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2018-09-17

तीसरा कथन

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन,वचन,परमेश्वर को जानना,परमेश्वर की इच्छा

तीसरा कथन

चूंकि तुम लोगों को मेरे लोग बुलाया जाता है, चीज़ें अब वैसी नहीं रही जैसी पहली थीं; तुम लोगों को मेरे आत्मा के कथनों को सुनना और उनका पालन करना चाहिए, मेरे कार्य का करीब से अनुसरण करना चाहिए, और मेरे आत्मा और मेरे शरीर को अलग नहीं करना चाहिए, क्योंकि हम स्वाभाविक रूप से एक हैं, अलग नहीं। जो कोई भी व्यक्ति या आत्मा से अधिक प्रेम करके आत्मा और व्यक्ति को विभाजित करता है, उसे हानि पहुँचेगी, और वह केवल अपने कड़वे प्याले से ही पी पाएगा—और कहने के लिए बस यही एक बात है।

2018-07-16

देहधारी परमेश्वर में और परमेश्वर द्वारा उपयोग किये गए मनुष्यों में मूलभूत अंतर क्या है?





🤔🤔देहधारी परमेश्वर में और परमेश्वर द्वारा उपयोग किये गए मनुष्यों में मूलभूत अंतर क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:
"मैं तो पानी से तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूं, परन्तु जो मेरे बाद आनेवाला है, वह मुझ से शक्तिशाली है; मैं उस की जूती उठाने के योग्य नहीं, वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।" (मत्ती 3:11)
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https://hi.kingdomsalvation.org/special-topic/mysteryofincarnation-one.html
"मसीह परमेश्वर के आत्मा के द्वारा धारण किया गया देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है बल्कि आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण परमेश्वरत्व दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती है। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियों को बनाए रखती है, जबकि दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य करती है। चाहे यह उसकी मानवता हो या दिव्यता, दोनों स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति समर्पित हैं। मसीह का सार पवित्र आत्मा, अर्थात्, दिव्यता है। इसलिए, उसका सार स्वयं परमेश्वर का है; यह सार उसके स्वयं के कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं करेगा, तथा वह संभवतः कोई ऐसा कार्य नहीं कर सकता है जो उसके स्वयं के कार्य को नष्ट करता हो, ना वह ऐसे वचन कहेगा जो उसकी स्वयं की इच्छा के विरूद्ध जाते हों। … जो कोई भी अवज्ञा करता है वह शैतान की ओर से आता है; शैतान समस्त कुरूपता तथा दुष्टता का स्रोत है। मनुष्य में शैतान के सदृश विशेषताएँ होने का कारण यह है कि शैतान द्वारा मनुष्य को भ्रष्ट किया गया तथा उस पर कार्य किया गया है। मसीह शैतान द्वारा भ्रष्ट नहीं किया गया है, अतः उसके पास केवल परमेश्वर की विशेषताएँ हैं तथा शैतान की एक भी नहीं है।"
"स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का वास्तविक सार है" से


"पूरे समय में, उन सभी लोगों के पास जिनका परमेश्वर ने उपयोग किया है सामान्य सोच और कारण रहे हैं। वे सब जानते हैं कि कैसे स्वयं आचरण करना है और जीवन के मामलों को सँभालना है। उनके पास सामान्य मानव विचारधारा है और वे सभी चीज़ें हैं जो सामान्य लोगों के पास होनी चाहिए। उनमें से अधिकतर लोगों के पास असाधारण प्रतिभा और सहज ज्ञान है। उन लोगों के माध्यम से कार्य करने में, परमेश्वर का आत्मा उनकी प्रतिभाओं का उपयोग करता है, जोकि उनके ईश्वर-प्रदत्त वरदान हैं। यह परमेश्वर का आत्मा ही है जो परमेश्वर की सेवा करने की उनकी शक्तियों का उपयोग करके उनकी प्रतिभाओं को सक्रिय करता है। हालाँकि, परमेश्वर का सार विचारधारा-मुक्त और विचार-मुक्त है। यह मनुष्य के विचारों को शामिल नहीं करता है और यहाँ तक कि उसमें उन बातों का भी अभाव है जो मनुष्यों में सामान्य रूप से होती हैं। अर्थात्, परमेश्वर मानव आचरण के सिद्धांतों को समझता तक नहीं है। जब आज का परमेश्वर पृथ्वी पर आता है, तब ऐसा ही होता है। वह मनुष्य के विचारों या मनुष्य की सोच को शामिल किए बिना कार्य करता और बोलता है, परन्तु आत्मा का वास्तविक अर्थ सीधे प्रकट करता है और सीधे परमेश्वर की ओर से कार्य करता है। इसका अर्थ है कि आत्मा कार्य करने के लिए आगे आता है, जो मनुष्य के विचारों को थोड़ा सा भी शामिल नहीं करता है। अर्थात्, देहधारी परमेश्वर सीधे ईश्वरत्व का अवतार होता है, मनुष्य की सोच या विचारधारा के बिना होता है, और मानव आचरण के सिद्धांतों की कोई समझ नहीं रखता है। अगर वहाँ केवल दिव्य कार्य होते (अर्थात् यदि केवल परमेश्वर स्वयं कार्य कर रहा होता), तो परमेश्वर का कार्य पृथ्वी पर पूरा नहीं किया जा सकता था। इसलिए जब परमेश्वर पृथ्वी पर आता है, उसे कुछ लोग रखने ही पड़ते हैं जिनका वह ईश्वरत्व में अपने कार्य के साथ संयोजन में मानवता में कार्य करने के लिए उपयोग करता है।अन्यथा, मनुष्य ईश्वरीय कार्य के साथ सीधे संपर्क में आने में असमर्थ होगा।"
"देहधारी परमेश्वर और परमेश्वर द्वारा उपयोग किए गए लोगों के बीच महत्वपूर्ण अंतर" से


2017-12-26

तीसवाँ कथन

मनुष्य के बीच, मैंने एक बार आदमी की अवज्ञा और कमजोरी को संक्षेप में प्रस्तुत किया, और इस लिए मैं मनुष्य की कमजोरी समझा और उसकी अवज्ञा से परिचित हुआ। मनुष्य के बीच पहुँचने से पहले, मैं लंबे समय से मनुष्यों के बीच सुखों और दुःखों को समझने लगा था—और इस वजह से, मैं वह करने में जिसे मनुष्य नहीं कर सकता है, और वह कहने में जिसे मनुष्य नहीं कह सकता है, सक्षम हूँ, और मैं ऐसा आसानी से करता हूँ। क्या यह मेरे और मनुष्य के बीच अंतर नहीं है?

2017-12-06

अन्यजाति के देशों में परमेश्वर का नाम फैलेगा

   


I
मानवता की विनयशीलता को बढ़ावा देना, परमेश्वर के न्याय का उद्देश्य है; मानव का रूपांतरण करना, परमेश्वर की ताड़ना का उद्देश्य है। परमेश्वर का काम अपने प्रबंधन के लिये है मगर, कुछ भी ऐसा नहीं है जो इंसान के हित में ना हो। परमेश्वर चाहता है, इस्राएल के परे की धरती, इस्राएलवासियों की तरह आदेश माने, बना सके उन्हें सच्चे मानव, ताकि इस्राएल के परे की धरती पर, पांव परमेश्वर के जम जाएं। ये परमेश्वर का प्रबंधन है, ये परमेश्वर का प्रबंधन है। अन्यजातियों की धरती पर, ये उसका काम है।

2017-11-28

मार्ग… (5)



ऐसा हुआ करता था कि कोई भी पवित्र आत्मा को नहीं जानता था, और विशेष रूप से उन्हें नहीं पता होता था कि पवित्र आत्मा का मार्ग क्या है। यही कारण है कि लोग हमेशा परमेश्वर के सामने स्वयं मूर्ख बन जाते थे। यह कहा जा सकता है कि लगभग सभी लोग जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, पवित्रात्मा को नहीं जानते हैं, बल्कि केवल एक भ्रमित प्रकार का विश्वास करते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि लोग परमेश्वर को नहीं समझते हैं, और भले ही वे कहते हों कि वे उस पर विश्वास करते हो, इसके सार के संदर्भ में, अपनी क्रियाओं के आधार पर वे स्वयं पर विश्वास करते हैं, परमेश्वर पर नहीं। अपने व्यक्तिगत वास्तविक अनुभव से, मैं देख सकता हूँ कि परमेश्वर देहधारी परमेश्वर की गवाही देता है, और बाहर से, सभी लोगों को उसकी गवाही को स्वीकार करने के लिए बाध्य किया जाता है, और यह केवल इतना ही कहा जा सकता है कि उनका मानना ​​है कि परमेश्वर का आत्मा पूरी तरह से त्रुटिहीन है। हालाँकि, मैं कहता हूँ कि लोग जिस में विश्वास करते हैं वह यह व्यक्ति नहीं है और यह विशेष रूप से परमेश्वर का आत्मा नहीं है, किन्तु वे अपनी स्वयं की भावना में विश्वास करते हैं। क्या यह केवल अपने आप पर विश्वास करना नहीं है?

2017-11-25

अभ्यास (5)


अनुग्रह के युग के दौरान, यीशु ने कुछ वचन कहे और कार्य के एक चरण को पूरा किया। उस कार्य के लिए एक संदर्भ था, और वो उस समय के लोगों की स्थितियों के लिए उपयुक्त था; यीशु ने उस समय के संदर्भ के अनुसार बोला और कार्य किया। उसने कुछ भविष्यवाणियां भी कीं उसने भविष्यवाणी की कि सत्य का आत्मा अंतिम दिनों के दौरान आएगा, जिस दौरान सत्य का आत्मा एक चरण का कार्य पूरा करेगा। इससे यह समझ आता है कि उस युग के दौरान अपने कार्य के अलावा उसे किसी अन्य चीज़ के बारे में स्पष्टता नहीं थी; यानी, देहधारी परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य की भी सीमाएं थीं। इसलिए, उसने केवल उस युग का कार्य किया, और ऐसा कोई कार्य नहीं किया जिससे उसका कोई संबंध नहीं था। उस समय, उसने भावनाओं और कल्पनाओं के अनुसार कार्य नहीं किया, बल्कि समय और संदर्भ के अनुरूप कार्य किया। किसी ने उसकी अगुवाई नहीं की या निर्देशन नहीं किया। उसका पूरा कार्य इस पर आधाथा कि वह कौन था, कौन-सा कार्य था जिसे परमेश्वर की आत्मा के देहधारी द्वारा पूरा किया जाना था—यह वह पूर्ण कार्य था जिसे देहधारी द्वारा शुरू किया गया था। शायद, अनुग्रह के युग की अनुग्रह और शांति ने तुम्हारे अनुभवों में ऐसी कई चीज़ें सम्मिलित कर दी हैं जो भावनाओं या मानव संवेदनशीलता से संबंधित हैं। यीशु ने केवल उसके अनुसार कार्य किया जो उसने स्वयं देखा और सुना था। दूसरे शब्दों में, आत्मा ने सीधे कार्य किया; उसके लिए यह आवश्यक नहीं था कि दूत सामने आएं और उसे सपने दिखाएं या कोई महान रोशनी उसपर चमके और उसके लिए देख पाना संभव करे। वह स्वतंत्र और स्वाभाविक रूप से कार्य करता था क्योंकि उसका कार्य भावनाओं पर आधारित नहीं था। दूसरे शब्दों में, कार्य करते समय वह टटोलता और अनुमान नहीं लगाता था, बल्कि आसानी से चीज़ों को करता था, अपने विचारों और अपनी आँखों देखी के अनुसार वह कार्य करता और बोलता था, और उसे तुरंत अपने उन शिष्यों को प्रदान करता था जो उसके अनुयायी थे। यही अंतर है परमेश्वर और लोगों के कार्यों के बीच: जब लोग कार्य करते हैं, तो वे अधिक गहरा प्रवेश प्राप्त करने के लिए दूसरों द्वारा रखी गई बुनियाद पर हमेशा नकल करते हुए और विचार-विमर्श करते हुए खोजते और टटोलते रहते हैं परमेश्वर के कार्य में वह स्वयं को प्रदान करता है, वह वही कार्य करता है जिसे उसे स्वयं करना चाहिए, और दूसरे मनुष्य द्वारा किए गए कार्य का उपयोग करके चर्च को ज्ञान नहीं प्रदान करता; इसके बजाय, वह लोगों की स्थितियों के आधार पर अपना वर्तमान कार्य करता है। इसलिए, इस ढंग से कार्य करना लोगों द्वारा किए गए कार्य के तरीके की तुलना में हज़ारों गुना मुक्त है। यहाँ तक कि लोगों को यह भी प्रतीत होता है कि परमेश्वर अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता और अपनी मन मर्ज़ी से कार्य करता है। लेकिन वह जो भी कार्य करता है वह नया होता है, और तुम्हें पता होना चाहिए कि परमेश्वर के देहधारी का कार्य कभी भावनाओं पर आधारित नहीं होता।

2017-11-09

बाइबल के विषय में (1)


परमेश्वरमें विश्वास करते हुए बाइबल के समीप कैसे जाना चाहिए? यह एक सैद्धांतिक प्रश्न है। हम इस प्रश्न पर संवाद क्यों कर रहे हैं? क्योंकि तुम भविष्य में सुसमाचार को फैलाओगे और राज्य के युग के कार्य का विस्तार करोगे, और इसलिए आज मात्र परमेश्वर के कार्य के बारे में बात करने के योग्य होना ही काफी नहीं है। उसके कार्य का विस्तार करने के लिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि तुम लोगों की पुरानी धार्मिक अवधारणाओं और विश्वास के पुराने माध्यमों का समाधान करने के योग्य बनो, और उन्हें पूरी तरह आश्वस्त करके ही छोड़ो - और उस स्थिति तक आने में बाइबल शामिल है। बहुत सालों से, लोगों के विश्वास का परम्परागत माध्यम (दुनिया के तीन मुख्य धर्मों में से एक, मसीहियत के विषय में) बाइबल पढ़ना ही रहा है; बाइबल से दूर जाना प्रभु में विश्वास नहीं है, बाइबल से दूर जाना एक दुष्ट पंथ और विधर्म है, और यहाँ तक कि जब लोग अन्य पुस्तकों को पढ़ते हैं, तो इन पुस्तकों की बुनियाद, बाइबल की व्याख्या ही होनी चाहिए। कहने का अर्थ है कि, यदि तुम कहते हो कि तुम प्रभु में विश्वास करते हो, तो तुम्हें बाइबल अवश्य पढ़नी चाहिए, तुम्हें बाइबल खानी और पीनी चाहिए, बाइबल के अलावा तुम्हें किसी अन्य पुस्तक की आराधना नहीं करनी चाहिए जिस में बाइबल शामिल नहीं हो। यदि तुम करते हो, तो तुम परमेश्वर के साथ विश्वासघात कर रहे हो।

2017-11-05

मार्ग… (3)



अपने पूरे जीवन में, मैं हमेशा स्वयं को तन और मन से पूरी तरह से, परमेश्वर को समर्पित करने के लिए तैयार हूँ। इस तरह, मेरे अंतःकरण पर कोई दोष नहीं है और मैं थोड़ी शांति प्राप्त कर सकता हूँ। एक व्यक्ति जो जीवन की खोज करता है, उसे सबसे पहले अपना हृदय पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित कर देना चाहिए। यह एक पूर्व शर्त है। मैं अपने भाइयों और बहनों से चाहूँगा कि वे मेरे साथ परमेश्वर से प्रार्थना करें: "हे परमेश्वर! स्वर्ग में तेरा पवित्रात्मा धरती पर लोगों को अनुग्रह प्रदान करे, ताकि मेरा हृदय पूरी तरह से तेरी ओर मुड़ सके, कि मेरा आत्मा तेरे द्वारा प्रेरित हो सके, और मैं अपने हृदय और अपने आत्मा में तेरी मनोरमता को देख सकूँ, ताकि जो लोग पृथ्वी पर हैं वे तेरी सुंदरता को देख कर धन्य हो सकें। परमेश्वर! तेरा पवित्रात्मा एक बार फिर हमारी आत्माओं को प्रेरित करे ताकि हमारा प्यार चिरस्थायी हो और कभी भी परिवर्तित न हो!" परमेश्वर सबसे पहले हमारे हृदय की परीक्षा लेता है, और जब हम अपना हृदय उसमें उँड़ेल देते हो, तब वह हमारी आत्मा को प्रेरित करना शुरू करता है।

तुम लोगों को कार्य समझना होगा; उलझकर इसके पीछे नहीं चलो!


वर्तमान में ऐसे कई लोग हैं जो एक उलझे हुए तरीके से आस्था रखते हैं। तुम लोगों की जिज्ञासा बहुत बड़ी है, अपने आशिषों को प्राप्त करने की तुम लोगों की इच्छा बहुत बड़ी है, और जीवन को आगे बढ़ाने की तुम लोगों की इच्छा बहुत छोटी है। आजकल, यीशु के विश्वासी उत्साह से भरे हुए हैं। यीशु उनका अपने स्वर्गीय घर में स्वागत करने जा रहा है—क्या वे विश्वास नहीं कर सकते? कुछ लोग अपने पूरे जीवन में विश्वासी बने रहते हैं, कुछ लोगों का विश्वास बीस से अधिक वर्षों के लिए बना रहता है, या चालीस या पचास वर्षों के लिए बना रहता है; वे बाइबल पढ़ते हुए कभीपरमेश्वर के पीछे चल रहे हो, और अभी से संघर्ष कर रहे हो और तुम लोगों में धीरज की कमी आ गई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आशीषें प्राप्त करने की तुम लोगों की इच्छा कुछ ज़्यादा ही मज़बूत है। तुम लोगों का इस सच्ची राह पर चलना आशीषें प्राप्त करने की तुम्हारी इच्छा और तुम्हारे जिज्ञासु दिल द्वारा संचालित है। तुम लोगों को कार्य के इस चरण की बहुत समझ नहीं है।

2017-10-21

परमेश्वर द्वारा आवासित देह का सार


पहला देहधारी परमेश्वर पृथ्वी पर साढ़े तैंतीस साल रहा, फिर भी उसने अपनी सेवकाई को उन सालों में से केवल साढ़े तीन साल तक ही किया। अपना कार्य करने के दौरान और अपना कार्य आरम्भ करने से पहले, इन दोनों समयों में, वह अपनी सामान्य मानवता को धारण किए हुए था। वह अपनी साधारण मानवता में साढ़े तैंतीस साल तक रहा। पूरे साढ़े तीन साल तक उसने अपने आप को देहधारी परमेश्वर के रूप में प्रकट किया। अपनी सेवकाई का कार्य प्रारम्भ करने से पहले, अपनी दिव्यता का कोई भी चिन्ह प्रकट नहीं करते हुए, वह अपनी साधारण और सामान्य मानवता के साथ प्रकट हुआ, और यह केवल उसकी सेवकाई को औपचारिक तौर पर प्रारम्भ करने के बाद ही हुआ कि उसकी दिव्यता प्रदर्शित की गई थी। पहले उनतीस साल तक का उसका जीवन और कार्य प्रकट करते हैं कि वह एक सच्चा मानव, मनुष्य का पुत्र, एक देह था; क्योंकि उसकी सेवकाई गंभीरता से उसकी उनतीस साल की उम्र के बाद ही आरम्भ हुई थी। देहधारण का अर्थ यह है कि परमेश्वर देह में प्रकट होता है, और वह अपनी सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करने आता है। इसलिए, परमेश्वर को देहधारी होने के लिए, उसे सबसे पहले देह, सामान्य मानवता वाली देह अवश्य होना चाहिए; यह, कम से कम, सत्य अवश्य होना चाहिए।

2017-10-11

परमेश्वर की इच्छा के प्रति सावधान रहना और सिद्धता को प्राप्त करना

जितना अधिक आप परमेश्वर की इच्छा के प्रति सचेत रहेंगे, आपका बोझ और अधिक हो जाएगा। आपका बोझ जितना ज्यादा होगा, उतना आपका अनुभव ज्यादा होगा। जब आप परमेश्वर की इच्छा के प्रति सचेत होते हैं, परमेश्वर इस बोझ को आपको देते हैं, और आप परमेश्वर द्वारा उन बातों पर प्रबुद्ध किए जाते हैं, जो उन्होंने आपको सौंपी हैं। परमेश्वर द्वारा यह बोझ आपको दिए जाने के बाद, आपको अपने इस बोझ से सम्बंधित बातों पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए जब आप परमेश्वर के वचन को खाते और पीतेआत्मसात करते हैं। यदि यह बोझ भाइयों और बहनों की जीवन दशा से जुड़ा है तो इसे परमेश्वर ने आपको सौंपा है, तब आपकी प्रतिदिन की प्रार्थना में भी यह बोझ होगी। परमेश्वर जो करते हैं वह आपको सौंपा गया है, आप इच्छुक होंगे परमेश्वर जो करना चाहते हैं, उसे आगे ले जाने के लिए, और यही है परमेश्वर के बोझ को अपना बोझ समझना। इस बिंदु पर, आपका परमेश्वर के वचन को आत्मसात करना इन बातों के पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित करेगा, और आप सोचेंगे, मैं कैसे इन बातों को हल करूंगा? कैसे मैं भाइयों और बहनों को स्वतंत्र होने दूंगा, उनकी आत्मा में आनंद प्राप्त करने के लिए। आप इन मुद्दों को हल करने में ध्यान केन्द्रित करेंगे जब आप संगति करेंगे, आप ध्यान केन्द्रित करेंगे उन वचनों को आत्मसात करने पर जो इस मुद्दे से जुड़े हैं जब आप परमेश्वर के वचन को आत्मसात करते हैं, आप परमेश्वर का वचन आत्मसात करेंगे जब आप इस बोझ को ढोते हैं, और आप परमेश्वर की अपेक्षाओं को समझेंगे। यहां पर, जो मार्ग है वह आपके लिए और भी सुगम हो जायेगा। आपका बोझ आपमें पवित्र आत्मा द्वारा प्रबोधन और प्रकाश लाने वाला होगा, और यह परमेश्वर की आपके लिए अगुवाई होगी। मैं ऐसा क्यों कहता हूं? यदि आप कोई भी बोझ नहीं उठा रहे हैं, तब आप परमेश्वर के वचन को आत्मसात करते समय इस पर ध्यान नहीं दे पाएँगे; बोझ ढोने के दौरान जब आप परमेश्वर के वचन को आत्मसात कर रहे हों, तो आप परमेश्वर के वचन का सार समझ सकते हैं, आप अपना मार्ग प्राप्त कर सकते हैं, आप परमेश्वर की इच्छा के प्रति सावधान होने में सक्षम होते हैं। इसलिए, आपको परमेश्वर से अपनी प्रार्थना में और अधिक बोझ मांगना चाहिए, इस प्रकार परमेश्वर आपको बड़ी चीजें सौंपेंगे, आपके सामने का रास्ता और भी सुगम हो जाएगा, आप परमेश्वर के वचनों को आत्मसात करने में और भी ज्यादा प्रभावशील हो जाएंगे, आप परमेश्वर के वचन के सार को प्राप्त करने में सक्षम होंगे, और आप और भी अधिक सरलता से पवित्र आत्मा के द्वारा प्रेरित कर दिए जाएंगे।

2017-09-27

आपको मसीह की अनुकूलता में होने के तरीके की खोज करनी चाहिए

मैं मनुष्य के मध्य में बहुत कार्य कर चुका हूं, और इस समय के दौरान जो वचन मैंने व्यक्त किये हैं, वे बहुत हो चुके हैं। ये वचन मनुष्य के उद्धार के लिए ही हैं, और इसलिए व्यक्त किये गए थे ताकि मनुष्य मेरे अनुसार, मुझ से मेल खाने वाला बन सके। फिर भी, पृथ्वी पर मैंने ऐसे बहुत थोड़े ही लोग पाये हैं जो मुझ से मेल खाते हैं, और इसलिए मैं कहता हूं कि मनुष्य मेरे वचनों को बहुमूल्य नहीं समझता, क्योंकि मनुष्य मेरे अनुकूल नहीं है। इस तरह, मैं जो कार्य करता हूं वह सिर्फ़ इसलिए नहीं हैं कि मनुष्य मेरी आराधना कर सके; पर उस से अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि, यह इसलिए किया जाता है ताकि मनुष्य मेरे अनुकूल, मुझ से मेल खाने वाला बन सके। वे लोग, जो भ्रष्ट हो चुके हैं, सब शैतान के फंदे में जीवन जी रहे हैं, वे शरीर में जीवन जीते हैं, स्वार्थी अभिलाषाओं में जीवन जीते हैं, और उनके मध्य में एक भी नहीं है जो मेरे अनुकूल हो।

2017-09-23

अपने लक्ष्य की तैयारी में आपको पर्याप्त भले काम करने चाहिये

मैंने आप सबके बीच बहुत काम किया है और निश्चय ही बहुत सी बातें कही हैं। फिर भी मुझे लगता है कि मेरे वचन और कार्य ने अंत के दिनों के लिये मेरे कार्य के उद्देश्य को सम्पूर्ण रीति से सम्पन्न नहीं किया है। क्योंकि अंत के दिनों में मेरा कार्य किसी एक व्यक्ति या लोगों के लिये नहीं है, परन्तु यह मेरे अन्तर्निहित स्वभाव को प्रदर्शित करने के लिये है। हालांकि अनेकानेक कारणवश - संभवतः समय की कमी या कार्य की अति व्यस्त दिनचर्या के कारण- मेरे स्वभाव ने मनुष्य को मुझसे परिचित कराने में जरा भी सहायता नहीं की है। इस कारण अब मैंने अपनी एक नयी योजना की ओर कदम बढ़ाये हैं, यह मेरा अंतिम कार्य है- कि एक नया पृष्ठ खोलूं ताकि वे सब जो मुझे देखते हैं- मेरे अस्तित्व के लिये छाती पीटेंगे और बहुत विलाप करेंगे। क्योंकि मैं संसार में मनुष्यों का अंत कर दूंगा और उसके बाद, मैं मनुष्यों पर अपने पूरे स्वभाव का खुलकर प्रदर्शन करूंगा ताकि जो मुझे जानते हैं, और जो मुझे नहीं जानते, “उनकी आंखें संतृप्त” हों, और वे देखें कि मैं वास्तव में मनुष्यों के बीच पृथ्वी पर आ गया हूँ, जहाँ सभी वस्तुएं बढ़ती हैं। यह मेरी योजना एवं मनुष्यों के सृजन के समय से मेरी एकमात्र “स्वीकारोक्ति” है। काश आप सम्पूर्ण हृदय से मेरे प्रत्येक कार्य को देख पाते, क्योंकि मेरी छड़ी एक बार फिर मनुष्यों के पास, विशेष कर उनके पास आती है जो मेरा विरोध करते हैं।

देहधारी परमेश्वर और परमेश्वर द्वारा उपयोग किए गए लोगों के बीच महत्वपूर्ण अंतर


वर्षों से परमेश्वर का आत्मा खोजते हुए पृथ्वी पर कार्य करती आ ही है। सदियों से परमेश्वर ने अपने कार्य को करने के लिए बहुत सारे लोगों का उपयोग किया है। फिर भी, परमेश्वर की आत्मा के आराम के लिए अभी भी कोई उपयुक्त स्थान नहीं है। इसलिये परमेश्वर विभिन्न लोगों के माध्यम से अपना कार्य करता जाता है और वह अपने कार्य के लिए बहुत से लोगों का उपयोग करता है। अर्थात्, इन सभी वर्षों में, परमेश्वर का कार्य कभी नहीं रुका है। आज के दिन तक भी यह लगातार मनुष्य में आगे बढ़ता जा रहा है। यद्यपि परमेश्वर ने बहुत कुछ कहा है और बहुत कुछ किया है, फिर भी मनुष्य अभी तक परमेश्वर को नहीं जानता है, यह इसलिये कि परमेश्वर मनुष्य को कभी नहीं दिखाई दिया और वह निराकार है। इसलिए परमेश्वर को इस कार्य को पूरा करना है - व्यावहारिक परमेश्वर के व्यावहारिक महत्व को सभी मनुष्य को ज्ञात करवाना है।

2017-09-16

सहस्राब्दि राज्य आ चुका है

सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया--सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन - क्या आप लोगों ने देखा है कि इस समूह के लोगों में परमेश्वर कौन सा कार्य पूर्ण करेगा?

सहस्राब्दि राज्य आ चुका है


क्या आप लोगों ने देखा है कि इस समूह के लोगों में परमेश्वर कौन सा कार्य पूर्ण करेगा? परमेश्वर ने कहा, कि यहाँ तक कि सहस्राब्दि राज्य में भी लोगों को उसके कथनों का पालन अवश्य करना चाहिए, और भविष्य में परमेश्वर के कथन अंततोगत्वा मनुष्य के जीवन को कनान के उत्तम देश में सीधे तौर पर मार्गदर्शन करेंगे। जब मूसा जंगल में था, तो परमेश्वर ने सीधे तौर पर उसे निर्देश दिया और उससे बातचीत की। स्वर्ग से परमेश्वर ने लोगों के आनन्द के लिए भोजन, पानी और मन्ना भेजा, और आज भी ऐसा ही हैः परमेश्वर ने लोगों के आनन्द के लिए व्यक्तिगत रूप से खाने और पीने की चीजें भिजवाई, और लोगों को ताड़ना देने के लिए व्यक्तिगत तौर पर श्राप भेजा। और इसलिए उसके कार्य का प्रत्येक कदम व्यक्तिगत तौर पर परमेश्वर के द्वारा ही उठाया जाता है। आज, लोग तथ्यों के घटने की लालसा करते हैं, वे संकेतों और चमत्कारों को देखने की कोशिश करते हैं, और यह सम्भव है कि इस प्रकार से सभी लोग छोड़ दिए जाएँगे, क्योंकि परमेश्वर का कार्य तेजी से वास्तविक होता जा रहा है।