मेरा कार्य वर्तमान चरण तक जारी रहा है और इसने मेरे हाथों की बुद्धिमान व्यवस्था का अनुसरण किया है, और साथ ही यह मेरी बड़ी सफलता भी है। मनुष्य के बीच ऐसा कौन है जो ऐसी किसी चीज़ को कर सकता है? और बल्कि इसके बजाय क्या वे मेरे प्रबंधन को बाधित नहीं करते हैं? लेकिन तुझे पता होना चाहिए कि ऐसा कोई तरीका नहीं है कि कोई मेरे कार्य को मेरी जगह कर सके, उसमें बाधा डालना तो दूर की बात है, क्योंकि ऐसा कोई नहीं है जो वह कह सके जो मैं कहता हूँ, जो वह कर सके जो मैं करता हूँ।
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2018-10-27
2018-10-23
अध्याय 1
अध्याय 1
सिय्योन तक स्तुतियाँ पहुँची हैं और परमेश्वर का निवास स्थान प्रकट हुआ है। महिमावान पवित्र नाम की सभी लोगों द्वारा स्तुति की जाती है, और यह फैल रहा है। आह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर! ब्रह्मांड का मुखिया, अंत के दिनों का मसीह—वह जगमगाता सूर्य है, और पूरे ब्रह्मांड में प्रतापी और शानदार पर्वत सिय्योन पर उदित हुआ है ...
2018-08-09
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं"
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं"
सभी मनुष्य यीशु के सच्चे रूप को देखने और उसके साथ रहने की इच्छा करते हैं। मैं विश्वास करता हूँ कि भाइयों या बहनों में से एक भी ऐसा नहीं है जो कहेगा कि वह यीशु को देखने या उसके साथ रहने की इच्छा नहीं करता है। यीशु को देखने से पहले, अर्थात, देहधारी परमेश्वर को देखने से पहले, संभवत: तुम्हारे भीतर अनेक विचार होंगे, उदाहरण के लिए, यीशु के रूप के बारे में, उसके बोलने के तरीका, उसके जीवन-शैली के बारे में इत्यादि। लेकिन एक बार वास्तव में उसे देख लेने के बाद, तुम्हारे विचार तेजी से बदल जाएँगे। ऐसा क्यों है? क्या तुम लोग जानना चाहते हो? जबकि मनुष्य की सोच और विचारों को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन यह मनुष्य के लिए और बहुत अधिक असहनीय है कि वह मसीह के सार में परिवर्तन करे। तुम लोग मसीह को अविनाशी, एक संत मानते हो, लेकिन कोई उसे एक सामान्य मानव नहीं मानता जो दिव्य सार धारण किये हुए है। इसलिए, अनेक लोग जो दिन-रात परमेश्वर को देखने की लालसा करते हैं, वास्तव में परमेश्वर के शत्रु हैं और परमेश्वर के अनुरूप नहीं हैं। क्या यह मनुष्य की ओर से की गई ग़लती नहीं है? तुम लोग अभी भी यह सोचते हो कि तुम्हारा विश्वास और तुम्हारी निष्ठा ऐसी है कि तुम सब मसीह के रूप को देखने के योग्य हो, परन्तु मैं तुमसे गुहार लगाता हूँ कि तुम अपने आपको और भी अधिक व्यवहारिक चीज़ों से सन्नद्ध कर लो! क्योंकि भूतकाल, वर्तमान, और भविष्य में बहुतेरे जो मसीह के सम्पर्क में आए, वे असफल हो गए हैं और असफल हो जाएँगे; वे सभी फरीसियों की भूमिका निभाते हैं। तुम लोगों की असफलता का कारण क्या है? इसका सटीक कारण यह है कि तुम्हारे विचार में एक प्रशंसनीय परमेश्वर है। परन्तु सत्य ऐसा नहीं जिसकी मनुष्य कामना करता है। न केवल मसीह ऊँचा-विशाल नहीं है, बल्कि वह विषेश रूप से छोटा है; वह न केवल मनुष्य है बल्कि एक सामान्य मनुष्य है; वह न केवल स्वर्ग पर नहीं चढ़ सकता, बल्कि वह पृथ्वी पर भी स्वतन्त्रता से घूम नहीं सकता है। और इसलिए लोग उस के साथ सामान्य मनुष्य जैसा व्यवहार करते हैं; जब वे उसके साथ होते हैं तो बेतकल्लुफ़ी भरा व्यवहार करते हैं, और उसके साथ लापरवाही से बोलते हैं, और तब भी पूरे समय "सच्चे मसीह" के आने का इन्तज़ार करते रहते हैं। जो मसीह पहले ही आ चुका है उसे तुम लोग ऐसा समझते हो कि वह एक साधारण मनुष्य है और उसके वचन को भी साधारण इंसान के वचन मानते हो। इसलिए, तुमने मसीह से कुछ भी प्राप्त नहीं किया है और उसके बजाए प्रकाश में अपनी कुरूपता को पूरी तरह प्रकट कर दिया है।
मसीह के सम्पर्क में आने से पहले, तुम्हें शायद विश्वास हो कि तुम्हारा स्वभाव पूरी तरह बदल चुका है, तुम मसीह के निष्ठावान अनुयायी हो, और तुम्हें शायद यह भी विश्वास हो कि तुम मसीह की आशीषों को प्राप्त करने के लिए सबसे ज़्यादा योग्य हो। क्योंकि तुम कई मार्गों पर यात्रा कर चुके हो, बहुत काम कर चुके हो, और बहुत अधिक फल ला चुके हो, अतः अंत में तुम्हीं मुकुट प्राप्त करोगे। फिर भी, एक सच्चाई है जिसे शायद तुम नहीं जानते हो: जब मनुष्य मसीह को देखता है तब उसका भ्रष्ट स्वभाव, विद्रोह और प्रतिरोध का खुलासा हो जाता है, और जिस विद्रोह और प्रतिरोध का खुलासा ऐसे अवसर पर होता है वह किसी अन्य समय की अपेक्षा कहीं ज़्यादा पूर्ण और निश्चित होता है। मसीह मनुष्य का पुत्र है और सामान्य मानवता रखता है जिस कारण मनुष्य न तो उसका सम्मान करता और न ही आदर करता है। चूँकि परमेश्वर देह में रहता है, इस कारण से मनुष्य का विद्रोह पूरी तरह और स्पष्ट रूप से प्रकाश में लाया जाता है। अतः मैं कहता हूँ कि मसीह के आगमन ने मानवजाति के सारे विद्रोह को खोज निकाला है और मानवजाति के स्वभाव को बहुत ही स्पष्ट रूप से दृश्यमान बना दिया है। इसे कहते हैं "लालच देकर एक बाघ को पहाड़ के नीचे ले आना" और "लालच देकर एक भेड़िए को गुफा से बाहर ले आना।" क्या तुम कह सकते हो कि तुम परमेश्वर के प्रति निष्ठावान हो? क्या तुम कह सकते हो कि तुम परमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण आज्ञाकारिता दिखाते हो? क्या तुम कह सकते हैं कि तुम विद्रोही नहीं हो? कुछ लोग कहेंगेः जब भी परमेश्वर मुझे नई परिस्थिति में डालता है, मैं हमेशा आज्ञापालन करता हूँ और कभी शिकायत नहीं करता। इसके अतिरिक्त, मैं परमेश्वर के बारे में कोई धारणा नहीं बनाता हूँ। कुछ कहेंगेः परमेश्वर जो भी काम मुझे सौंपता है, मैं उसे अपनी पूरी योग्यता के साथ करता हूँ और कभी भी लापरवाही नहीं करता। तब मैं तुम लोगों से यह पूछता हूँ: क्या तुम सब मसीह के साथ रहते हुए उसके अनुरूप हो सकते हो? और कितने समय तक तुम सब उसके अनुरूप रहोगे? एक दिन? दो दिन? एक घण्टा? दो घण्टे? हो सकता है तुम्हारा विश्वास उसके अनुरूप हो, परन्तु तुम लोगों के पास अधिक दृढ़ता नहीं है। जब तुम सचमुच में मसीह के साथ रहोगे, तो तुम्हारा दंभ और अहंकार धीरे-धीरे तुम्हारे शब्दों और कार्यों के द्वारा प्रकट होने लगेगा, और इस प्रकार तुम्हारी अत्यधिक इच्छा, अवज्ञाकारी मानसिकता और असंतुष्टि स्वतः ही प्रकट हो जायेगी। आखिरकार, तुम्हारा अहंकार बहुत ज़्यादा बड़ा हो जाएगा, और जब कि तुम मसीह के वैसे ही विरोधी नहीं बन जाते जैसे जल और आग, और तब तुम्हारे स्वभाव का पूरी तरह से खुलासा हो जायेगा। उस समय, तुम्हारी धारणाएँ पर्दे में नहीं रह सकेंगी। तुम्हारी शिकायतें भी, अनायास ही प्रकट हो जाएँगी, और तुम्हारी नीच मानवता का भी पूरी तरह से खुलासा हो जाएगा। फिर भी, तुम लगातार अपने विद्रोहीपन से मुकरते हो। और तुम विश्वास करते हो कि ऐसे मसीह को स्वीकार करना आसान नहीं है और वह मनुष्य के प्रति बहुत अधिक कठोर है, लेकिन अगर वह कोई अधिक दयालु मसीह होता तो तुम पूरी तरह से उसे समर्पित हो जाते। तुम लोग विश्वास करते हो कि तुम्हारे विद्रोह का एक जायज़ कारण है, कि तुम सबने केवल तभी मसीह के विरूद्ध विद्रोह किया जब उसने तुम लोगों को हद से ज़्यादा मजबूर कर दिया। तुम सबने कभी यह एहसास नहीं किया है कि तुम लोग मसीह को परमेश्वर नहीं मानते, न ही तुम्हारे पास उसकी आज्ञा मानने की मंशा है। बल्कि, तुम ढिठाई से आग्रह करते हो कि मसीह तुम्हारे मन के अनुसार काम करे, और यदि वह एक भी कार्य ऐसा करे जो तुम्हारे मन के अनुकूल न तो तुम लोग मान लेते हो कि वह परमेश्वर नहीं मनुष्य है। क्या तुम लोगों में से बहुत से लोग ऐसे नहीं हैं जो उसके साथ इस तरह विवाद करते हैं? आख़िरकार तुम लोग किसमें विश्वास करते हो? और तुम लोग किस तरह से खोजते हो?
तुम सब हमेशा मसीह को देखने की कामना करते हो, लेकिन मैं तुम सबसे गुहार लगाता हूँ कि तुम अपने आपको इस तरह ऊँचा न उठाओ; हर कोई मसीह को देख सकता है, परन्तु मैं यह कहता हूँ कि कोई मसीह को देखने के लायक नहीं है। क्योंकि मनुष्य का स्वभाव बुराई, अहंकार और विद्रोह से भरा हुआ है, इस समय तुम मसीह को देखोगे तो, तुम्हारा स्वभाव तुम्हें बर्बाद कर देगा और बेहद तिरस्कृत करेगा। किसी भाई (या बहन) के साथ तुम्हारी संगति शायद तुम्हारे बारे में बहुत कुछ न दिखाए, परन्तु जब तुम मसीह के साथ संगति करते हो तो यह इतना आसान नहीं होता। किसी भी समय, तुम्हारी धारणा जड़ पकड़ सकती है, तुम्हारा अहंकार फूटना शुरू कर सकता है, और तुम्हारे विद्रोह में फल लग सकते हैं। ऐसी मानवता के साथ तुम कैसे मसीह के साथ संगति के काबिल हो सकते हो? क्या तुम वास्तव में उसके साथ प्रत्येक दिन के प्रत्येक पल में परमेश्वर जैसा बर्ताव कर सकते हो? क्या तुम में सचमुच परमेश्वर के प्रति समर्पण की वास्तविकता होगी? तुम सब अपने हृदय में यहोवा के रूप में एक ऊँचे परमेश्वर की आराधना करते हो लेकिन दृश्यमान मसीह को मनुष्य समझते हो। तुम लोगों की समझ बहुत ही हीन है और तुम्हारी मानवता बहुत नीची है! तुम सब सदैव के लिए मसीह को परमेश्वर के रूप में मानने में असमर्थ हो; कभी-कभार ही, जब तुम्हारा मन होता है, तुम परमेश्वर को पकड़ते हो और उसकी आराधना करने लगते हो। इसीलिए मैं कहता हूँ कि तुम लोग परमेश्वर के विश्वासी नहीं हो, बल्कि तुम सभी उनके सहअपराधी हो जो मसीह के विरूद्ध लड़ते हैं। यहाँ तक कि वे मनुष्य भी जो दूसरों के प्रति हमदर्दी दिखाते हैं उन्हें भी प्रतिफल दिया जाता है, फिर भी मसीह, जो तुम्हारे बीच में ऐसा कार्य करता है, उसे मनुष्य के द्वारा प्रेम नहीं किया जाता है, न प्रतिफल दिया जाता है, न ही उसे मनुष्य का समर्पण प्राप्त होता है। क्या यह दिल दुखाने वाली बात नहीं है?
ऐसा हो सकता है कि परमेश्वर में तुम्हारे इतने वर्षों के विश्वास में, तुमने कभी किसी को कोसा न हो और न ही कोई बुरा कार्य किया हो, फिर भी मसीह के साथ अपनी संगति में, तुम सच नहीं बोल सकते हो, सच्चाई से कार्य नहीं कर सकते, या मसीह के वचन का पालन नहीं कर सकते हो; तो मैं कहूँगा कि तुम संसार में सबसे अधिक कुटिल और कपटी हो। हो सकता है तुम अपने रिश्तेदारों, मित्रों, पत्नी (या पति), बेटों और बेटियों, और माता पिता के प्रति स्नेहपूर्ण और निष्ठावान हो, और कभी दूसरों का फायदा नहीं उठाया हो, लेकिन अगर तुम मसीह के अनुरूप नहीं हो और उसके साथ तुम्हारा सामंजस्य नहीं है, तो भले ही तुम अपने पड़ोसियों की सहायता के लिए अपना सब कुछ खपा दो या अपने पिता, माता और घरवालों की अच्छी देखभाल की हो, तब मैं कहूँगा कि तुम धूर्त हो, और साथ में चालाक भी हो। बस इसलिए कि तुम दूसरों के साथ अच्छा तालमेल बिठा लेते हो या कुछ अच्छे काम करते हो तो यह न सोचो कि तुम मसीह के अनुरूप हो। क्या तुम यह विश्वास करते हो कि तुम्हारी उदारता स्वर्ग की आशीषों को चुरा सकती है? क्या तुम सोचते हो कि थोड़े-से अच्छे काम कर लेना तुम्हारी आज्ञाकारिता का स्थान ले सकते हैं? तुम लोगों में से कोई भी निपटारा और छंटाई स्वीकार नहीं कर सकता, और सभी को मसीह की सरल मानवता को अंगीकार करने में कठिनाई होती है। फिर भी तुम सब परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता का दावा करते हो। तुम सबका ऐसा विश्वास तुम्हारे ऊपर उचित प्रतिकार लेकर आएगा। काल्पनिक भ्रम में लिप्त होना और मसीह को देखने की चाहत करना बंद कर दो, क्योंकि तुम सभी कद में बहुत छोटे हो, इतने कि तुम लोग उसे देखने के योग्य भी नहीं हो। जब तुम पूरी तरह से अपने विद्रोह को मिटाकर मसीह के साथ साँमजस्य स्थापित कर पाते हो, तभी परमेश्वर स्वाभाविक रूप से तुम्हारे सामने प्रकट होगा। यदि तुम बिना छंटाई या न्याय से गुज़रे परमेश्वर को देखने जाते हो, तब तुम निश्चित तौर पर परमेश्वर के विरोधी बन जाओगे और विनाश तुम्हारी नियति बन जाएगा। मनुष्य का स्वभाव स्वाभाविक रूप से परमेश्वर के प्रति शत्रुतापूर्ण है, क्योंकि सभी मनुष्यों को शैतान के द्वारा पूरी तरह भ्रष्ट कर दिया गया है। यदि कोई भ्रष्ट मनुष्य अपनी भ्रष्ट के मध्य परमेश्वर के साथ संगति करने का प्रयास करे, तो उससे कोई अच्छी चीज़ नहीं उत्पन्न हो सकती; मनुष्य के सारे कार्य और वचन निश्चित तौर पर उसकी भ्रष्टता का खुलासा करेंगे; और जब वह परमेश्वर के साथ जुड़ेगा, तो उसका विद्रोह सभी पहलुओं में प्रकट होगा। मनुष्य अनजाने में मसीह का विरोध करता है, मसीह को धोखा देता है, और मसीह को अस्वीकार करता है; तब मनुष्य और भी ज़्यादा खतरनाक स्थिति में होगा। यदि यह जारी रहता है, तो वह दण्ड का भागी होगा।
कुछ लोग यह मान सकते हैं कि यदि परमेश्वर के साथ साहचर्य इतना खतरनाक है, तो बुद्धिमानी होगी कि परमेश्वर से दूर ही रहा जाए। तब, ऐसे लोगों को क्या हासिल होगा? क्या वे परमेश्वर के प्रति निष्ठावान होंगे? वास्तव में, परमेश्वर के साथ संगति बहुत ही कठिन है, परन्तु यह पूरी तरह इसलिए है क्योंकि मनुष्य भ्रष्ट है, इसलिए नहीं कि परमेश्वर मनुष्य के साथ जुड़ नहीं सकता है। तुम लोगों के लिए यह सबसे अच्छा होगा कि तुम सब स्वयं को जानने की सच्चाई पर ज़्यादा प्रयास करो। तुम लोगों ने परमेश्वर की कृपा प्राप्त क्यों नहीं की है? तुम्हारा स्वभाव उसके लिए घिनौना क्यों है? तुम्हारे शब्द उसके अंदर जुगुप्ता क्यों उत्पन्न करते हैं? तुम लोग थोड़ी-सी निष्ठा दिखाते ही खुद ही अपनी तारीफ करने लगते हो और अपने छोटे से बलिदान के लिए प्रतिफल चाहते हो; जब तुम सब थोड़ी-सी आज्ञाकारिता दिखाते हो तो तुम लोग दूसरों को नीची दृष्टि से देखते हो, और कुछ छोटे छोटे-कार्यों को करके तुम लोग परमेश्वर का तिरस्कार करने लग जाते हो। तुम लोग परमेश्वर को स्वीकार करने के बदले धन-संपत्ति, भेंटों और प्रशंसा की अभिलाषा करते हो। एक या दो सिक्के देते हुए भी तुम्हारा हृदय दुखता है; जब तुम लोग दस सिक्के देते हो, तब तुम लोग आशीषों की और दूसरों से अलग दिखने की अभिलाषा करते हो। जैसी तुम्हारी मानवता है उसके बारे में तो बात करना और सुनना भी वास्तव में अपमानजनक है। तुम्हारे शब्दों और कार्यों के बारे में प्रशंसापूर्ण क्या है? वे जो अपने कर्तव्यों को निभाते हैं और वे जो नहीं निभाते; वे जो अगुवाई करते हैं और वे जो अनुसरण करते हैं; वे जो परमेश्वर को ग्रहण करते और वे जो नहीं करते हैं; वे जो दान देते हैं और वे जो नहीं देते; वे जो प्रचार करते हैं और वे जो वचन को ग्रहण करते हैं इत्यादि; इस प्रकार के सभी लोग अपनी ही तारीफ करते हैं। क्या तुम्हें यह हास्यास्पद नहीं लगता है? निश्चित रूप से तुम लोग जानते हो कि तुम सब परमेश्वर पर विश्वास करते हो, फिर भी तुम सभी परमेश्वर के अनुरूप नहीं हो सकते हो। अच्छी तरह से यह जानते हुए कि तुम सब बिल्कुल अयोग्य हो, फिर भी तुम लोग डींग मारते ही रहते हो। क्या तुम्हें महसूस नहीं होता है कि तुम्हारी समझ ऐसी हो गई है कि अब तुम्हारे पास और आत्म-संयम नहीं है? ऐसी समझ के साथ तुम लोग परमेश्वर के साथ संगति करने के काबिल कैसे हो सकते हो? अब क्या तुम लोग इस मकाम पर अपने लिए भयभीत नहीं हो? तुम्हारा स्वभाव पहले ही ऐसा हो गया है कि तुम लोग परमेश्वर के अनुरूप नहीं हो सकते हो। इस बात को देखते हुए, क्या तुम्हारा विश्वास हास्यास्पद नहीं है? क्या तुम्हारा विश्वास बेतुका नहीं है? तुम अपने भविष्य से कैसे निपटोगे? तुम उस मार्ग का चुनाव कैसे करोगे जिस पर तुम्हें चलना है?
2018-08-01
Hindi Praise and Worship Song | "परमेश्वर का प्रेम हमें करीब लाता है" (Male Solo)
Hindi Praise and Worship Song | "परमेश्वर का प्रेम हमें करीब लाता है" (Male Solo)
हालांकि अनगिनत समुद्र और पहाड़ों से जुदा हैं,
हम हैं एक लोग, हमारे बीच नहीं कोई सीमा,
भले ही विभिन्न रंग की त्वचा है, विभिन्न भाषाएं बोलते हैं।
क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बुलाते हैं हमें,
परमेश्वर के सिंहासन के सामने हमें लाया गया है।
2018-07-16
देहधारी परमेश्वर में और परमेश्वर द्वारा उपयोग किये गए मनुष्यों में मूलभूत अंतर क्या है?
🤔🤔देहधारी परमेश्वर में और परमेश्वर द्वारा उपयोग किये गए मनुष्यों में मूलभूत अंतर क्या है?
संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:
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https://hi.kingdomsalvation.org/special-topic/mysteryofincarnation-one.html
"मसीह परमेश्वर के आत्मा के द्वारा धारण किया गया देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है बल्कि आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण परमेश्वरत्व दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती है। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियों को बनाए रखती है, जबकि दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य करती है। चाहे यह उसकी मानवता हो या दिव्यता, दोनों स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति समर्पित हैं। मसीह का सार पवित्र आत्मा, अर्थात्, दिव्यता है। इसलिए, उसका सार स्वयं परमेश्वर का है; यह सार उसके स्वयं के कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं करेगा, तथा वह संभवतः कोई ऐसा कार्य नहीं कर सकता है जो उसके स्वयं के कार्य को नष्ट करता हो, ना वह ऐसे वचन कहेगा जो उसकी स्वयं की इच्छा के विरूद्ध जाते हों। … जो कोई भी अवज्ञा करता है वह शैतान की ओर से आता है; शैतान समस्त कुरूपता तथा दुष्टता का स्रोत है। मनुष्य में शैतान के सदृश विशेषताएँ होने का कारण यह है कि शैतान द्वारा मनुष्य को भ्रष्ट किया गया तथा उस पर कार्य किया गया है। मसीह शैतान द्वारा भ्रष्ट नहीं किया गया है, अतः उसके पास केवल परमेश्वर की विशेषताएँ हैं तथा शैतान की एक भी नहीं है।"
"पूरे समय में, उन सभी लोगों के पास जिनका परमेश्वर ने उपयोग किया है सामान्य सोच और कारण रहे हैं। वे सब जानते हैं कि कैसे स्वयं आचरण करना है और जीवन के मामलों को सँभालना है। उनके पास सामान्य मानव विचारधारा है और वे सभी चीज़ें हैं जो सामान्य लोगों के पास होनी चाहिए। उनमें से अधिकतर लोगों के पास असाधारण प्रतिभा और सहज ज्ञान है। उन लोगों के माध्यम से कार्य करने में, परमेश्वर का आत्मा उनकी प्रतिभाओं का उपयोग करता है, जोकि उनके ईश्वर-प्रदत्त वरदान हैं। यह परमेश्वर का आत्मा ही है जो परमेश्वर की सेवा करने की उनकी शक्तियों का उपयोग करके उनकी प्रतिभाओं को सक्रिय करता है। हालाँकि, परमेश्वर का सार विचारधारा-मुक्त और विचार-मुक्त है। यह मनुष्य के विचारों को शामिल नहीं करता है और यहाँ तक कि उसमें उन बातों का भी अभाव है जो मनुष्यों में सामान्य रूप से होती हैं। अर्थात्, परमेश्वर मानव आचरण के सिद्धांतों को समझता तक नहीं है। जब आज का परमेश्वर पृथ्वी पर आता है, तब ऐसा ही होता है। वह मनुष्य के विचारों या मनुष्य की सोच को शामिल किए बिना कार्य करता और बोलता है, परन्तु आत्मा का वास्तविक अर्थ सीधे प्रकट करता है और सीधे परमेश्वर की ओर से कार्य करता है। इसका अर्थ है कि आत्मा कार्य करने के लिए आगे आता है, जो मनुष्य के विचारों को थोड़ा सा भी शामिल नहीं करता है। अर्थात्, देहधारी परमेश्वर सीधे ईश्वरत्व का अवतार होता है, मनुष्य की सोच या विचारधारा के बिना होता है, और मानव आचरण के सिद्धांतों की कोई समझ नहीं रखता है। अगर वहाँ केवल दिव्य कार्य होते (अर्थात् यदि केवल परमेश्वर स्वयं कार्य कर रहा होता), तो परमेश्वर का कार्य पृथ्वी पर पूरा नहीं किया जा सकता था। इसलिए जब परमेश्वर पृथ्वी पर आता है, उसे कुछ लोग रखने ही पड़ते हैं जिनका वह ईश्वरत्व में अपने कार्य के साथ संयोजन में मानवता में कार्य करने के लिए उपयोग करता है।अन्यथा, मनुष्य ईश्वरीय कार्य के साथ सीधे संपर्क में आने में असमर्थ होगा।"
"देहधारी परमेश्वर और परमेश्वर द्वारा उपयोग किए गए लोगों के बीच महत्वपूर्ण अंतर" से
2018-07-09
परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए
प्रभु यीशु ने स्वयं भविष्यवाणी की थी कि परमेश्वर आखिरी दिनों में देहधारण करेगा और कार्य करने के लिए मनुष्य के पुत्र के रूप में प्रकट होगा।
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (लूका 12:40)।
"क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)।
"आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो" (मत्ती 25:6)।
"देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)।
"देख, मैं चोर के समान आता हूँ; धन्य वह है जो जागता रहता है, और अपने वस्त्र की चौकसी करता है कि नंगा न फिरे, और लोग उसका नंगापन न देखें" (प्रकाशितवाक्य 16:15)।
"तब मैं ने उसे, उस शब्द को जो मुझ से बोल रहा था, देखने के लिये अपना मुँह फेरा; और पीछे घूमकर मैं ने सोने की सात दीवटें देखीं, और उन दीवटों के बीच में मनुष्य के पुत्र सदृश एक पुरुष को देखा, जो पाँवों तक का वस्त्र पहिने, और छाती पर सोने का पटुका बाँधे हुए था। उसके सिर और बाल श्वेत ऊन वरन् पाले के समान उज्ज्वल थे, और उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान थीं। उसके पाँव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्ठी में तपाया गया हो, और उसका शब्द बहुत जल के शब्द के समान था। वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिये हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी। उसका मुँह ऐसा प्रज्वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है" (प्रकाशितवाक्य 1:12-16)।
2018-07-02
Hindi Gospel Movie clip "परमेश्वर में आस्था" (4) - क्या बाइबल में विश्वास करना प्रभु में विश्वास करने के समान है? (Hindi Dubbed)
Hindi Gospel Movie clip "परमेश्वर में आस्था" (4) - क्या बाइबल में विश्वास करना प्रभु में विश्वास करने के समान है? (Hindi Dubbed)
धार्मिक संसार में अधिकांश लोग यह मानते हैं कि बाइबल ईसाई धर्म की कसौटी है, व्यक्ति को बाइबल का पालन करना चाहिए तथा प्रभु में व्यक्ति के विश्वास का आधार पूरी तरह से बाइबल में होना चाहिए, और अगर कोई बाइबल से अलग होता है तो उसे विश्वासी नहीं समझा जाएगा। इसलिए क्या प्रभु में विश्वास रखना और बाइबल में विश्वास रखना एक ही बात है? बाइबल और प्रभु के बीच वास्तव में क्या संबंध है? एक बार प्रभु यीशु ने प्राचीन यहूदी समुदाय को इन शब्दों के बारे में फटकार लगाई थी, "तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते।" (यूहन्ना 5 : 39-40) बाइबल मात्र परमेश्वर की गवाही है, परंतु इसमें अनन्त जीवन नहीं है। केवल परमेश्वर ही सत्य, मार्ग, और जीवन है। उस मामले में, हम बाइबल को किस नज़र से देखें कि वह प्रभु की इच्छा के अनुरूप हो?
2018-06-29
"परमेश्वर में आस्था" (3) - परमेश्वर के कार्य और प्रकटन धार्मिक समुदाय के लिए क्या लाते हैं?
Hindi Gospel Movie clip "परमेश्वर में आस्था" (3) - परमेश्वर के कार्य और प्रकटन धार्मिक समुदाय के लिए क्या लाते हैं? (Hindi Dubbed)
हर बार परमेश्वर देहधारी हो जाते हैं और अपना कार्य करने के लिए प्रकट होते हैं, शैतान की बुरी शक्तियाँ असभ्य तरीके से सत्य के मार्ग को नकारती हैं और उसकी निंदा करती है। इस प्रकार, आध्यात्मिक संसार में युद्ध उत्पन्न होता है जो धार्मिक संसार का बँटवारा करता है और उसे उजागर करता है। प्रभु यीशु ने कहा था, "यह न समझो कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने आया हूँ; मैं मिलाप कराने नहीं, पर तलवार चलवाने आया हूँ" (मत्ती 10: 34)। जब प्रभु यीशु प्रकट हुए और अनुग्रह के युग में अपना कार्य किया, यहूदी धर्म अनेक धार्मिक समुदायों में बंट गया। अब अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकटीकरण और कार्य करने से धार्मिक संसार बहुत बड़े खुलासे के अधीन है, गेंहू और जंगली दाने के पौधे, भेड़ और बकरियां, बुद्धिमान कुंवारियां और मूर्ख कुंवारियां, अच्छे सेवकों और बुरे सेवकों– सभी का, उनके अपने तरीके से खुलासा होगा। परमेश्वर की बुद्धि और चमत्कार वास्तव में अगाध हैं!
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
2018-05-31
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "मनुष्य के सामान्य जीवन को पुनःस्थापित करना और उसे एक बेहतरीन मंज़िल पर ले चलना" (भाग एक)
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जब एक बार विजय के कार्य को पूरा कर लिया जाता है, तब मनुष्य को एक सुन्दर संसार में पहुंचाया जाएगा। निश्चित रूप से, यह जीवन तब भी पृथ्वी पर ही होगा, परन्तु यह मनुष्य के आज के जीवन से पूरी तरह से भिन्न होगा। यह वह जीवन है जो मानवजाति के तब पास होगा जब सम्पूर्ण मानवजाति पर विजय प्राप्त कर लिया जाता है, यह पृथ्वी पर मनुष्य के लिए, और मानवजाति के लिए एक नई शुरुआत होगी कि उसके पास ऐसा जीवन हो जो इस बात का सबूत होगा कि मानवजाति ने एक नए एवं सुन्दर आयाम में प्रवेश कर लिया है। यह पृथ्वी पर मनुष्य एवं परमेश्वर के जीवन की शुरुआत होगी। ऐसे सुन्दर जीवन का आधार ऐसा ही होगा, जब मनुष्य को शुद्ध कर लिया जाता है और उस पर विजय पा लिया जाता है उसके पश्चात्, वह परमेश्वर के सम्मुख समर्पित हो जाता है। और इस प्रकार, इससे पहले कि मानवजाति उस बेहतरीन मंज़िल में प्रवेश करे विजय का कार्य परमेश्वर के कार्य का अंतिम चरण है। ऐसा जीवन ही पृथ्वी पर मनुष्य के भविष्य का जीवन है, यह पृथ्वी पर सबसे अधिक सुन्दर जीवन है, उस प्रकार का जीवन है जिसकी लालसा मनुष्य करता है, और उस प्रकार का जीवन है जिसे मनुष्य ने संसार के इतिहास में पहले कभी हासिल नहीं किया गया है। यह 6,000 वर्षों के प्रबधंकीय कार्य का अंतिम परिणाम है, यह वह है जिसकी मानवजाति ने अत्यंत अभिलाषा की है, और साथ ही यह मनुष्य के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञा भी है।"
2018-04-25
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "क्या त्रित्व का अस्तित्व है? (भाग 2)
सर्वशक्तिमान परमेश्वरके कथन "क्या त्रित्व का अस्तित्व है? (भाग 2)
परमेश्वर को खंडित करता और उसे तीन व्यक्तियों में विभाजित करता है, प्रत्येक एक ओहदे और आत्मा के साथ है; तो कैसे वह अब भी एक आत्मा और एक परमेश्वर हो सकता है? मुझे बताओ, आकाश और पृथ्वी, और उसके भीतर की सारी चीज़ें क्या पिता, पुत्र या पवित्र आत्मा के द्वारा बनाई गई थीं? कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने यह सब एक साथ बनाया। फिर किसने मानवजाति को छुड़ाया? क्या यह पवित्र आत्मा था, पुत्र था या पिता? कुछ लोग कहते हैं कि वह पुत्र था जिसने मानवजाति को छुड़ाया था। फिर सार में पुत्र कौन है? क्या वह परमेश्वर के आत्मा का देहधारण नहीं है? एक सृजित आदमी के परिप्रेक्ष्य से देहधारी स्वर्ग में परमेश्वर को पिता के नाम से बुलाता है। क्या तुम नहीं जानते हो कि यीशुका जन्म पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भधारण से हुआ था? उसके भीतर पवित्र आत्मा है ; तुम कुछ भी कहो, वह अभी भी स्वर्ग में परमेश्वर के साथ एकसार है, क्योंकि वह परमेश्वर के आत्मा का देहधारण है। पुत्र का यह विचार असत्य है। यह एक आत्मा है जो सभी काम करता है; केवल परमेश्वर स्वयं, अर्थात, परमेश्वर का आत्मा अपना काम करता है।"
अनुशंसित:सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "क्या त्रित्व का अस्तित्व है?" (भाग 1)
https://youtu.be/aEiXrTs-DB8
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
2018-03-31
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है"
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं "परमेश्वर के जीवन की महानता और सामर्थ्य किसी भी प्राणी के द्वारा मापी नहीं जा सकती। यह ऐसा ही है, ऐसा ही था और आने वाले समय में भी इसी प्रकार से रहेगा। और दूसरा रहस्य है: सभी प्राणियों के लिये परमेश्वर के द्वारा ही जीवन का स्रोत आता है, चाहे वह किसी भी रूप या स्वरूप में हो। तुम किसी भी प्रकार के प्राणी हो, तुम परमेश्वर के द्वारा निर्धारित जीवन के मार्ग को बदल नहीं सकते। किसी भी मामले में, मैं मनुष्य के लिए यही इच्छा करता हूं कि मनुष्य यह समझें कि बिना देखभाल, सुरक्षा और परमेश्वर के प्रावधान के, मनुष्य जो प्राप्त करने के लिए रचा गया है वह प्राप्त नहीं कर सकता, चाहे वह कितना भी अधिक प्रयास या संघर्ष कर ले। परमेश्वर की ओर से प्रदान किये गये जीवन के बिना, मनुष्य अपने जीवन के मूल्य और उद्देश्य को खो देता है।"
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
2018-03-29
Hindi Gospel Movie "बाइबल और परमेश्वर"(5) - मसीह जीवन का स्रोत है और साथ ही साथ बाइबल का प्रभु भी है
बाइबल परमेश्वर के वचनों के साथ-साथ मनुष्य के अनुभवों और साक्ष्यों से परिपूर्ण है जो हमें जीवन प्रदान कर सकती है और हमारे लिए अत्यंत लाभदायक है। प्रभु यीशु ने कहा, “मैं ही पुनरुज्जीवन, और जीवन हूँ: जो कोई भी मुझमें विश्वास करता है, चाहे उसकी मृत्यु क्यों न हो जाएं, वह जीवित रहेगा। और जो कोई भी मुझमें जीता और विश्वास करता है, वह कभी नहीं मरता है।” (यूहन्ना11:25-26) . परन्तु 2,000 वर्ष बीत जाने के बाद भी, प्रभु में विश्वास रखने वाले जिन लोगों ने बाइबल को पढ़ा था, अभी तक शाश्वत जीवन को प्राप्त क्यों नहीं कर सके। क्या इसका कारण यह हो सकता था कि बाइबल शाश्वत जीवन प्राप्त करने का मार्ग नहीं है? क्या इसका कारण यह हो सकता है कि जब प्रभु यीशु ने छुटकारा देने का कार्य किया तो उन्होंने मानव-जाति को शाश्वत जीवन का वरदान नहीं दिया? शाश्वत जीवन प्राप्त करने के लिए हमें आखिर क्या करना चाहिए?
अनुशंसित:Hindi Gospel Movie | Is the Bible the Lord, or Is God? | "मेरा प्रभु कौन है?"
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
2018-03-21
Hindi Christian Song | परमेश्वर पर भरोसे का सच्चा अर्थ
परमेश्वर में भरोसा तो बहुत लोग करते हैं,
मगर उसके असली मायने कुछ ही समझते हैं,
उसके दिल के साथ धड़कने के लिए क्या करें, वे नहीं समझते हैं।
बहुतों ने सुना है ‘परमेश्वर और उसका काम’,
मगर न उसे जानते हैं, ना उसका काम।
कोई अचरज नहीं, उनका विश्वास अंधा है।
वे संजीदा भी नहीं क्योंकि ये अनजाना और अनूठा है।
यही वजह है, वो परमेश्वर की मांगों से बहुत पीछे हैं।
परमेश्वर को, उसके काम को जाने बिना, क्या उसके काम आ सकोगे?
क्या परमेश्वर की इच्छा पूरी कर सकोगे?
क्या परमेश्वर की इच्छा पूरी कर सकोगे?
उसके वजूद में विश्वास करना काफी नहीं।
ये बहुत आसान है, धार्मिक भी।
ये उसमें सच्ची आस्था की तरह नहीं।
परमेश्वर पर सच्ची आस्था के मायने हैं,
तुम उसके काम का, वचनों का अनुभव लेते हो,
इस विश्वास पर, कि परमेश्वर का प्रभुत्व है हर चीज़ पर।
फिर तुम भ्रष्ट स्वभाव से मुक्ति पा सकोगे,
परमेश्वर की इच्छा पूरी कर उसे जान सकोगे।
यही है परमेश्वर पर सच्चे विश्वास का रास्ता।
यही है परमेश्वर पर सच्चे विश्वास का रास्ता।
बहुत से मानते हैं परमेश्वर में विश्वास करना है सरल और सतही।
ऐसे विश्वास का मतलब नहीं। कैसे करें परमेश्वर स्वीकार?
वे हैं गलत पथ पर।
जिन्हें महज अक्षरों, खोखली तालीम पर भरोसा है, नहीं जानते
उनका विश्वास ख्याली है, परमेश्वर को स्वीकार नहीं।
फिर भी वे शांति और कृपा की प्रार्थना करते हैं।
सोचो क्या इतना सरल है भरोसा करना।
क्या ये है बस शांति और कृपा मांगना?
क्या तुम उसकी इच्छा पूरी कर सकते हो,
जबकि उसे जाने बिना उसका विरोध करते हो?
परमेश्वर के वजूद में विश्वास करना काफी नहीं।
ये बहुत आसान है, धार्मिक भी।
ये उसमें सच्ची आस्था की तरह नहीं।
परमेश्वर पर सच्ची आस्था के मायने हैं,
तुम उसके काम का, वचनों का अनुभव लेते हो,
इस विश्वास पर, कि परमेश्वर का प्रभुत्व है हर चीज़ पर।
फिर तुम भ्रष्ट स्वभाव से मुक्ति पा सकोगे,
परमेश्वर की इच्छा पूरी कर उसे जान सकोगे।
यही है परमेश्वर पर सच्चे विश्वास का रास्ता।
यही है परमेश्वर पर सच्चे विश्वास का रास्ता।
यही है परमेश्वर पर सच्चे विश्वास का रास्ता।
"वचन देह में प्रकट होता है" से
अनुशंसित:The Great Love of God | Hindi Christian Song | "परमेश्वर का प्रेम और सार हमेशा से रहा है निस्वार्थ"
https://youtu.be/4wjhYVeMUGg
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
2018-03-16
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "तुम्हें मसीह की अनुकूलता में होने के तरीके की खोज करनी चाहिए"
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं "तुम लोग केवल एक अज्ञात परमेश्वर से अनुकूलता की ही खोज करते हो, और मात्र ही एक अज्ञात विश्वास की खोज करते हो, फिर भी तुम सब मसीह की अनुकूलता में नहीं हो। क्या तुम्हारी दुष्टता को भी वही कठोर दण्ड नहीं मिलेगा जो पापी को मिलता है? उस समय, तुम सबको अहसास होगा कि कोई भी जो मसीह के अनुकूल नहीं होता, क्रोध के दिन से वह बच नहीं पायेगा, और तुम लोगों पता चलेगा कि जो मसीह के शत्रु हैं उन्हें किस प्रकार का कठोर दण्ड दिया जायेगा। जब वह दिन आएगा, परमेश्वर में विश्वास के कारण भाग्यवान होने के तुम लोगों के सभी सपने, और स्वर्ग में जाने का अधिकार, सब बिखर जायेंगे। परंतु, यह उनके लिए नहीं है जो मसीह के अनुकूल हैं। यद्यपि उन्होंने बहुत कुछ खो दिया है, जबकि उन्होंने बहुत अधिक कठिनाइयों का सामना भी किया है, वह उस सब उत्तराधिकार को प्राप्त करेंगे जो मैं मानवजाति को वसीयत के रूप में दूंगा। अंततः, तुम समझ जाओगे कि सिर्फ़ मैं ही धर्मी परमेश्वर हूं, और केवल मैं ही मानवजाति को उसकी खूबसूरत मंजिल तक ले जाने में सक्षम हूँ।"
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
2018-03-14
Hindi Christian Song | "हासिल कर सकता है जो प्रभाव परमेश्वर का न्याय"
न्याय करने में परमेश्वर के कार्य की मंशा नहीं
है एक या दो शब्दों में
इंसान के पूरे स्वभाव को स्पष्ट करना,
पर धीरे-धीरे इंसान को प्रकट करना, निपटना,
और उसकी काँट-छाँट करना।
बदला ना जा सकता ऐसा व्यवहार आम शब्दों के लिए,
पर उस सच्चाई के लिए, जो इंसान की सीमा के है पार।
इसी कार्य को न्याय मानते हैं,
यही वो न्याय जिसकी बदौलत इंसान मानते हैं दिल में,
ज़ुबां पर, भीतर, बाहर आज्ञा परमेश्वर की,
और जान पाते हैं सच में उसे।
न्याय के कार्य से ही जान पाते हैं
मनुष्य परमेश्वर का असली चेहरा
और अपने विद्रोह की सच्चाई।
सिखाता है यही परमेश्वर के कार्य का इरादा और मंशा
सिखाता है यही उन राज़ को जो इंसान नहीं समझता।
इसकी मदद से जानता वो अपने दूषण और बदसूरती को।
इसी कार्य को न्याय मानते हैं,
यही वो न्याय जिसकी बदौलत इंसान मानते हैं दिल में,
ज़ुबां पर, भीतर, बाहर आज्ञा परमेश्वर की,
और जान पाते हैं सच में उसे।
न्याय के कार्य के ज़रिए ही प्राप्त होता है
परमेश्वर के कार्य का प्रभाव।
दरअसल सार है ऐसे कामों का,
प्रकट करना सच्चाई, पथ, और जीवन ईश्वर का,
सामने उनके जो रखते हैं आस्था उस पर।
इसी कार्य को न्याय मानते हैं,
यही वो न्याय जिसकी बदौलत इंसान मानते हैं दिल में,
ज़ुबां पर, भीतर, बाहर आज्ञा परमेश्वर की,
और जान पाते हैं सच में उसे।
"वचन देह में प्रकट होता है" से
अनुशंसित:How Great Is the Love of God | Hindi Christian Song | "देहधारी परमेश्वर सबसे प्रिय है"
https://youtu.be/grAwmiyznaY
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
2018-03-13
Hindi Christian Song | देह में काम करके ही परमेश्वर इंसान को हासिल कर सकता है
देह में काम करके ही परमेश्वर इंसान को हासिल कर सकता है
व्यवहारिक परमेश्वर के वचनों से,
इंसान की कमज़ोरियों और विद्रोह का फैसला और प्रकाशन होता है।
इंसान को जो चाहिये उसे मिलता है।
परमेश्वर आया है इंसानी दुनिया में, वो देखता है।
लक्ष्य है व्यवहारिक परमेश्वर के काम का,
शैतान के असर से, पंक से, हर एक को बचाना,
दूषित किया शैतान ने जिसे उन्हें उस स्वभाव से छुड़ाना।
परमेश्वर के हासिल करने के मायने हैं,
इंसान के पूर्ण आदर्श की तरह, उसकी मिसाल का अनुकरण करना।
व्यवहारिक परमेश्वर के पीछे चलो, सामान्य मानवता जियो,
उसके वचन और अपेक्षा पूरी करो, वो जो कहे मानो,
वो जो कहे पूरा करो, तब परमेश्वर तुम्हें हासिल कर लेगा। 2018-03-11
Best Christian Dance | Hindi Worship Song "मसीह का राज्य लोगों के मध्य साकार हुआ है"
I
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
2018-02-27
Hindi Christian Song | राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य के पीछे का सत्य
अगर रहोगे तुम सब अनुग्रह के युग में,
जान नहीं पाओगे परमेश्वर के स्वभाव को,
या हो नहीं पाओगे दूषित स्वभाव से आज़ाद।
अगर रहोगे तुम सब अनुग्रह की प्रचुरता में,
लेकिन पता नहीं तुम्हें परमेश्वर को कैसे जानें और संतुष्ट करें,
करते उस पर दयनीय रूप से विश्वास पर कभी न करोगे उसे प्राप्त,
पर कभी न करोगे उसे प्राप्त।
पढ़ लोगे जब तुम परमेश्वर के वचन,
कर लोगे जब तुम अनुभव उसके कार्यों को राज्य के युग में,
तो होंगे साकार सदियों के तुम्हारे सपने।
होगा अहसास तुम्हें कि आखिरकार देखते हो तुम परमेश्वर को अपने सामने।
होगा अहसास तुम्हें कि आखिरकार देखते हो तुम परमेश्वर को अपने सामने।
2018-02-24
Hindi Gospel Movie clip "बाइबल और परमेश्वर" (4) - परमेश्वर और बाइबल के बीच क्या संबंध है?
Hindi Gospel Movie clip "बाइबल और परमेश्वर" (4) - परमेश्वर और बाइबल के बीच क्या संबंध है?
दो हजार वर्षों तक, हमने बाइबल के अनुसार प्रभु में विश्वास किया है, और हम में से अधिकांश मानते हैं “बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व करती है, परमेश्वर में विश्वास करना बाइबल में विश्वास करना है, बाइबल में विश्वास करना परमेश्वर में विश्वास करना है।” क्या ये सभी विचार सही हैं? वास्तव में प्रभु में विश्वास करने का क्या अर्थ है? बाइबल और परमेश्वर के बीच क्या संबंध है? क्या बाइबल में अंध विश्वास रखने और आराधना करने का मतलब परमेश्वर में विश्वास करना और उनकी पूजा करना है? यह वीडियो आपको इसका उत्तर देगी!
2018-02-23
Hindi Gospel Movie clip "बाइबल और परमेश्वर" (3) - "क्या बाइबल परमेश्वर द्वारा प्रेरित है" के बारे में बहस
Hindi Gospel Movie clip "बाइबल और परमेश्वर" (3) - "क्या बाइबल परमेश्वर द्वारा प्रेरित है" के बारे में बहस
दो हजार वर्षों तक, धार्मिक संसार ने बाइबल के परमेश्वर द्वारा प्रेरित होने के बारे में पौलुसद्वारा कही गयीं बातों पर विश्वास किया और हमेशा यह विश्वास किया कि "बाइबल परमेश्वर के वचन हैं" और "बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व करती है।" क्या ये विचार सही हैं? यह वीडियो आपकी जिज्ञासाओं का समाधान करेगी!
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
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