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2017-11-14

परमेश्वर और मनुष्य एक साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे


आदि में परमेश्वर विश्राम कर रहे थे। उस समय पृथ्वी पर कोई मनुष्य या अन्य कुछ भी नहीं था, और परमेश्वर ने तब कोई काम नहीं किया था। परमेश्वर ने अपने प्रबंधन के कार्य को केवल तब आरंभ किया, जब मानव जाति अस्तित्व में आयी और जब मानव जाति भ्रष्ट कर दी गयी। उस समय के बाद से, परमेश्वर ने आगे विश्राम नहीं किया वरन वह स्वयं मनुष्यजाति में व्यस्त हो गया। मनुष्यों की भ्रष्टता ने ही परमेश्वर को उसके विश्राम से दूर कर दिया और यह प्रधान स्वर्गदूत का विद्रोह भी था, जिसने परमेश्वर को उसके विश्राम से जगा दिया। यदि परमेश्वर शैतान को परास्त नहीं करता और मानव जाति का उद्धार नहीं करता, जो भ्रष्ट की जा चुकी है, तो परमेश्वर पुनःविश्राम में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। जैसे मनुष्य को विश्राम नहीं है, वैसे ही परमेश्वर को भी विश्राम नहीं है। जब परमेश्वर पुनःविश्राम में प्रवेश करेंगे, तब मनुष्य भी विश्राम में प्रवेश करेंगे। विश्राम के जीवन का अर्थ बिना युद्ध, बिना गंदगी और बिना लगातार बनी रहने वाली अधार्मिकता का जीवन है।