मैंने ब्रह्मांड की दुनिया बनाई; मैंने पर्वतों, नदियों और सभी चीज़ों को बनाया; मैंने ब्रह्मांड के बिल्कुल अंतिम सिरों को आकार दिया; मैंने अपने पुत्रों और अपने लोगों की अगुआई की; मैंने सभी चीजों और पदार्थों पर शासन किया। अब, मैं अपने ज्येष्ठ पुत्रों को वापस सिय्योन पर्वत पर ले जाऊँगा, जहाँ मैं रहता हूँ वहाँ लौटने के लिए, जो मेरे कार्य का अंतिम कदम होगा। मैंने जो कुछ भी किया है (सृजन से अब तक किया गया सब कुछ) मेरे कार्य के आज के चरण के लिए था, और इसके अलावा यह कल के शासन, कल के राज्य के लिए, और मेरे और मेरे ज्येष्ठ पुत्रों के अनन्त आनंद लेने के लिए है। सभी चीज़ों का सृजन करने में यही मेरा लक्ष्य रहा है और यह सृजन की मेरी अंतिम उपलब्धि होगी। मैं जो कहता हूँ और करता हूँ उसके पीछे उद्देश्य होता है; हर चीज़ की एक योजना होती है और यह बेतरतीबी से नहीं किया जाता है।यद्यपि मैं कहता हूँ कि मेरे साथ सभी स्वतंत्रता और स्वाधीनता है, तथापि मैं जो कुछ भी करता हूँ वह सिद्धांत पर आधारित है, मैं जो कुछ भी करता हूँ वह मेरी बुद्धि और स्वभाव पर आधारित है। क्या तुम लोगों ने इस बारे में कुछ देखा है? सृजन से लेकर आज तक, मेरे ज्येष्ठ पुत्रों के अलावा, कोई भी मुझे नहीं जान पाया है और किसी ने भी मेरा असली चेहरा नहीं देखा है। अपने ज्येष्ठ पुत्रों के लिए मैंने अपवाद इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि वे अनिवार्य रूप से मेरे व्यक्तित्व का हिस्सा हैं।
जब मैंने दुनिया की रचना की, तो मैंने अपनी आवश्यकताओं के अनुसार चार क्रमबद्ध श्रेणियों में मनुष्य को बनाया, जो हैं: मेरे पुत्र, मेरे लोग, वे जो सेवा प्रदान करते हैं, और वे जो नष्ट कर दिए जाएँगे। मेरे ज्येष्ठ पुत्र इस सूची में क्यों नहीं हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि मेरे ज्येष्ठ पुत्र सृजन के प्राणी नहीं हैं; वे मुझसे हैं और मानवजाति के नहीं हैं। मैंने देह बनने से पहले अपने ज्येष्ठ पुत्रों के लिए व्यवस्था कर दी थी; वे किस घर में पैदा होंगे और वहाँ उनकी सेवा करने के लिए कौन होगा—इन सभी चीजों की योजना मेरे द्वारा बनाई गई थी। मैंने यह भी योजना बनाई थी कि उनमें से कौन किस समय मेरे द्वारा वापस प्राप्त कर लिया जाएगा और अंत में हम एक साथ सिय्योन लौट जाएँगे। इन सबकी योजना सृजन से पहले बना ली गई थी, इसलिए कोई भी व्यक्ति इसके बारे में नहीं जानता है और यह किसी भी पुस्तक में अभिलिखित नहीं है क्योंकि ये सिय्योन के मामले हैं। इसके अलावा, जब मैं देह बन गया, तो मैंने इस योग्यता को मनुष्य को नहीं दिया था, इसलिए कोई भी उन चीजों को नहीं जानता था। जब सिय्योन वापस आ जाओगे, तो तुम लोग जान लोगे कि तुम लोग अतीत में कैसे थे, अब तुम कैसे हो, और इस जीवन में तुम ने क्या किया है। अभी तो यह केवल इतना ही है कि मैं तुम लोगों को ये बाते स्पष्ट रूप से थोड़ा-थोड़ा करते बता रहा हूँ, अन्यथा तुम लोग नहीं समझोगे चाहे तुम लोग कितना ही प्रयास क्यों न कर लो, और तुम लोग मेरे प्रबंधन को बाधित करेंगे। आज, भले ही मैं अपने अधिकांश ज्येष्ठ पुत्रों की देहों से अलग हो गया हूँ, किन्तु हम एक ही पवित्रात्मा के हैं, और जबकि हमारा शारीरिक प्रकटन भिन्न हो सकता है, हम, शुरु से अंत तक, एक ही पवित्रात्मा के हैं। हालाँकि, शैतान के वंशज इसे शोषण करने के अवसर के रूप में उपयोग नहीं करेंगे। चाहे तू अपने आप को कैसे भी क्यों न छुपा ले, यह सतही रहता है, और मैं अनुमोदित नहीं करूँगा। इसलिए कोई इससे देख सकता है कि जो सतह पर ध्यान केंद्रित करते हैं और बाहर से मेरी नक़ल करने की कोशिश करते हैं, उनका एक सौ प्रतिशत शैतान होना निश्चित है। क्योंकि उनकी आत्मा भिन्न है और वे मेरे प्रिय के नहीं हैं, इसलिए चाहे वे मेरी नक़ल कैसे ही क्यों न करें वे मेरे समान नहीं हैं। इसके अलावा, क्योंकि मेरे ज्येष्ठ पुत्र अनिवार्य रूप से मेरे साथ एक पवित्रात्मा के हैं, इसलिए भले ही वे मेरी नक़ल न करें, वे मेरी तरह ही बोलते हैं और कार्य करते हैं, और वे सभी ईमानदार, शुद्ध और स्पष्ट हैं (जिनमें बुद्धि की कमी है उनके लिए यह केवल दुनिया में उनके सीमित अनुभव की वजह से है, और इसलिए ज्येष्ठ पुत्रों में बुद्धि की कमी का दोष नहीं है, जब वे शरीर में लौट जाएँगे तो सब ठीक हो जायेगा)। इसलिए यह ऊपर वर्णित के कारण है कि अधिकांश लोग अभी भी अपनी पुरानी प्रकृति को नहीं बदलते हैं चाहे मैं उनके साथ कैसे ही क्यों न निपटूँ। फिर भी मेरे ज्येष्ठ पुत्रों के लिए, मेरे उनसे निपटे बिना ही वे मेरे इरादों के अनुरूप हैं और ऐसा इसलिए है क्योंकि हम एक पवित्रात्मा के हैं। वे अपने आत्मा में पूरी तरह से मेरे लिए व्यय करने की इच्छा महसूस करते हैं। इसलिए मेरे ज्येष्ठ पुत्रों के अलावा, कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो वास्तव में और ईमानदारी से मेरे इरादों के बारे में विचालशील हो; जब मैं शैतान को जीत लेता हूँ केवल तभी वे मेरी सेवा करने के इच्छुक होते हैं।
मेरी बुद्धि और मेरे ज्येष्ठ पुत्र सभी से ऊपर खड़े हैं, सभी पर प्रभुत्व रखते हैं, और कोई भी चीज़ या व्यक्ति या मामला मार्ग में खड़े होने की हिम्मत नहीं करता है। इसके अलावा, कोई भी ऐसा व्यक्ति, मामला या चीज़ नहीं है जो उन पर प्रभुत्व रख सके, और इसके बजाय सभी मेरे व्यक्तित्व के सामने आज्ञाकारी ढंग से समर्पण करते हैं। यह ऐसा तथ्य है जो किसी की आँखों के बिल्कुल सामने घटित होता है और ऐसा तथ्य है जिसे मैंने पहले ही प्राप्त कर लिया है। जो कोई अवज्ञा में बने रहते हैं (जो लोग अवज्ञाकारी हैं, वे अभी भी शैतान से सम्बन्ध रखते हैं और जो शैतान के कब्जे में हैं वे निस्संदेह शैतान हैं), मैं उन्हें निश्चित रूप से पूरी तरह से नष्ट कर दूँगा ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो; वे मेरी ताड़ना से तुरंत मर जाएँगे। इस प्रकार के शैतान वे लोग हैं जो मुझे सेवा प्रदान करने के इच्छुक नहीं हैं और सृजन के बाद से ही ये चीजें सदैव मेरे प्रति जिद्दी विरोध में खड़ी हुई हैं, और आज वे मेरी अवज्ञा करने पर अड़ी रहती हैं (लोग इसे देखने में असमर्थ हैं क्योंकि यह केवल पवित्रात्मा से संबंधित एक मामला है। इस प्रकार का व्यक्ति इसी प्रकार के शैतान का प्रतिनिधित्व करता है)। अन्य हर चीज़ के तैयार होने से पहले मैं उन्हें नष्ट कर दूँगा, उन्हें सदैव के लिए गंभीर दंड (यहाँ "नष्ट" का यह अर्थ नहीं है कि अब और अस्तित्व में नहीं है, बल्कि इसके बजाय क्रूरता की उस सीमा को संदर्भित करता है जिसके अधीन वे किए जाएँगे और यहाँ "नष्ट" शब्द उस नष्ट से भिन्न है जो उन लोगों के लिए उपयोग किया जाता है जोनष्ट किए जाएँगे), और वे सदा-सदा के लिए बेहद रोएँगे और अपने दाँतों को पीसेंगे। मनुष्य उस दृश्य की बिल्कुल भी कल्पना नहीं कर सकता है। मानवजाति की नश्वर सोच के साथ, वे आध्यात्मिक चीज़ों को समझने में असमर्थ हैं, इसलिए तुम लोग केवल सिय्योन लौटने के बाद और चीज़ों को समझोगे।
मेरे भविष्य के घर में मैं, मेरे ज्येष्ठ पुत्र और मेरे अलावा कोई नहीं होगा और केवल उस समय मेरा लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा और मेरी योजना पूरी तरह से फलीभूत हो जाएगी, क्योंकि सभी अपनी मूल अवस्था में लौट जाएँगे और प्रत्येक को उनके प्रकार के अनुसार वर्गीकृत कर दिया जाएगा। मेरे ज्येष्ठ पुत्र मेरे पास लौट आएँगे, मेरे पुत्र और लोग सृजित प्राणियों के क्षेत्र में लौट जाएँगे और सेवा करने वाले और नष्ट किए गए लोग शैतान की ओर लौट जाएँगे। दुनिया का न्याय करने के बाद, मैं और मेरे ज्येष्ठ पुत्र एक बार फिर से दिव्य जीवन शुरू करेंगे और वे मुझे कभी नहीं छोड़ेंगे और सदैव मेरे साथ रहेंगे। मानव मन द्वारा समझे जा सकने वाले सभी रहस्यों को थोड़ा-थोड़ा करके, तुम लोगों के लिए प्रकट किया जाएगा। इतिहास भर में, अनगिनत लोग रहे हैं जो स्वयं को पूरी तरह मुझ पर चढ़ाते हुए, मेरी वजह से शहीद हुए हैं, किन्तु अंततः लोग सृजित प्राणी ही हैं और चाहे वे कितने ही अच्छे क्यों न हों, उन्हें परमेश्वर के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है; यह एक अनिवार्य प्रवृत्ति है और किसी के द्वारा नहीं बदली जा सकती है। आखिरकार, यह परमेश्वर है जो सभी चीज़ों का सृजन करता है और लोग सृजित प्राणी हैं, और शैतान सदैव विनाश का मेरा लक्ष्य है और मेरा घृणित शत्रु है—यह "एक तेंदुआ अपने धब्बों को नहीं बदल सकता है" का सबसे सही अर्थ है। इस स्थिति और चरण में होना अब एक शकुन है कि मैं और मेरे ज्येष्ठ पुत्र विश्राम में प्रवेश करेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि दुनिया में मेरा कार्य पूरी तरह से पूर्ण हो गया है और मेरे कार्य के अगले चरण को पूरा करने के लिए मुझे शरीर में लौटने की आवश्यकता होगी। ये मेरे कार्य के कदम हैं और मैंने बहुत पहले उनकी योजना बना ली थी। इस बिंदु को स्पष्ट रूप से अवश्य देख लिया जाना चाहिए, अन्यथा अधिकांश लोग मेरी प्रशासनिक आज्ञाओं का उल्लंघन करेंगे।
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