी कुछ स्पष्ट व्याख्या की आवश्यकता है और सभी को मेरे प्रत्यक्ष बोलने की आवश्यकता है। यदि यह तुम लोगों में प्रकट किया जाता, तो उस किस्म का भ्रमित व्यक्ति ऐसा ग़लत ढंग से विश्वास करेगा कि यह शैतान द्वारा दिया गया एक विचार है! मैं अन्यायपूर्वक तिरस्कृत हो जाउँगा! अब मैं, कुछ भी छिपाकर नहीं रखते हुए, रूखाई से बोलूँगा: जब मैंने सभी चीज़ों का सृजन किया, तो मैंने मानव जाति की सेवा में सबसे पहले उन सामग्रियों को बनाया (फूल, घास, पेड़, लकड़ी, पर्वत, नदियाँ, झीलें, भूमि और समुद्र, सभी प्रकार के कीड़े, पक्षी, जानवर, कुछ मानवजाति के खाने के लिए हैं, कुछ मानवजाति के देखने के लिए हैं), मानवजाति के लिए विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के अनाज बनाए गए; केवल इन सबको बनाने के बाद ही मैंने मानवजाति का सृजन शुरू किया। दो तरह के लोग हैं: पहली तरह के लोग मेरे द्वारा चयनित और पूर्वनियत हैं; दूसरे प्रकार के लोगों में शैतान का गुण है। इस प्रकार के लोगों को मैंने दुनिया का सृजन करने से पहले ही बनाया था, लेकिन उन्हें शैतान द्वारा पूरी तरह से भ्रष्ट कर दिया गया है इसलिए मैंने उनका परित्याग कर दिया है। तब मैंने पूर्वनियत और चयनित किस्म के लोगों को बनाया, इनमें से प्रत्येक के पास अलग-अलग अंशों में मेरे गुण हैं; इसलिए, आज मेरे द्वारा चुने गए प्रत्येक व्यक्ति के पास अलग-अलग अंशों में मेरे गुण हैं। यद्यपि उन्हें शैतान के द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया है, फिर भी वे मेरे से संबंधित हैं; प्रत्येक चरण मेरी प्रबंधन योजना का एक भाग है। यह कि राज्य में ईमानदार लोग शासन करते हैं इस सब की समय से पूर्व योजना बना ली गई थी; जो लोग कुटिल और धोखेबाज हैं, वे चाहे कुछ भी हो जाए ईमानदार नहीं हो सकते हैं, क्योंकि वे शैतान के वंशज हैं, शैतान के कब्ज़े में हैं, हमेशा शैतान के अधीन उसके सेवक हैं, लेकिन यह सब मेरी इच्छा पूरी करने के लिए है। मैंने इसे स्पष्ट कर दिया है ताकि तुम लोगों को अनुमान न लगाना पड़े। जिन्हें मैं सिद्ध बनाऊँगा, मैं उनका ख्याल रखूँगा और उनकी रक्षा करूँगा; जिन लोगों से मैं घृणा करता हूँ, उनकी सेवा खत्म हो जाने के बाद वे मेरे स्थान से बाहर निकल जाएँगे। जब इन लोगों का उल्लेख किया जाता है तो मैं क्रोधित हो जाता हूँ, उनका ज़िक्र होते ही मैं उनसे उसी समय निपटना चाहता हूँ, लेकिन मैं अपने कार्यकलापों में संयमित रहता हूँ; अपने कार्यों और भाषण में मैं संयत रहता हूँ। मैं क्रोध के एक दौर में दुनिया को विषादग्रस्त कर सकता हूँ, पर उन लोगों को छोड़कर जिन्हें मैंने पूर्वनियत किया है; शांत होने के बाद मैं दुनिया को अपने हाथ की हथेली में थाम सकता हूँ, अर्थात्, मैं सब कुछ नियंत्रित करता हूँ। जब मुझे महसूस होगा कि दुनिया एक हद तक भ्रष्ट हो गई है और मैं इसे सहन नहीं कर सकता हूँ, तो मैं इसे तुरंत नष्ट कर दूँगा। क्या यह मेरे सिर्फ एक वचन से ही नहीं हो जाएगा?
मैं स्वयं व्यावहारिक परमेश्वर हूँ; मैं अलौकिक चिह्नों और चमत्कारों का प्रदर्शन नहीं करता हूँ, लेकिन हर जगह मेरे अद्भुत कार्यों से भरी हुई है। आगे की राह अतुलनीय रूप से अधिक दीप्तिमान हो जाएगी। मेरे द्वारा प्रत्येक चरण का प्रकाशन, तुम लोगों के लिए मेरी प्रबंधन योजना को इंगित करने का, मेरा तरीक़ा है। अर्थात्, बाद में ये प्रकाशन और भी बहुसंख्यक और स्पष्टतर हो जाएँगे। यहाँ तक कि सहस्त्राब्दि राज्य में भी, अति सुदूर भविष्य में नहीं, तुम लोगों को अवश्य मेरे प्रकाशन और मेरी गति के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए। सब कुछ साकार हो चुका है, सब कुछ तैयार किया जा चुका है, तुम लोगों में से जो धन्य हुए हैं अनन्त आशीष उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं; जो अभिशप्त हैं उनके लिए शाश्वत ताड़ना प्रतीक्षा कर रही है। मेरे रहस्य तुम लोगों के लिए बहुत अधिक संख्या में हैं, जो वचन मेरे लिए सबसे सरल हैं, वे तुम लोगों के लिए सबसे कठिन हो सकते हैं; इसलिए, मैं अधिक से अधिक कहता हूँ, क्योंकि तुम लोगों की समझ में बहुत कम आता है, और तुम लोगों को हर वचन को विस्तार से समझाने के लिए मेरी आवश्यकता है, लेकिन बहुत ज्यादा चिंता मत करो, मैं अपने कार्य के अनुसार तुम लोगों से बात करूँगा।
Source From:सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया--सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन
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