परमेश्वर का वचन -अध्याय 98
सभी चीज़ें तुम लोगों में से प्रत्येक पर आएँगी, और वे तुम लोगों को मेरे बारे में और अधिक जानने देंगी और मेरे बारे में और अधिक निश्चित होने देंगी। वे तुम लोगों को मुझ, एकमात्र स्वयं परमेश्वर के बारे में जानने देंगी, मुझ सर्वशक्तिमान के बारे में जानने देंगी, मुझ स्वयं देहधारी परमेश्वर के बारे में जानने देंगी। इसके बाद, मैं देह में से बाहर आ जाऊँगा, सिय्योन लौट जाऊँगा, कनान की अच्छी भूमि पर लौट जाऊँगा, जो कि मेरा निवास है, जो कि मेरा गंतव्य है, और यही वह अड्डा है जहाँ से मैंने सभी चीज़ों को बनाया है। अभी तुम लोगों में से कोई भी उन वचनों के अर्थ को नहीं समझता है जो मैं कह रहा हूँ, एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो इन वचनों के अर्थ को समझ सकता है।जब सब कुछ तुम लोगों के लिए प्रकट कर दिया जाता है केवल तभी तुम लोग समझोगे कि मैं इन वचनों को क्यों कह रहा हूँ। मैं दुनिया से संबंधित नहीं हूँ और मैं ब्रह्मांड से भी संबंधित नहीं हूँ क्योंकि मैं ही एकमात्र स्वयं परमेश्वर हूँ। मैं संपूर्ण ब्रह्मांड की दुनिया को अपने हाथ में रखता हूँ, मैं स्वयं इसका प्रभारी हूँ, और लोग केवल मेरे अधिकार के सामने समर्पण कर सकते हैं, मेरा पवित्र नाम बोल सकते हैं, मेरी जयजयकार कर सकते हैं और मेरी स्तुति कर सकते हैं। सब कुछ धीरे-धीरे तुम लोगों के लिए प्रकट कर दिया जाएगा। यद्यपि कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, तब भी तुम लोग मेरे बोलने के तरीके को, और मेरे वचनों के स्वर को नहीं समझ सकते हो। तुम लोगों की समझ में अभी भी नहीं आ रहा है कि मेरी समस्त प्रबंधन योजना किस बारे में है। तो, मैं तुम लोगों को उन सभी चीज़ों के बारे में बाद में बताऊँगा जो तुम लोगों को जो मैंने कहा है उसमें से समझ में नहीं आ रही हैं, क्योंकि मेरे लिए, सब कुछ सरल और स्पष्ट है, जबकि तुम लोगों के लिए, यह बेहद मुश्किल है, यह तुम लोगों की समझ में बिल्कुल नहीं आता है। इसलिए, मैं अपने बोलने की पद्धति को बदल दूँगा, जब मैं बोलूँगा तो मैं चीज़ों को एकसाथ नहीं जोड़ूँगा बल्कि एक-एक करके प्रत्येक बिंदु को स्पष्ट करूँगा।
मरे हुओं में से जी उठना किस के बारे में है? क्या यह देह में मरना है और फिर मृत्यु के बाद शरीर में लौटना है? क्या इसे मरे हुओं में से जी उठना कहा जाता है? क्या यह इतना आसान है? मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ, तू इस बारे में क्या जानता है? तू इसे कैसे समझता है? क्या मेरे पहले देहधारण के दौरान मरे हुओं में से जी उठने को वास्तव में अक्षरशः लिया जा सकता है? क्या प्रक्रिया वास्तव में ऐसी ही थी जैसी कि मूलग्रंथ में वर्णन की गई थी? मैं कह चुका हूँ कि यदि मैं स्पष्ट रूप से नहीं बोलता हूँ, यदि मैं स्पष्ट रूप से नहीं बताता हूँ, तो कोई भी मेरे वचनों के अर्थ को समझने में समर्थ नहीं होगा। युगों भर में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसने नहीं सोचा कि मरे हुओं में से जी उठना उस तरह से था। दुनिया के निर्माण के बाद से किसी ने इसके असली अर्थ को नहीं समझा है। क्या मुझे वास्तव में सलीब पर कीलों से ठोका गया था? और, मृत्यु के बाद, क्या मैं क़ब्र में से बाहर आया था? क्या वास्तव में ऐसा हुआ था? क्या यह वास्तव में सत्य हो सकता है? युगों भर में किसी ने भी इसमें कोई प्रयास नहीं किया है, किसी को भी इससे मेरे बारे में पता नहीं चला है और एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो विश्वास नहीं करता है, हर कोई सोचता है कि यह सत्य है। वे नहीं जानते कि मेरे हर वचन का आंतरिक अर्थ है। फिर, मरे हुओं में से जी उठना वास्तव में क्या है? (निकट भविष्य में, तुम लोग इसका अनुभव करोगे, इसलिए मैं तुम लोगों को इसके बारे में अग्रिम में बता देता हूँ)। प्रत्येक सृजित प्राणी मरने के बजाए जीना चाहता है। मेरे परिप्रेक्ष्य से, देह की मृत्यु वास्तविक मृत्यु नहीं है। जब मेरे आत्मा को किसी व्यक्ति से वापस ले लिया जाता है, तो वह व्यक्ति मर जाता है। इसलिए, मैं शैतान द्वारा भ्रष्ट की गयी उन सभी दुष्टात्माओं को (जिनके पास कोई विश्वास नहीं है, सभी अविश्वासियों को) मरा हुआ कहता हूँ। दुनिया के निर्माण के बाद से, मैंने अपने आत्मा को हर उस व्यक्ति के साथ जोड़ा है जिसे मैंने चुना है। हालाँकि, एक चरण के बाद जो कि सृजन के बाद आया था, एक समयावधि के लिए शैतान द्वारा लोगों पर कब्जा कर लिया गया था। इसलिए मैं छोड़ कर चला गया और लोग पीड़ित होने लगे (पीड़ा जो मैंने देहधारण करने पर और सलीब पर कीलों से ठोके जाने पर झेली, जैसा कि कहा जाता है)। हालाँकि, मेरे द्वारा पूर्वनियत समय पर (उस समय जब मेरे द्वारा लोगों का परित्याग समाप्त हो गया), मैंने उन लोगों को वापस ले लिया जिन्हें मैंने पूर्वनियत किया था और मैंने एक बार फिर से तुम लोगों में अपने आत्मा को रखा ताकि तुम लोग जीवन में वापस आ सको। इसे "मरे हुओं में से जी उठना" कहा जाता है। अब, जो वास्तव में मेरे आत्मा में रहते हैं वे सभी पहले से ही सब सीमाओं से पार हैं, और वे सभी शरीर में रहते हैं। हालाँकि, शीघ्र ही, तुम लोग अपनी सोच को दूर कर दोगे, अपनी अवधारणाओं को दूर कर दोगे, और सभी पार्थिव संलिप्तताओं को दूर कर दोगे। किन्तु, जैसा कि लोग कल्पना करते हैं, यह पीड़ा झेलने के बाद मरे हुओं में से जी उठना नहीं है। यह कि तुम लोग जो अब जीवित हो यह शरीर में जीने के लिए पूर्वशर्त है, यह आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश करने का आवश्यक मार्ग है। जिस सामान्य मानवता के बारे में मैं बोलता हुँ उससे पार होने का मतलब है कोई परिवार, कोई पत्नी, कोई बच्चा और कोई मानवीय आवश्यकताएँ नहीं होना। यह केवल मेरी छवि को जीने पर एकाग्र होना, केवल मेरे भीतर प्रवेश करने पर एकाग्र होना और मेरे से बाहर की अन्य चीज़ों के बारे में विचार नहीं करना है। हर जगह जहाँ तुम लोग जाते हो वह तुम्हारा का घर है, यह सामान्य मानवता से पार जाना है। तुम लोगों ने मेरे उन वचनों को पूरी तरह से ग़लत समझा है, तुम लोगों की समझ बहुत सतही है। मैं सभी राष्ट्रों और सभी लोगों को वास्तव में कैसे दिखाई दूँगा? आज, देह में? नहीं! जब समय आएगा, तो मैं ब्रह्मांड के हर देश में अपने शरीर में दिखाई दूँगा। वह समय, जब विदेशियों को उनकी चरवाही करने के लिए तुम लोगों की आवश्यकता होगी, अभी तक नहीं आया है। उस समय उन लोगों की चरवाही करने के लिए तुम लोगों को देह से बाहर निकलने और शरीर में प्रवेश करने की आवश्यकता होगी। यही सत्य है लेकिन यह "मरे हुओं में से जी उठना" नहीं है जेसा कि लोग कल्पना करते हैं। नियुक्त समय पर, तुम लोग अनजाने में देह से बाहर आ जाओगे और आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश करोगे और मेरे साथ सभी राष्ट्रों पर शासन करोगे। अभी तक वह समय नहीं आया है। जब मुझे देह में होने के लिए तुम लोगों की आवश्यकता होगी तो तुम लोग देह में होगे (मेरे कार्य की आवश्यकताओं के अनुसार, तुम लोगों की अब सोच अवश्य होनी चाहिए, तुम लोगों को अभी भी देह में रहना चाहिए, इसलिए तुम लोगों अभी भी उन चीज़ों को करना चाहिए जिन्हें तुम लोगों को मेरे कदमों के अनुसार देह में करने की आवश्यकता है; निष्क्रिय रूप से प्रतीक्षा मत करो क्योंकि इससे चीज़ों में विलंब होगा)। जब मुझे आवश्यकता होगी कि तुम लोग कलीसिया के चरवाहों के रूप में शरीर में कार्य करो, तो तुम लोग देह से बाहर आ जाओगे, अपनी सोच को निकाल दोगे, और जीने के लिए पूरी तरह से मुझ पर निर्भर रहोगे। मेरी सामर्थ्य में विश्वास रखो, मेरी बुद्धि में विश्वास रखो। सबकुछ मेरे द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया जाएगा। तुम लोगों को केवल आनंद लेने के लिए प्रतीक्षा करने की आवश्यकता है। सभी आशीष तुम लोगों के पास आएँगे और तुम लोगों को एक अक्षय और अंतहीन आपूर्ति प्राप्त होगी। जब वह दिन आएगा, तो तुम लोग उस सिद्धांत को समझ जाओगे कि मैं इसे कैसे करता हूँ, तुम लोग मेरे अद्भुत कर्मों को जान जाओगे और समझ जाओगे कि मैं अपने ज्येष्ठ पुत्रों को वापस सिय्योन में कैसे लाऊँगा। यह वास्तव में उतना जटिल नहीं है जैसा कि तुम लोग कल्पना करते हो लेकिन यह उतना आसान भी नहीं है जितना कि तुम लोग सोचते हो।
मुझे पता है कि जब मैं यह कहता हूँ तो तुम लोग इसके पीछे के मेरे उद्देश्य को समझने में तो और भी असमर्थ हो तथा और भी ज्यादा उलझन में पड़ जाते हो। तुम इसे मेरे द्वारा पहले कहे गए के साथ मिला दोगे जिसकी वजह से तुम लोगों की समझ में कुछ नहीं आ सकता है, ऐसा प्रतीत होगा मानो कि इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। हालाँकि, चिंता मत करो, मैं तुम लोगों को सब कुछ बताऊँगा। जो कुछ भी मैं कहता हूँ उसका अर्थ होता है। मैंने कहा है कि मैं मौज़ूदा चीज़ों को शून्य में बदल सकता हूँ और शून्य में से बहुतायत में चीज़ों को बना सकता हूँ। मानवीय कल्पना में, देह से शरीर में प्रवेश करने के लिए, किसी को भी अवश्य मरे हुओं में से जी उठना होगा। अतीत में, मैंने इस विधि का उपयोग किया था और अपने सबसे बड़े चमत्कार को अभिव्यक्त किया था, लेकिन आज अतीत की तरह नहीं है। मैं तुम लोगों को देह से सीधे शरीर में ले जाऊँगा। क्या यह एक और भी बड़ा चिह्न और चमत्कार नहीं है? क्या यह मेरी सर्वशक्तिमत्ता की एक अधिक बड़ी अभिव्यक्ति नहीं है? मेरी अपनी योजना है, मेरे अपने इरादे हैं। कौन मेरे हाथ में नहीं है? मैं कार्य करता हूँ और मैं जानता हूँ। आज मेरे कार्य करने के तरीके, आखिरकार, अतीत से भिन्न हैं। मैं युगों के परिवर्तन के अनुसार अपने कार्य करने के तरीकों को समायोजित करता हूँ। जब मुझे सलीब पर कीलों से ठोका गया था, तो वह अनुग्रह का युग था, किन्तु अब अंतिम युग है। मेरे कार्य की गति तेज हो रही है, इसकी गति उतनी नहीं है जितनी अतीत में थी, अतीत की तुलना में यह धीमी तो बिल्कुल नहीं है, बल्कि, यह अतीत की तुलना में बहुत तेज है। इसका वर्णन करने का कोई तरीका ही नहीं है, इतनी सारी जटिल प्रक्रियाओं की कोई आवश्यकता नहीं है। मैं कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हूँ; क्या यह सत्य नहीं है कि यह निर्धारित करने में कि कैसे मेरी इच्छा पूरी होगी और कैसे मैं तुम लोगों को सिद्ध बना दूँगा, केवल मेरे अधिकार के कुछ वचनों की ही आवश्यकता है? जो भी मैं कहता हूँ वह निश्चित रूप से होगा। अतीत में, मैं प्रायः कहता था कि मैं पीड़ित होऊँगा, और मैंने लोगों को उस पीड़ा का उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जो मैंने पहले सहन की थी; इसका उल्लेख करना मेरे प्रति ईशनिन्दा करना था। ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं स्वयं परमेश्वर हूँ और मेरे लिए कोई कठिनाई नहीं है; जब तू इस पीड़ा का जिक्र करता है तो तू लोगों को रुलाता है। मैं कह चुका हूँ कि भविष्य में कोई आहें और कोई आँसू नहीं होंगे। इसे इस पहलू से समझाया जाना चाहिए, और तब मेरे वचनों का अर्थ समझा जा सकता है। "इंसान इस पीड़ा में खड़ा रह ही नहीं सकता है" का अर्थ यह है कि मैं सभी मानवीय धारणाओं और सोच से दूर हो सकता हूँ, देह की भावनाओं से दूर हो सकता हूँ, सभी सांसारिकता से दूर हो सकता हूँ और देह से बाहर निकल सकता हूँ, और मैं तब भी खड़ा रह सकता हूँ जब हर कोई मुझे झूठा ठहरा रहा होता है। यह इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त है कि मैं ही एकमात्र स्वयं परमेश्वर हूँ। मैंने कहा है कि, "हर ज्येष्ठ पुत्र को देह से आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश अवश्य करना होगा; यही वह मार्ग है जो राजाओं के रूप में मेरे साथ शासन करने के लिए उन्हें लेना होगा।" इस वाक्य का अर्थ यह है कि जब तुम लोग उस चीज़ का सामना करते हो जो तुम लोगों ने, अतीत में, कल्पना की है, तो तुम लोग आधिकारिक रूप से उन राजकुमारों और राजाओं का न्याय करने के लिए आधिकारिक रूप से देह से बाहर आ जाओगे और शरीर में प्रवेश करोगे। इस समय होने वाली चीज़ों के आधार पर उनका न्याय किया जाएगा। हालाँकि, यह उतना जटिल नहीं है जितना तुम लोग कल्पना करते हो, यह एक पल में हो जाएगा। तुम लोगों को मरे हुओं में से उठने की आवश्यकता नहीं होगी और तुम लोगों को पीड़ित होने की भी आवश्यकता नहीं होगी (क्योंकि धरती पर तुम लोगों की पीड़ा और कठिनाइयों का पहले ही अंत हो चुका है और मैं पहले ही कह चुका हूँ कि उसके बाद मैं अपने ज्येष्ठ पुत्रों के साथ अब और नहीं निपटूँगा)। यही वह जगह है जहाँ ज्येष्ठ पुत्र अपने आशीषों का आनंद लेंगे, जैसा कि कहा गया है—तुम लोग अनजाने में आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश करोगे। मैं क्यों कहता हूँ कि यह मेरी दया और अनुग्रह है? यदि कोई मरे हुओं में से जी उठने के बाद ही आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश कर सकता, तो यह दयालु और अनुग्रहशील होने से बहुत दूर होता। तो यह मेरी दया और अनुग्रह की सबसे स्पष्ट अभिव्यक्ति है और, इसके अलावा, मेरे द्वारा पूर्वनियति और लोगों के चयन को प्रकट करता है। यह इस बात को दिखाने के लिए पर्याप्त है कि मेरा प्रशासनिक आदेश कितना सख्त है। मैं जिस किसी को भी चाहूँ उसके प्रति अनुग्रहशील रहूँगा और जिस किसी को भी चाहूँ उसके प्रति दयालु रहूँगा। कोई भी संघर्ष या लड़ाई नहीं करेगा। मैं यह सब तय करूँगा।
लोग इसे समझ नहीं सकते हैं और वे तब तक अपने आप पर दबाव डालते हैं जब तक कि उनकी साँस बंद नहीं हो जाती है और फिर भी वे अपने आप को बाँध लेते हैं। लोगों की सोच वास्तव में सीमित है, इसलिए उन्हें मानवीय सोच और धारणाओं से छुटकारा अवश्य पाना चाहिए। इसलिए, हर चीज़ को नियंत्रण में लेने के लिए, हर चीज़ को प्रबंधित करने के लिए, मुझे अवश्य देह से बाहर आना चाहिए और आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश करना चाहिए। सभी लोगों और सभी राष्ट्रों पर शासन करने और मेरी इच्छा को पूरा करने का यही एकमात्र तरीका है। यह बहुत दूर नहीं है। तुम लोगों को मेरी सर्वशक्तिमत्ता पर विश्वास नहीं है, तुम उस मनुष्य को नहीं जानते हो जो मैं हूँ। तुम लोगों को लगता है कि मैं केवल एक मनुष्य हूँ, तुम लोग मेरी दिव्यता को बिल्कुल नहीं देख सकते हो। चीज़ें तभी पूरी होंगी जब मैं चाहूँगा कि वे पूरी हो जाएँ। इनके होने के लिए केवल मेरे मुँह से वचन की आवश्यकता है। तुम लोगों ने केवल हाल ही में मैंने जो कहा है उसमें मेरी मानवता के पहलू पर और मेरे हर कदम पर ध्यान दिया है, लेकिन तुम लोगों ने मेरी दिव्यता के पहलू पर ध्यान नहीं दिया है। अर्थात् तुम लोग सोचते हो कि मेरी भी सोच और धारणाएँ हैं। लेकिन मैं कह चुका हूँ कि मेरे अभिप्राय, विचार और मन, मेरा हर कदम, जो कुछ भी मैं करता हूँ और कहता हूँ वे स्वयं परमेश्वर की पूर्ण अभिव्यक्ति है। क्या तुम लोग यह सब भूल गए हो? तुम सभी संभ्रमित लोग हो! तुम लोग मेरे वचनों के अर्थ को नहीं समझते हो। जो कुछ मैंने कहा है उससे मैंने तुम लोगों को मेरी सामान्य मानवता के पहलू को देखने की अनुमति दी है (मैंने तुम लोगों को मेरी रोजमर्रा की जिंदगी में, वास्तविकता में, मेरी सामान्य मानवता को देखने की अनुमति दी है, क्योंकि इस अवधि के दौरान जो कुछ मैंने कहा है उससे तुम लोग अभी भी मेरी सामान्य मानवता के पहलू को नहीं समझते हो), फिर भी तुम लोग मेरी सामान्य मानवता को नहीं समझते हो, और तुम लोग बस कुछ ऐसी चीज़ को पकड़ने की कोशिश करते हो जिसे मेरे विरुद्ध उपयोग किया जा सकता हो और मेरे सामने उच्छृंखल हो। तुम लोग अंधे हो! तुम लोग अज्ञानी हो! तुम लोग मुझे नहीं जानते हो! मैंने इतने लंबे समय तक व्यर्थ में बात की है, तुम लोग मुझे बिल्कुल भी नहीं जानते हो, तुम लोग मेरी सामान्य मानवता को पूर्ण परमेश्वर स्वयं के हिस्से के रूप में बिल्कुल नहीं मानते हो! मुझे गुस्सा कैसे नहीं आ सकता है? मैं फिर से दयालु कैसे हो सकता हूँ? मैं अवज्ञा के इन बच्चों को केवल अपने कोप के साथ जवाब दे सकता हूँ। कितने ढीठ, मेरे बारे में कितने अज्ञानी हो! तुम लोगों को लगता है कि मैं जो मनुष्य हूँ उसने ग़लत किया है! क्या मैं ग़लत कर सकता हूँ? क्या मैं किसी भी देह को ग्रहण करने के लिए यादृच्छिक रूप सेचयन करूँगा? मेरी मानवता और मेरी दिव्यता दो अविभाज्य हिस्से हैं जो मिल कर पूर्ण परमेश्वर स्वयं को बनाते हैं। अब तुम लोगों को इस बारे में पूरी तरह से स्पष्ट हो जाना चाहिए! मुझे जो कुछ कहना है मैंने पहले ही कह दिया है। मैं इसे और अधिक नहीं समझाऊँगा!
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