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2018-10-23

अध्याय 1

अध्याय 1

सिय्योन तक स्तुतियाँ पहुँची हैं और परमेश्वर का निवास स्थान प्रकट हुआ है। महिमावान पवित्र नाम की सभी लोगों द्वारा स्तुति की जाती है, और यह फैल रहा है। आह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर! ब्रह्मांड का मुखिया, अंत के दिनों का मसीह—वह जगमगाता सूर्य है, और पूरे ब्रह्मांड में प्रतापी और शानदार पर्वत सिय्योन पर उदित हुआ है ...

2018-10-18

प्रस्तावना

अनुग्रह, परमेश्वर, पवित्र आत्मा, यीशु, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन
प्रस्तावना

यद्यपि बहुत से लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, किंतु बहुत कम लोग समझते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास करने का अर्थ क्या है, और परमेश्वर के मन के अनुरूप बनने के लिये उन्हें क्या करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि यद्यपि लोग "परमेश्वर" शब्द और "परमेश्वर का कार्य" जैसे वाक्यांश से परिचित हैं, किंतु वे परमेश्वर को नहीं जानते हैं, और उससे भी कम वे उसके कार्य को जानते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि तब वे सभी जो परमेश्वर को नहीं जानते हैं, वे दुविधायुक्त विश्वास रखते हैं।

2018-08-15

Love God Without Regrets | Hindi Christian Music Video "मुश्किल डगर पर परमेश्वर का अनुसरण करो"


Love God Without Regrets | Hindi Christian Music Video "मुश्किल डगर पर परमेश्वर का अनुसरण करो"
तुम खुद को ईश्वर के लिए व्यय करते हो, मैं खुद को उसे समर्पित करता हूँ, छोड़ा गया परिवार के द्वारा, संसार द्वारा बदनाम किया गया। ईश्वर के अनुसरण की राह बिल्कुल भी नहीं आसान। मैं अपना दिल और आत्मा लगाता हूँ ईश्वर के राज्य को बढ़ाने में। मैं विदा करता हूँ अपने जवानी के श्रेष्ठ सालों को। आने वाले सुख-दुख का मैं स्वागत करता हूँ। ईश्वर की अपेक्षाओं को संतुष्ट करने को, मैं उसकी व्यवस्था का पालन करता हूँ। चाहे मुझे जीवन भर सहना पड़े, मैं उसका अनुसरण करूँगा और गवाही दूंगा। चाहे मुझे जीवन भर सहना पड़े, मैं उसका अनुसरण करूँगा और गवाही दूंगा।

2018-08-09

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं"



सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं"


सभी मनुष्य यीशु के सच्चे रूप को देखने और उसके साथ रहने की इच्छा करते हैं। मैं विश्वास करता हूँ कि भाइयों या बहनों में से एक भी ऐसा नहीं है जो कहेगा कि वह यीशु को देखने या उसके साथ रहने की इच्छा नहीं करता है। यीशु को देखने से पहले, अर्थात, देहधारी परमेश्वर को देखने से पहले, संभवत: तुम्हारे भीतर अनेक विचार होंगे, उदाहरण के लिए, यीशु के रूप के बारे में, उसके बोलने के तरीका, उसके जीवन-शैली के बारे में इत्यादि। लेकिन एक बार वास्तव में उसे देख लेने के बाद, तुम्हारे विचार तेजी से बदल जाएँगे। ऐसा क्यों है? क्या तुम लोग जानना चाहते हो? जबकि मनुष्य की सोच और विचारों को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन यह मनुष्य के लिए और बहुत अधिक असहनीय है कि वह मसीह के सार में परिवर्तन करे। तुम लोग मसीह को अविनाशी, एक संत मानते हो, लेकिन कोई उसे एक सामान्य मानव नहीं मानता जो दिव्य सार धारण किये हुए है। इसलिए, अनेक लोग जो दिन-रात परमेश्वर को देखने की लालसा करते हैं, वास्तव में परमेश्वर के शत्रु हैं और परमेश्वर के अनुरूप नहीं हैं। क्या यह मनुष्य की ओर से की गई ग़लती नहीं है? तुम लोग अभी भी यह सोचते हो कि तुम्हारा विश्वास और तुम्हारी निष्ठा ऐसी है कि तुम सब मसीह के रूप को देखने के योग्य हो, परन्तु मैं तुमसे गुहार लगाता हूँ कि तुम अपने आपको और भी अधिक व्यवहारिक चीज़ों से सन्नद्ध कर लो! क्योंकि भूतकाल, वर्तमान, और भविष्य में बहुतेरे जो मसीह के सम्पर्क में आए, वे असफल हो गए हैं और असफल हो जाएँगे; वे सभी फरीसियों की भूमिका निभाते हैं। तुम लोगों की असफलता का कारण क्या है? इसका सटीक कारण यह है कि तुम्हारे विचार में एक प्रशंसनीय परमेश्वर है। परन्तु सत्य ऐसा नहीं जिसकी मनुष्य कामना करता है। न केवल मसीह ऊँचा-विशाल नहीं है, बल्कि वह विषेश रूप से छोटा है; वह न केवल मनुष्य है बल्कि एक सामान्य मनुष्य है; वह न केवल स्वर्ग पर नहीं चढ़ सकता, बल्कि वह पृथ्वी पर भी स्वतन्त्रता से घूम नहीं सकता है। और इसलिए लोग उस के साथ सामान्य मनुष्य जैसा व्यवहार करते हैं; जब वे उसके साथ होते हैं तो बेतकल्लुफ़ी भरा व्यवहार करते हैं, और उसके साथ लापरवाही से बोलते हैं, और तब भी पूरे समय "सच्चे मसीह" के आने का इन्तज़ार करते रहते हैं। जो मसीह पहले ही आ चुका है उसे तुम लोग ऐसा समझते हो कि वह एक साधारण मनुष्य है और उसके वचन को भी साधारण इंसान के वचन मानते हो। इसलिए, तुमने मसीह से कुछ भी प्राप्त नहीं किया है और उसके बजाए प्रकाश में अपनी कुरूपता को पूरी तरह प्रकट कर दिया है। मसीह के सम्पर्क में आने से पहले, तुम्हें शायद विश्वास हो कि तुम्हारा स्वभाव पूरी तरह बदल चुका है, तुम मसीह के निष्ठावान अनुयायी हो, और तुम्हें शायद यह भी विश्वास हो कि तुम मसीह की आशीषों को प्राप्त करने के लिए सबसे ज़्यादा योग्य हो। क्योंकि तुम कई मार्गों पर यात्रा कर चुके हो, बहुत काम कर चुके हो, और बहुत अधिक फल ला चुके हो, अतः अंत में तुम्हीं मुकुट प्राप्त करोगे। फिर भी, एक सच्चाई है जिसे शायद तुम नहीं जानते हो: जब मनुष्य मसीह को देखता है तब उसका भ्रष्ट स्वभाव, विद्रोह और प्रतिरोध का खुलासा हो जाता है, और जिस विद्रोह और प्रतिरोध का खुलासा ऐसे अवसर पर होता है वह किसी अन्य समय की अपेक्षा कहीं ज़्यादा पूर्ण और निश्चित होता है। मसीह मनुष्य का पुत्र है और सामान्य मानवता रखता है जिस कारण मनुष्य न तो उसका सम्मान करता और न ही आदर करता है। चूँकि परमेश्वर देह में रहता है, इस कारण से मनुष्य का विद्रोह पूरी तरह और स्पष्ट रूप से प्रकाश में लाया जाता है। अतः मैं कहता हूँ कि मसीह के आगमन ने मानवजाति के सारे विद्रोह को खोज निकाला है और मानवजाति के स्वभाव को बहुत ही स्पष्ट रूप से दृश्यमान बना दिया है। इसे कहते हैं "लालच देकर एक बाघ को पहाड़ के नीचे ले आना" और "लालच देकर एक भेड़िए को गुफा से बाहर ले आना।" क्या तुम कह सकते हो कि तुम परमेश्वर के प्रति निष्ठावान हो? क्या तुम कह सकते हो कि तुम परमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण आज्ञाकारिता दिखाते हो? क्या तुम कह सकते हैं कि तुम विद्रोही नहीं हो? कुछ लोग कहेंगेः जब भी परमेश्वर मुझे नई परिस्थिति में डालता है, मैं हमेशा आज्ञापालन करता हूँ और कभी शिकायत नहीं करता। इसके अतिरिक्त, मैं परमेश्वर के बारे में कोई धारणा नहीं बनाता हूँ। कुछ कहेंगेः परमेश्वर जो भी काम मुझे सौंपता है, मैं उसे अपनी पूरी योग्यता के साथ करता हूँ और कभी भी लापरवाही नहीं करता। तब मैं तुम लोगों से यह पूछता हूँ: क्या तुम सब मसीह के साथ रहते हुए उसके अनुरूप हो सकते हो? और कितने समय तक तुम सब उसके अनुरूप रहोगे? एक दिन? दो दिन? एक घण्टा? दो घण्टे? हो सकता है तुम्हारा विश्वास उसके अनुरूप हो, परन्तु तुम लोगों के पास अधिक दृढ़ता नहीं है। जब तुम सचमुच में मसीह के साथ रहोगे, तो तुम्हारा दंभ और अहंकार धीरे-धीरे तुम्हारे शब्दों और कार्यों के द्वारा प्रकट होने लगेगा, और इस प्रकार तुम्हारी अत्यधिक इच्छा, अवज्ञाकारी मानसिकता और असंतुष्टि स्वतः ही प्रकट हो जायेगी। आखिरकार, तुम्हारा अहंकार बहुत ज़्यादा बड़ा हो जाएगा, और जब कि तुम मसीह के वैसे ही विरोधी नहीं बन जाते जैसे जल और आग, और तब तुम्हारे स्वभाव का पूरी तरह से खुलासा हो जायेगा। उस समय, तुम्हारी धारणाएँ पर्दे में नहीं रह सकेंगी। तुम्हारी शिकायतें भी, अनायास ही प्रकट हो जाएँगी, और तुम्हारी नीच मानवता का भी पूरी तरह से खुलासा हो जाएगा। फिर भी, तुम लगातार अपने विद्रोहीपन से मुकरते हो। और तुम विश्वास करते हो कि ऐसे मसीह को स्वीकार करना आसान नहीं है और वह मनुष्य के प्रति बहुत अधिक कठोर है, लेकिन अगर वह कोई अधिक दयालु मसीह होता तो तुम पूरी तरह से उसे समर्पित हो जाते। तुम लोग विश्वास करते हो कि तुम्हारे विद्रोह का एक जायज़ कारण है, कि तुम सबने केवल तभी मसीह के विरूद्ध विद्रोह किया जब उसने तुम लोगों को हद से ज़्यादा मजबूर कर दिया। तुम सबने कभी यह एहसास नहीं किया है कि तुम लोग मसीह को परमेश्वर नहीं मानते, न ही तुम्हारे पास उसकी आज्ञा मानने की मंशा है। बल्कि, तुम ढिठाई से आग्रह करते हो कि मसीह तुम्हारे मन के अनुसार काम करे, और यदि वह एक भी कार्य ऐसा करे जो तुम्हारे मन के अनुकूल न तो तुम लोग मान लेते हो कि वह परमेश्वर नहीं मनुष्य है। क्या तुम लोगों में से बहुत से लोग ऐसे नहीं हैं जो उसके साथ इस तरह विवाद करते हैं? आख़िरकार तुम लोग किसमें विश्वास करते हो? और तुम लोग किस तरह से खोजते हो? तुम सब हमेशा मसीह को देखने की कामना करते हो, लेकिन मैं तुम सबसे गुहार लगाता हूँ कि तुम अपने आपको इस तरह ऊँचा न उठाओ; हर कोई मसीह को देख सकता है, परन्तु मैं यह कहता हूँ कि कोई मसीह को देखने के लायक नहीं है। क्योंकि मनुष्य का स्वभाव बुराई, अहंकार और विद्रोह से भरा हुआ है, इस समय तुम मसीह को देखोगे तो, तुम्हारा स्वभाव तुम्हें बर्बाद कर देगा और बेहद तिरस्कृत करेगा। किसी भाई (या बहन) के साथ तुम्हारी संगति शायद तुम्हारे बारे में बहुत कुछ न दिखाए, परन्तु जब तुम मसीह के साथ संगति करते हो तो यह इतना आसान नहीं होता। किसी भी समय, तुम्हारी धारणा जड़ पकड़ सकती है, तुम्हारा अहंकार फूटना शुरू कर सकता है, और तुम्हारे विद्रोह में फल लग सकते हैं। ऐसी मानवता के साथ तुम कैसे मसीह के साथ संगति के काबिल हो सकते हो? क्या तुम वास्तव में उसके साथ प्रत्येक दिन के प्रत्येक पल में परमेश्वर जैसा बर्ताव कर सकते हो? क्या तुम में सचमुच परमेश्वर के प्रति समर्पण की वास्तविकता होगी? तुम सब अपने हृदय में यहोवा के रूप में एक ऊँचे परमेश्वर की आराधना करते हो लेकिन दृश्यमान मसीह को मनुष्य समझते हो। तुम लोगों की समझ बहुत ही हीन है और तुम्हारी मानवता बहुत नीची है! तुम सब सदैव के लिए मसीह को परमेश्वर के रूप में मानने में असमर्थ हो; कभी-कभार ही, जब तुम्हारा मन होता है, तुम परमेश्वर को पकड़ते हो और उसकी आराधना करने लगते हो। इसीलिए मैं कहता हूँ कि तुम लोग परमेश्वर के विश्वासी नहीं हो, बल्कि तुम सभी उनके सहअपराधी हो जो मसीह के विरूद्ध लड़ते हैं। यहाँ तक कि वे मनुष्य भी जो दूसरों के प्रति हमदर्दी दिखाते हैं उन्हें भी प्रतिफल दिया जाता है, फिर भी मसीह, जो तुम्हारे बीच में ऐसा कार्य करता है, उसे मनुष्य के द्वारा प्रेम नहीं किया जाता है, न प्रतिफल दिया जाता है, न ही उसे मनुष्य का समर्पण प्राप्त होता है। क्या यह दिल दुखाने वाली बात नहीं है? ऐसा हो सकता है कि परमेश्वर में तुम्हारे इतने वर्षों के विश्वास में, तुमने कभी किसी को कोसा न हो और न ही कोई बुरा कार्य किया हो, फिर भी मसीह के साथ अपनी संगति में, तुम सच नहीं बोल सकते हो, सच्चाई से कार्य नहीं कर सकते, या मसीह के वचन का पालन नहीं कर सकते हो; तो मैं कहूँगा कि तुम संसार में सबसे अधिक कुटिल और कपटी हो। हो सकता है तुम अपने रिश्तेदारों, मित्रों, पत्नी (या पति), बेटों और बेटियों, और माता पिता के प्रति स्नेहपूर्ण और निष्ठावान हो, और कभी दूसरों का फायदा नहीं उठाया हो, लेकिन अगर तुम मसीह के अनुरूप नहीं हो और उसके साथ तुम्हारा सामंजस्य नहीं है, तो भले ही तुम अपने पड़ोसियों की सहायता के लिए अपना सब कुछ खपा दो या अपने पिता, माता और घरवालों की अच्छी देखभाल की हो, तब मैं कहूँगा कि तुम धूर्त हो, और साथ में चालाक भी हो। बस इसलिए कि तुम दूसरों के साथ अच्छा तालमेल बिठा लेते हो या कुछ अच्छे काम करते हो तो यह न सोचो कि तुम मसीह के अनुरूप हो। क्या तुम यह विश्वास करते हो कि तुम्हारी उदारता स्वर्ग की आशीषों को चुरा सकती है? क्या तुम सोचते हो कि थोड़े-से अच्छे काम कर लेना तुम्हारी आज्ञाकारिता का स्थान ले सकते हैं? तुम लोगों में से कोई भी निपटारा और छंटाई स्वीकार नहीं कर सकता, और सभी को मसीह की सरल मानवता को अंगीकार करने में कठिनाई होती है। फिर भी तुम सब परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता का दावा करते हो। तुम सबका ऐसा विश्वास तुम्हारे ऊपर उचित प्रतिकार लेकर आएगा। काल्पनिक भ्रम में लिप्त होना और मसीह को देखने की चाहत करना बंद कर दो, क्योंकि तुम सभी कद में बहुत छोटे हो, इतने कि तुम लोग उसे देखने के योग्य भी नहीं हो। जब तुम पूरी तरह से अपने विद्रोह को मिटाकर मसीह के साथ साँमजस्य स्थापित कर पाते हो, तभी परमेश्वर स्वाभाविक रूप से तुम्हारे सामने प्रकट होगा। यदि तुम बिना छंटाई या न्याय से गुज़रे परमेश्वर को देखने जाते हो, तब तुम निश्चित तौर पर परमेश्वर के विरोधी बन जाओगे और विनाश तुम्हारी नियति बन जाएगा। मनुष्य का स्वभाव स्वाभाविक रूप से परमेश्वर के प्रति शत्रुतापूर्ण है, क्योंकि सभी मनुष्यों को शैतान के द्वारा पूरी तरह भ्रष्ट कर दिया गया है। यदि कोई भ्रष्ट मनुष्य अपनी भ्रष्ट के मध्य परमेश्वर के साथ संगति करने का प्रयास करे, तो उससे कोई अच्छी चीज़ नहीं उत्पन्न हो सकती; मनुष्य के सारे कार्य और वचन निश्चित तौर पर उसकी भ्रष्टता का खुलासा करेंगे; और जब वह परमेश्वर के साथ जुड़ेगा, तो उसका विद्रोह सभी पहलुओं में प्रकट होगा। मनुष्य अनजाने में मसीह का विरोध करता है, मसीह को धोखा देता है, और मसीह को अस्वीकार करता है; तब मनुष्य और भी ज़्यादा खतरनाक स्थिति में होगा। यदि यह जारी रहता है, तो वह दण्ड का भागी होगा। कुछ लोग यह मान सकते हैं कि यदि परमेश्वर के साथ साहचर्य इतना खतरनाक है, तो बुद्धिमानी होगी कि परमेश्वर से दूर ही रहा जाए। तब, ऐसे लोगों को क्या हासिल होगा? क्या वे परमेश्वर के प्रति निष्ठावान होंगे? वास्तव में, परमेश्वर के साथ संगति बहुत ही कठिन है, परन्तु यह पूरी तरह इसलिए है क्योंकि मनुष्य भ्रष्ट है, इसलिए नहीं कि परमेश्वर मनुष्य के साथ जुड़ नहीं सकता है। तुम लोगों के लिए यह सबसे अच्छा होगा कि तुम सब स्वयं को जानने की सच्चाई पर ज़्यादा प्रयास करो। तुम लोगों ने परमेश्वर की कृपा प्राप्त क्यों नहीं की है? तुम्हारा स्वभाव उसके लिए घिनौना क्यों है? तुम्हारे शब्द उसके अंदर जुगुप्ता क्यों उत्पन्न करते हैं? तुम लोग थोड़ी-सी निष्ठा दिखाते ही खुद ही अपनी तारीफ करने लगते हो और अपने छोटे से बलिदान के लिए प्रतिफल चाहते हो; जब तुम सब थोड़ी-सी आज्ञाकारिता दिखाते हो तो तुम लोग दूसरों को नीची दृष्टि से देखते हो, और कुछ छोटे छोटे-कार्यों को करके तुम लोग परमेश्वर का तिरस्कार करने लग जाते हो। तुम लोग परमेश्वर को स्वीकार करने के बदले धन-संपत्ति, भेंटों और प्रशंसा की अभिलाषा करते हो। एक या दो सिक्के देते हुए भी तुम्हारा हृदय दुखता है; जब तुम लोग दस सिक्के देते हो, तब तुम लोग आशीषों की और दूसरों से अलग दिखने की अभिलाषा करते हो। जैसी तुम्हारी मानवता है उसके बारे में तो बात करना और सुनना भी वास्तव में अपमानजनक है। तुम्हारे शब्दों और कार्यों के बारे में प्रशंसापूर्ण क्या है? वे जो अपने कर्तव्यों को निभाते हैं और वे जो नहीं निभाते; वे जो अगुवाई करते हैं और वे जो अनुसरण करते हैं; वे जो परमेश्वर को ग्रहण करते और वे जो नहीं करते हैं; वे जो दान देते हैं और वे जो नहीं देते; वे जो प्रचार करते हैं और वे जो वचन को ग्रहण करते हैं इत्यादि; इस प्रकार के सभी लोग अपनी ही तारीफ करते हैं। क्या तुम्हें यह हास्यास्पद नहीं लगता है? निश्चित रूप से तुम लोग जानते हो कि तुम सब परमेश्वर पर विश्वास करते हो, फिर भी तुम सभी परमेश्वर के अनुरूप नहीं हो सकते हो। अच्छी तरह से यह जानते हुए कि तुम सब बिल्कुल अयोग्य हो, फिर भी तुम लोग डींग मारते ही रहते हो। क्या तुम्हें महसूस नहीं होता है कि तुम्हारी समझ ऐसी हो गई है कि अब तुम्हारे पास और आत्म-संयम नहीं है? ऐसी समझ के साथ तुम लोग परमेश्वर के साथ संगति करने के काबिल कैसे हो सकते हो? अब क्या तुम लोग इस मकाम पर अपने लिए भयभीत नहीं हो? तुम्हारा स्वभाव पहले ही ऐसा हो गया है कि तुम लोग परमेश्वर के अनुरूप नहीं हो सकते हो। इस बात को देखते हुए, क्या तुम्हारा विश्वास हास्यास्पद नहीं है? क्या तुम्हारा विश्वास बेतुका नहीं है? तुम अपने भविष्य से कैसे निपटोगे? तुम उस मार्ग का चुनाव कैसे करोगे जिस पर तुम्हें चलना है?



2018-07-16

देहधारी परमेश्वर में और परमेश्वर द्वारा उपयोग किये गए मनुष्यों में मूलभूत अंतर क्या है?





🤔🤔देहधारी परमेश्वर में और परमेश्वर द्वारा उपयोग किये गए मनुष्यों में मूलभूत अंतर क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:
"मैं तो पानी से तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूं, परन्तु जो मेरे बाद आनेवाला है, वह मुझ से शक्तिशाली है; मैं उस की जूती उठाने के योग्य नहीं, वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।" (मत्ती 3:11)
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https://hi.kingdomsalvation.org/special-topic/mysteryofincarnation-one.html
"मसीह परमेश्वर के आत्मा के द्वारा धारण किया गया देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है बल्कि आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण परमेश्वरत्व दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती है। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियों को बनाए रखती है, जबकि दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य करती है। चाहे यह उसकी मानवता हो या दिव्यता, दोनों स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति समर्पित हैं। मसीह का सार पवित्र आत्मा, अर्थात्, दिव्यता है। इसलिए, उसका सार स्वयं परमेश्वर का है; यह सार उसके स्वयं के कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं करेगा, तथा वह संभवतः कोई ऐसा कार्य नहीं कर सकता है जो उसके स्वयं के कार्य को नष्ट करता हो, ना वह ऐसे वचन कहेगा जो उसकी स्वयं की इच्छा के विरूद्ध जाते हों। … जो कोई भी अवज्ञा करता है वह शैतान की ओर से आता है; शैतान समस्त कुरूपता तथा दुष्टता का स्रोत है। मनुष्य में शैतान के सदृश विशेषताएँ होने का कारण यह है कि शैतान द्वारा मनुष्य को भ्रष्ट किया गया तथा उस पर कार्य किया गया है। मसीह शैतान द्वारा भ्रष्ट नहीं किया गया है, अतः उसके पास केवल परमेश्वर की विशेषताएँ हैं तथा शैतान की एक भी नहीं है।"
"स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का वास्तविक सार है" से


"पूरे समय में, उन सभी लोगों के पास जिनका परमेश्वर ने उपयोग किया है सामान्य सोच और कारण रहे हैं। वे सब जानते हैं कि कैसे स्वयं आचरण करना है और जीवन के मामलों को सँभालना है। उनके पास सामान्य मानव विचारधारा है और वे सभी चीज़ें हैं जो सामान्य लोगों के पास होनी चाहिए। उनमें से अधिकतर लोगों के पास असाधारण प्रतिभा और सहज ज्ञान है। उन लोगों के माध्यम से कार्य करने में, परमेश्वर का आत्मा उनकी प्रतिभाओं का उपयोग करता है, जोकि उनके ईश्वर-प्रदत्त वरदान हैं। यह परमेश्वर का आत्मा ही है जो परमेश्वर की सेवा करने की उनकी शक्तियों का उपयोग करके उनकी प्रतिभाओं को सक्रिय करता है। हालाँकि, परमेश्वर का सार विचारधारा-मुक्त और विचार-मुक्त है। यह मनुष्य के विचारों को शामिल नहीं करता है और यहाँ तक कि उसमें उन बातों का भी अभाव है जो मनुष्यों में सामान्य रूप से होती हैं। अर्थात्, परमेश्वर मानव आचरण के सिद्धांतों को समझता तक नहीं है। जब आज का परमेश्वर पृथ्वी पर आता है, तब ऐसा ही होता है। वह मनुष्य के विचारों या मनुष्य की सोच को शामिल किए बिना कार्य करता और बोलता है, परन्तु आत्मा का वास्तविक अर्थ सीधे प्रकट करता है और सीधे परमेश्वर की ओर से कार्य करता है। इसका अर्थ है कि आत्मा कार्य करने के लिए आगे आता है, जो मनुष्य के विचारों को थोड़ा सा भी शामिल नहीं करता है। अर्थात्, देहधारी परमेश्वर सीधे ईश्वरत्व का अवतार होता है, मनुष्य की सोच या विचारधारा के बिना होता है, और मानव आचरण के सिद्धांतों की कोई समझ नहीं रखता है। अगर वहाँ केवल दिव्य कार्य होते (अर्थात् यदि केवल परमेश्वर स्वयं कार्य कर रहा होता), तो परमेश्वर का कार्य पृथ्वी पर पूरा नहीं किया जा सकता था। इसलिए जब परमेश्वर पृथ्वी पर आता है, उसे कुछ लोग रखने ही पड़ते हैं जिनका वह ईश्वरत्व में अपने कार्य के साथ संयोजन में मानवता में कार्य करने के लिए उपयोग करता है।अन्यथा, मनुष्य ईश्वरीय कार्य के साथ सीधे संपर्क में आने में असमर्थ होगा।"
"देहधारी परमेश्वर और परमेश्वर द्वारा उपयोग किए गए लोगों के बीच महत्वपूर्ण अंतर" से


2018-07-09

परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए

  

प्रभु यीशु ने स्वयं भविष्यवाणी की थी कि परमेश्वर आखिरी दिनों में देहधारण करेगा और कार्य करने के लिए मनुष्य के पुत्र के रूप में प्रकट होगा।


संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (लूका 12:40)।
"क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)।
"आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो" (मत्ती 25:6)।
"देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)।
"देख, मैं चोर के समान आता हूँ; धन्य वह है जो जागता रहता है, और अपने वस्त्र की चौकसी करता है कि नंगा न फिरे, और लोग उसका नंगापन न देखें" (प्रकाशितवाक्य 16:15)।
"तब मैं ने उसे, उस शब्द को जो मुझ से बोल रहा था, देखने के लिये अपना मुँह फेरा; और पीछे घूमकर मैं ने सोने की सात दीवटें देखीं, और उन दीवटों के बीच में मनुष्य के पुत्र सदृश एक पुरुष को देखा, जो पाँवों तक का वस्त्र पहिने, और छाती पर सोने का पटुका बाँधे हुए था। उसके सिर और बाल श्‍वेत ऊन वरन् पाले के समान उज्ज्वल थे, और उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान थीं। उसके पाँव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्ठी में तपाया गया हो, और उसका शब्द बहुत जल के शब्द के समान था। वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिये हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी। उसका मुँह ऐसा प्रज्‍वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है" (प्रकाशितवाक्य 1:12-16)।

2018-05-31

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "मनुष्य के सामान्य जीवन को पुनःस्थापित करना और उसे एक बेहतरीन मंज़िल पर ले चलना" (भाग एक)




सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जब एक बार विजय के कार्य को पूरा कर लिया जाता है, तब मनुष्य को एक सुन्दर संसार में पहुंचाया जाएगा। निश्चित रूप से, यह जीवन तब भी पृथ्वी पर ही होगा, परन्तु यह मनुष्य के आज के जीवन से पूरी तरह से भिन्न होगा। यह वह जीवन है जो मानवजाति के तब पास होगा जब सम्पूर्ण मानवजाति पर विजय प्राप्त कर लिया जाता है, यह पृथ्वी पर मनुष्य के लिए, और मानवजाति के लिए एक नई शुरुआत होगी कि उसके पास ऐसा जीवन हो जो इस बात का सबूत होगा कि मानवजाति ने एक नए एवं सुन्दर आयाम में प्रवेश कर लिया है। यह पृथ्वी पर मनुष्य एवं परमेश्वर के जीवन की शुरुआत होगी। ऐसे सुन्दर जीवन का आधार ऐसा ही होगा, जब मनुष्य को शुद्ध कर लिया जाता है और उस पर विजय पा लिया जाता है उसके पश्चात्, वह परमेश्वर के सम्मुख समर्पित हो जाता है। और इस प्रकार, इससे पहले कि मानवजाति उस बेहतरीन मंज़िल में प्रवेश करे विजय का कार्य परमेश्वर के कार्य का अंतिम चरण है। ऐसा जीवन ही पृथ्वी पर मनुष्य के भविष्य का जीवन है, यह पृथ्वी पर सबसे अधिक सुन्दर जीवन है, उस प्रकार का जीवन है जिसकी लालसा मनुष्य करता है, और उस प्रकार का जीवन है जिसे मनुष्य ने संसार के इतिहास में पहले कभी हासिल नहीं किया गया है। यह 6,000 वर्षों के प्रबधंकीय कार्य का अंतिम परिणाम है, यह वह है जिसकी मानवजाति ने अत्यंत अभिलाषा की है, और साथ ही यह मनुष्य के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञा भी है।"

2018-04-03

"शहर परास्त किया जाएगा" क्लिप 1 - धार्मिक संसार का पतन बेबीलोन शहर के रूप में हो गया है



"शहर परास्त किया जाएगा" क्लिप 1 - धार्मिक संसार का पतन बेबीलोन शहर के रूप में हो गया है


धार्मिक संसार परमेश्वर के मार्ग से भटक जाता है और सांसारिक रुझानों का अनुसरण करने लगता है, वह चमकती पूर्वी बिजली की प्रचंड अवज्ञा और निंदा करने में सत्‍तारूढ़ शासन के साथ सहयोग करता है, और वह पहले ही परमेश्वर-विरोधी मार्ग पर चलना शुरू कर चुका है। धार्मिक संसार बेबीलोन शहर के रूप में पतित हो चुका है। बाइबल कहती है, "यीशु ने परमेश्वर के मन्दिर में जाकर उन सब को, जो मन्दिर में लेनदेन कर रहे थे, निकाल दिया, और सर्राफों के पीढ़े और कबूतर बेचनेवालों की चौकियाँ उलट दीं, और उनसे कहा, “लिखा है, ‘मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा’; परन्तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो" (मत्ती 21:12-13)। "गिर गया, बड़ा बेबीलोन गिर गया है! वह दुष्टात्माओं का निवास, और हर एक अशुद्ध आत्मा का अड्डा, और हर एक अशुद्ध और घृणित पक्षी का अड्डा हो गया। क्योंकि उसके व्यभिचार की भयानक मदिरा के कारण सब जातियाँ गिर गई हैं, और पृथ्वी के राजाओं ने उसके साथ व्यभिचार किया है, और पृथ्वी के व्यापारी उसके सुख-विलास की बहुतायत के कारण धनवान हुए हैं" (प्रकाशितवाक्य 18:2-3)।
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।


2018-03-31

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है"





सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं "परमेश्वर के जीवन की महानता और सामर्थ्य किसी भी प्राणी के द्वारा मापी नहीं जा सकती। यह ऐसा ही है, ऐसा ही था और आने वाले समय में भी इसी प्रकार से रहेगा। और दूसरा रहस्य है: सभी प्राणियों के लिये परमेश्वर के द्वारा ही जीवन का स्रोत आता है, चाहे वह किसी भी रूप या स्वरूप में हो। तुम किसी भी प्रकार के प्राणी हो, तुम परमेश्वर के द्वारा निर्धारित जीवन के मार्ग को बदल नहीं सकते। किसी भी मामले में, मैं मनुष्य के लिए यही इच्छा करता हूं कि मनुष्य यह समझें कि बिना देखभाल, सुरक्षा और परमेश्वर के प्रावधान के, मनुष्य जो प्राप्त करने के लिए रचा गया है वह प्राप्त नहीं कर सकता, चाहे वह कितना भी अधिक प्रयास या संघर्ष कर ले। परमेश्वर की ओर से प्रदान किये गये जीवन के बिना, मनुष्य अपने जीवन के मूल्य और उद्देश्य को खो देता है।"
अनुशंसित:सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "क्या तुम जानते हो? परमेश्वर ने मनुष्यों के बीच एक बहुत बड़ा काम किया है" https://youtu.be/c9AWov9lWiY
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।


2018-03-29

Hindi Gospel Movie "बाइबल और परमेश्वर"(5) - मसीह जीवन का स्रोत है और साथ ही साथ बाइबल का प्रभु भी है





बाइबल परमेश्वर के वचनों के साथ-साथ मनुष्य के अनुभवों और साक्ष्यों से परिपूर्ण है जो हमें जीवन प्रदान कर सकती है और हमारे लिए अत्यंत लाभदायक है। प्रभु यीशु ने कहा, “मैं ही पुनरुज्जीवन, और जीवन हूँ: जो कोई भी मुझमें विश्वास करता है, चाहे उसकी मृत्यु क्यों न हो जाएं, वह जीवित रहेगा। और जो कोई भी मुझमें जीता और विश्वास करता है, वह कभी नहीं मरता है।” (यूहन्ना11:25-26) . परन्तु 2,000 वर्ष बीत जाने के बाद भी, प्रभु में विश्वास रखने वाले जिन लोगों ने बाइबल को पढ़ा था, अभी तक शाश्वत जीवन को प्राप्त क्यों नहीं कर सके। क्या इसका कारण यह हो सकता था कि बाइबल शाश्वत जीवन प्राप्त करने का मार्ग नहीं है? क्या इसका कारण यह हो सकता है कि जब प्रभु यीशु ने छुटकारा देने का कार्य किया तो उन्होंने मानव-जाति को शाश्वत जीवन का वरदान नहीं दिया? शाश्वत जीवन प्राप्त करने के लिए हमें आखिर क्या करना चाहिए?


अनुशंसित:Hindi Gospel Movie | Is the Bible the Lord, or Is God? | "मेरा प्रभु कौन है?"

चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।


2018-03-23

Hindi Best Christian Song | सबसे बड़ी आशीष जो ईश्वर मानव को प्रदान करता है




Hindi Best Christian Song | सबसे बड़ी आशीष जो ईश्वर मानव को प्रदान करता है

परमेश्वर के शब्दों के समापन के साथ, उसका साम्राज्य है बन रहा।
फिर से मानव के होने से सामान्य, प्रभु का साम्राज्य बना। साम्राज्य में रहते परमेश्वर के जन, फिर पाओगे तुम मनुष्योचित जीवन। आज, तुम जीते हो प्रभु के समक्ष; उसके साम्राज्य में जिओगे तुम कल। आनंद – सौहार्द से भरी धरती सारी। धरती पर प्रभु का साम्राज्य बना। धरती पर प्रभु का साम्राज्य बना। बर्फीले ठण्ड के स्थान पर है ऐसी एक दुनिया, जहां है बहारें साल भर, जब इंसां ना झेलेगा इस दुनिया के दर्द-ओ-ग़म को। ना होंगें झगड़े इंसानों में, ना तो जंग होंगे मुल्कों में, ना होगी हिंसा, ना ही खून। उसके साम्राज्य में जिओगे तुम कल। आनंद – सौहार्द से भरी धरती सारी। धरती पर प्रभु का साम्राज्य बना। धरती पर प्रभु का साम्राज्य बना। प्रभु विचरता है इस जग में, रस लेता अपने सिंहासन से। रहता है वो सितारों में, फरिश्ते उसके लिए नाचें-गाएं। फरिश्ते अब रोते नहीं, अपनी कमजोरियों पर। फरिश्ते उसके लिए नाचें-गाएं। फरिश्ते उसके लिए नाचें-गाएं। अब ना प्रभु कभी, सुनेगा रोना फरिश्तों का। फरिश्ते उसके लिए नाचें-गाएं। फरिश्ते उसके लिए नाचें-गाएं। तकलीफों की फरियाद करेगा ना कोई। आज, तुम जीते हो प्रभु के समक्ष; उसके साम्राज्य में जिओगे तुम कल। क्या नहीं, आशीष ये सबसे बड़ी है प्रभु ने दी जो इंसानों को? साम्राज्य में रहते परमेश्वर के जन, फिर पाओगे तुम मनुष्योचित जीवन। आज, तुम जीते हो प्रभु के समक्ष; उसके साम्राज्य में जिओगे तुम कल। आनंद – सौहार्द से भरी धरती सारी। धरती पर प्रभु का साम्राज्य बना। धरती पर प्रभु का साम्राज्य बना। "वचन देह में प्रकट होता है" से
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

2018-03-21

Hindi Christian Song | परमेश्वर पर भरोसे का सच्चा अर्थ



परमेश्वर में भरोसा तो बहुत लोग करते हैं,
मगर उसके असली मायने कुछ ही समझते हैं, उसके दिल के साथ धड़कने के लिए क्या करें, वे नहीं समझते हैं। बहुतों ने सुना है ‘परमेश्वर और उसका काम’, मगर न उसे जानते हैं, ना उसका काम। कोई अचरज नहीं, उनका विश्वास अंधा है। वे संजीदा भी नहीं क्योंकि ये अनजाना और अनूठा है। यही वजह है, वो परमेश्वर की मांगों से बहुत पीछे हैं। परमेश्वर को, उसके काम को जाने बिना, क्या उसके काम आ सकोगे? क्या परमेश्वर की इच्छा पूरी कर सकोगे? क्या परमेश्वर की इच्छा पूरी कर सकोगे? उसके वजूद में विश्वास करना काफी नहीं। ये बहुत आसान है, धार्मिक भी। ये उसमें सच्ची आस्था की तरह नहीं। परमेश्वर पर सच्ची आस्था के मायने हैं, तुम उसके काम का, वचनों का अनुभव लेते हो, इस विश्वास पर, कि परमेश्वर का प्रभुत्व है हर चीज़ पर। फिर तुम भ्रष्ट स्वभाव से मुक्ति पा सकोगे, परमेश्वर की इच्छा पूरी कर उसे जान सकोगे। यही है परमेश्वर पर सच्चे विश्वास का रास्ता। यही है परमेश्वर पर सच्चे विश्वास का रास्ता। बहुत से मानते हैं परमेश्वर में विश्वास करना है सरल और सतही। ऐसे विश्वास का मतलब नहीं। कैसे करें परमेश्वर स्वीकार? वे हैं गलत पथ पर। जिन्हें महज अक्षरों, खोखली तालीम पर भरोसा है, नहीं जानते उनका विश्वास ख्याली है, परमेश्वर को स्वीकार नहीं। फिर भी वे शांति और कृपा की प्रार्थना करते हैं। सोचो क्या इतना सरल है भरोसा करना। क्या ये है बस शांति और कृपा मांगना? क्या तुम उसकी इच्छा पूरी कर सकते हो, जबकि उसे जाने बिना उसका विरोध करते हो? परमेश्वर के वजूद में विश्वास करना काफी नहीं। ये बहुत आसान है, धार्मिक भी। ये उसमें सच्ची आस्था की तरह नहीं। परमेश्वर पर सच्ची आस्था के मायने हैं, तुम उसके काम का, वचनों का अनुभव लेते हो, इस विश्वास पर, कि परमेश्वर का प्रभुत्व है हर चीज़ पर। फिर तुम भ्रष्ट स्वभाव से मुक्ति पा सकोगे, परमेश्वर की इच्छा पूरी कर उसे जान सकोगे। यही है परमेश्वर पर सच्चे विश्वास का रास्ता। यही है परमेश्वर पर सच्चे विश्वास का रास्ता। यही है परमेश्वर पर सच्चे विश्वास का रास्ता। "वचन देह में प्रकट होता है" से अनुशंसित:The Great Love of God | Hindi Christian Song | "परमेश्वर का प्रेम और सार हमेशा से रहा है निस्वार्थ" https://youtu.be/4wjhYVeMUGg
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

2018-03-16

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "तुम्हें मसीह की अनुकूलता में होने के तरीके की खोज करनी चाहिए"





सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर कहते हैं "तुम लोग केवल एक अज्ञात परमेश्वर से अनुकूलता की ही खोज करते हो, और मात्र ही एक अज्ञात विश्वास की खोज करते हो, फिर भी तुम सब मसीह की अनुकूलता में नहीं हो। क्या तुम्हारी दुष्टता को भी वही कठोर दण्ड नहीं मिलेगा जो पापी को मिलता है? उस समय, तुम सबको अहसास होगा कि कोई भी जो मसीह के अनुकूल नहीं होता, क्रोध के दिन से वह बच नहीं पायेगा, और तुम लोगों पता चलेगा कि जो मसीह के शत्रु हैं उन्हें किस प्रकार का कठोर दण्ड दिया जायेगा। जब वह दिन आएगा, परमेश्वर में विश्वास के कारण भाग्यवान होने के तुम लोगों के सभी सपने, और स्वर्ग में जाने का अधिकार, सब बिखर जायेंगे। परंतु, यह उनके लिए नहीं है जो मसीह के अनुकूल हैं। यद्यपि उन्होंने बहुत कुछ खो दिया है, जबकि उन्होंने बहुत अधिक कठिनाइयों का सामना भी किया है, वह उस सब उत्तराधिकार को प्राप्त करेंगे जो मैं मानवजाति को वसीयत के रूप में दूंगा। अंततः, तुम समझ जाओगे कि सिर्फ़ मैं ही धर्मी परमेश्वर हूं, और केवल मैं ही मानवजाति को उसकी खूबसूरत मंजिल तक ले जाने में सक्षम हूँ।"
अनुशंसित:सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का प्रकटीकरण एक नया युग लाया है" https://youtu.be/yydAbHGteX4
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

2018-03-14

Hindi Christian Song | "हासिल कर सकता है जो प्रभाव परमेश्वर का न्याय"



न्याय करने में परमेश्वर के कार्य की मंशा नहीं
है एक या दो शब्दों में इंसान के पूरे स्वभाव को स्पष्ट करना, पर धीरे-धीरे इंसान को प्रकट करना, निपटना, और उसकी काँट-छाँट करना। बदला ना जा सकता ऐसा व्यवहार आम शब्दों के लिए, पर उस सच्चाई के लिए, जो इंसान की सीमा के है पार। इसी कार्य को न्याय मानते हैं, यही वो न्याय जिसकी बदौलत इंसान मानते हैं दिल में, ज़ुबां पर, भीतर, बाहर आज्ञा परमेश्वर की, और जान पाते हैं सच में उसे। न्याय के कार्य से ही जान पाते हैं मनुष्य परमेश्वर का असली चेहरा और अपने विद्रोह की सच्चाई। सिखाता है यही परमेश्वर के कार्य का इरादा और मंशा सिखाता है यही उन राज़ को जो इंसान नहीं समझता। इसकी मदद से जानता वो अपने दूषण और बदसूरती को। इसी कार्य को न्याय मानते हैं, यही वो न्याय जिसकी बदौलत इंसान मानते हैं दिल में, ज़ुबां पर, भीतर, बाहर आज्ञा परमेश्वर की, और जान पाते हैं सच में उसे। न्याय के कार्य के ज़रिए ही प्राप्त होता है परमेश्वर के कार्य का प्रभाव। दरअसल सार है ऐसे कामों का, प्रकट करना सच्चाई, पथ, और जीवन ईश्वर का, सामने उनके जो रखते हैं आस्था उस पर। इसी कार्य को न्याय मानते हैं, यही वो न्याय जिसकी बदौलत इंसान मानते हैं दिल में, ज़ुबां पर, भीतर, बाहर आज्ञा परमेश्वर की, और जान पाते हैं सच में उसे। "वचन देह में प्रकट होता है" से अनुशंसित:How Great Is the Love of God | Hindi Christian Song | "देहधारी परमेश्वर सबसे प्रिय है" https://youtu.be/grAwmiyznaY
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।


2018-03-12

Hindi Christian Song | मसीह का सार तय होता है उसके काम और अभिव्यक्तियों से



मसीह का सार तय होता है उसके काम और अभिव्यक्तियों से।
सच्चे दिल से पूरा करता है वो काम जो सुपुर्द है उसके, स्वर्ग के परमेश्वर को पूजता है और अपने पिता की इच्छा तलाशता है। ये सब तय होता है उसके सार से, और उसी से उसके कुदरती प्रकाशन तय होते हैं। वो कुदरती प्रकाशन कहलाते हैं, चूंकि उसकी अभिव्यक्तियां नकल नहीं हैं, ना ही इंसान के बरसों के सुधार या तालीम का नतीजा हैं। ना तो इन्हें उसने सीखा है, ना ख़ुद पर सजाया है, बल्कि सहज हैं। ना तो इन्हें उसने सीखा है, ना ख़ुद पर सजाया है, बल्कि सहज हैं, बल्कि सहज हैं, सहज हैं, सहज हैं। बल्कि सहज हैं, सहज हैं, सहज हैं। इंसान उसके काम को, अभिव्यक्तियों को, मानवता को नकार सकता है, वे उसके सामान्य मानवता के जीवन को भी नकार सकते हैं, मगर उसके सच्चे दिल को नहीं जब वो स्वर्ग में परमेश्वर को पूजता है। कोई नकार नहीं सकता कि वो स्वर्गीय पिता की इच्छा को पूरा करने की ख़ातिर यहां है। और कोई नकार नहीं सकता जिस सच्चाई से वो पिता परमेश्वर को खोजता है। शायद उसकी छवि इंद्रियों को ना भाए, शायद उसके उपदेश का लहजा निराला ना हो, शायद उसका काम धरती-या-आकाश को उतना ना हिला पाए, जितना इंसान अपनी कल्पना में मानता है। मगर वो सचमुच मसीह है, जो पूरा करता है इच्छा अपने पिता की, पूरे दिल से, पूरे समर्पण से, मौत की हद तक आज्ञापालन से। ऐसा इसलिये कि उसका सार मसीह का है। इन्सान के लिये इस सच पर यकीन करना मुश्किल है, मगर जो सचमुच वजूद में है, मगर जो सचमुच वजूद में है, मगर जो सचमुच वजूद में है, मगर जो सचमुच वजूद में है, मगर जो सचमुच वजूद में है। "वचन देह में प्रकट होता है" से अनुशंसित:Hindi Christian Song | देह में काम करके ही परमेश्वर इंसान को हासिल कर सकता है https://youtu.be/SOEls5e_5k8
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

2018-03-11

Best Christian Dance | Hindi Worship Song "मसीह का राज्य लोगों के मध्य साकार हुआ है"

I

धर्मी सूरज जिस तरह उगता है, अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर पूरब में, उसी तरह प्रकट हुआ है; इंसान ने देखी है सच्ची रोशनी उभरते हुए। धर्मी और प्रतापी, प्रेमी और दयालु परमेश्वर दीनता से छिपकर इंसानों के बीच, सत्य प्रसारित कर रहा, बोल रहा और काम कर रहा है। सर्वशक्तिमान हमारे रूबरू है। जिस परमेश्वर की प्यास थी तुम्हें, जिस परमेश्वर का इंतज़ार था मुझे, आज हकीकत में सामने हमारे वो आ गया है। हमने सच की तलाश की, हमने धर्मिता की चाह की; इंसानों के बीच है आज, सच्चाई और धर्मिता। तुम्हें प्यार है परमेश्वर से, मुझे प्यार है परमेश्वर से; इंसान भरा है, नई उम्मीदों से। व्यवहारिक देहधारी परमेश्वर को, मानते हैं लोग, पूजती है दुनिया। II सत्य व्यक्त करता है सर्वशक्तिमान परमेश्वर, लेकर आता है न्याय, और उजागर करता है, परमेश्वर का धर्मी स्वभाव। न्याय, ताड़ना और वचनों के परीक्षण से वो जीतता है विजयी लोगों के समूह को, और बनाता है पूर्ण उन्हें। परमेश्वर के रोषपूर्ण, प्रतापी वचन इंसान की अधर्मिता का न्याय कर, बनाते हैं निर्मल उसे, और अंधकार के युग का, विनाश करते हैं पूरी तरह। सत्य और धर्मिता की, सत्ता है धरती पर। दुनिया ख़ुश है, लोग आनंद मनाते हैं; लोगों के मध्य आगमन हुआ है, परमेश्वर के मंदिर का। दुनिया झूमती है, देश पूजते हैं, परमेश्वर की इच्छा पूरी हो रही है धरती पर। दुनिया ख़ुश है, लोग आनंद मनाते हैं; लोगों के मध्य आगमन हुआ है, परमेश्वर के मंदिर का। दुनिया झूमती है, देश पूजते हैं, परमेश्वर की इच्छा पूरी हो रही है धरती पर। मसीह का राज्य लोगों के मध्य साकार हुआ है। "मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना" से अनुशंसित:Mighty To Save | परमेश्वर अंतिम दिनों में मुख्यत वचन से काम करते हैं (Hindi) https://www.youtube.com/watch?v=_sFpw...
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

2018-03-08

Hindi Christian Song | परमेश्वर की सारी सृष्टि उसकी प्रभुता के अधीन होनी चाहिए


परमेश्वर की सारी सृष्टि उसकी प्रभुता के अधीन होनी चाहिए
परमेश्वर ने बनाया सब कुछ, और इसलिए वह सृष्टि को लेता है, अधीन अपने, और झुकाता आगे अपने प्रभुत्व के। आदेश वो देता है सब को, हाथों में लेकर नियंत्रण। जीव-जंतु, पहाड़, नदी, और मानव को अधीन उसके आना होगा। चीज़ें जो आसमाँ और धरती पर हैं, परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन सभी को आना है। करना होगा समर्पण, विकल्प के बिना। है आज्ञा यही परमेश्वर की और उसका है अधिकार।

2018-02-27

Hindi Christian Song | राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य के पीछे का सत्य



अगर रहोगे तुम सब अनुग्रह के युग में,
जान नहीं पाओगे परमेश्वर के स्वभाव को, या हो नहीं पाओगे दूषित स्वभाव से आज़ाद। अगर रहोगे तुम सब अनुग्रह की प्रचुरता में, लेकिन पता नहीं तुम्हें परमेश्वर को कैसे जानें और संतुष्ट करें, करते उस पर दयनीय रूप से विश्वास पर कभी न करोगे उसे प्राप्त, पर कभी न करोगे उसे प्राप्त। पढ़ लोगे जब तुम परमेश्वर के वचन, कर लोगे जब तुम अनुभव उसके कार्यों को राज्य के युग में, तो होंगे साकार सदियों के तुम्हारे सपने। होगा अहसास तुम्हें कि आखिरकार देखते हो तुम परमेश्वर को अपने सामने। होगा अहसास तुम्हें कि आखिरकार देखते हो तुम परमेश्वर को अपने सामने।

2018-02-19

Hindi Gospel Movie clip "बाइबल और परमेश्वर" (1) - एक निर्जन कलीसिया का नवजीवन




एल्डरलियू झिझोंग के कलीसिया में भाइयों और बहनों की एक बैठक के बाद बाइबल से जुड़ी उनकी शंकाएं समाप्त हो जाती हैं, उन्होंने अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्यों के बारे में ऑनलाइन पढ़ा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़कर, वे जीवन के जीवंत पानी से पोषित हुए, और अपने मूल विश्वास और प्रेम को पुनर्स्थापित करने में सक्षम हुए और अपने हृदय में पुष्टि करने में सक्षम हुए कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु का दूसरा आगमन हैं। जब एल्डर लियू झिझोंग ने ऐसा होते हुए देखा, तो वह बाइबिल को नीचे रखते हुए परमेश्वर के अंतिम दिनों के कार्यों की जाँच करने के लिए तत्पर हुए? इस छोटे से वीडियो को देखें!
अनुशंसित:Hindi Gospel Movie | Is the Bible the Lord, or Is God? | "मेरा प्रभु कौन है?" https://youtu.be/DtZ32js2S9U
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

2018-02-15

"प्रभुत्व का रहस्य" (6) - देहधारण के माध्यम से परमेश्वर के लिए उनका कार्य करने की आवश्यकता




"प्रभुत्व का रहस्य" क्लिप 6 - देहधारण के माध्यम से परमेश्वर के लिए उनका कार्य करने की आवश्यकता

ऐसा क्यों कहा गया है कि यह परमेश्वर के लिए भ्रष्ट मानवजाति को बचाना देहधारण से अधिक फायदेमंद है? परमेश्वर के देहधारण की आवश्यकता और प्रमुख महत्व को कैसे देखा जा सकता है? समझें?सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन"मनुष्य की देह को शैतान के द्वारा भष्ट किया गया है, और बिलकुल अन्धा कर दिया गया है, और गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया गया है। परमेश्वर किस लिए व्यक्तिगत रूप से देह में कार्य करता है उसका अत्यंत मौलिक कारण है क्योंकि उसके उद्धार का विषय है मनुष्य, जो देह से है, और क्योंकि शैतान भी परमेश्वर के कार्य को बिगाड़ने के लिए मनुष्य की देह का उपयोग करता है। शैतान के साथ युद्ध वास्तव में मनुष्य पर विजय पाने का कार्य है, और ठीक उसी समय, मनुष्य भी परमेश्वर के उद्धार का विषय है। इस रीति से, देहधारी परमेश्वर का कार्य परम आवश्यक है। शैतान ने मनुष्य की देह को भ्रष्ट कर दिया है, और मनुष्य शैतान का मूर्त रूप बन गया है, और ऐसा विषय बन गया है जिसे परमेश्वर के द्वारा हराया जाना है। इस रीति से, शैतान से युद्ध करने और मनुष्य को बचाने का कार्य पृथ्वी पर घटित होता है, और शैतान से युद्ध करने के लिए परमेश्वर को अवश्य मनुष्य बनना होगा। यह अत्यंत व्यावहारिकता का कार्य है।"
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।