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2018-11-04

वास्तविकता को कैसे जानें

वास्तविकता को कैसे जानें

परमेश्वर वास्तविकता का परमेश्वर है: उसका समस्त कार्य वास्तविक है, सभी वचन जिन्हें वह कहता है वास्तविक हैं, और सभी सच्चाईयाँ जिन्हें वह व्यक्त करता है वास्तविक हैं। हर चीज़ जो उसके वचन नहीं हैं वे खोखले, अस्तित्वहीन, और अनुचित हैं। आज, पवित्र आत्मा परमेश्वर के वचनों में लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए है।

2018-11-02

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है V

प्रार्थना, परमेश्वर को जानना, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, परमेश्वर की इच्छा
स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है V

सब को शुभ संध्या! (शुभ संध्या सर्वसामर्थी परमेश्वर!) आज, भाइयो और बहनो, आइए हम एक गीत गाएं। जो आपको पसंद हो और आप ने उसे पहले लगातार गाया हो। (हम परमेश्वर के वचन का गीत गाना चाहेंगे "बिना दाग का पवित्र प्रेम"।)
गीत के अंत के बोलः "प्रेम" एक निष्कलंक शुद्ध भावना को दर्शाता है जहां आप अपने दिल को प्रेम करने, अनुभव करने और विचार करने के लिए उपयोग में लाते हैं। प्रेम में कोई शर्त, कोई बाधा और कोई दूरी नहीं होती है। प्रेम में कोई शक नहीं, कोई धोखा नहीं, कोई समझौता नहीं, कोई चालाकी नहीं होती। प्रेम में कोई चुनाव नहीं और कुछ अशुद्धता नहीं होती।

2018-10-21

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II

परमेश्वर का धर्मी स्वभाव

तुम सब परमेश्वर के अधिकार के बारे में पिछली सभा में सुन चुके हो, अब मैं आश्वस्त हूं कि तुम सब उस मुद्दे पर शब्दों की व्यूह रचना के साथ पूर्ण रूप से सुसज्जित हो गए हो। तुम सब कितना अधिक स्वीकार कर सकते हो, आभास कर सकते और समझ सकते हो यह इस पर निर्भर करता है कि तुम सब उसके लिए कितना प्रयास करोगे। यह मेरी आशा है कि तुम सब इस मुद्दे तक बड़े उत्साह से पहुंच सको; तुम लोगों को किसी भी कीमत पर इसके साथ अधूरे मन से व्यवहार नहीं करना चाहिए। अब, क्या परमेश्वर के अधिकार को जानना परमेश्वर की सम्पूर्णता को जानने के समान है?

2017-12-07

प्रार्थना की क्रिया के विषय में




अपने प्रतिदिन के जीवन में तुम प्रार्थना पर बिलकुल ध्यान नहीं देते। लोगों ने प्रार्थना को सदैव नजरअंदाज किया है। अपनी प्रार्थनाओं में वे ऐसे ही इधर-उधर घूमते हैं और ऊपरी तौर पर कार्य करते हैं, और किसी ने भी कभी परमेश्वर के समक्ष पूरी रीति से अपने हृदय को समर्पित नहीं किया है और न ही परमेश्वर से सच्चाई से प्रार्थना की है। लोग परमेश्वर से तभी प्रार्थना करते हैं जब उनके साथ कुछ घटित हो जाता है। इन सारे समयों के दौरान, क्या तुमने कभी सच्चाई के साथ परमेश्वर से प्रार्थना की है? क्या तुमने कभी पीड़ा के आँसुओं को परमेश्वर के सामने बहाया है? क्या तुमने कभी परमेश्वर के सामने स्वयं को पहचाना है? क्या तुमने कभी परमेश्वर के साथ हृदय से हृदय मिलाते हुए प्रार्थना की है? प्रार्थना का अभ्यास धीरे-धीरे किया जाता है: यदि तुम सामान्य रीति से घर पर प्रार्थना नहीं करते हो, तब तुम्हारा कलीसिया में प्रार्थना करने का कोई अर्थ नहीं होगा, और यदि तुम छोटी-छोटी सभाओं में सामान्य रीति से प्रार्थना नहीं करते हो, तो बड़ी-बड़ी सभाओं में प्रार्थना करने में भी असमर्थ होगे। यदि तुम सामान्य रीति से परमेश्वर के निकट नहीं आते या परमेश्वर के वचनों पर मनन नहीं करते हो, तो तुम्हारे पास तब कहने के लिए कुछ भी नहीं होगा जब प्रार्थना का समय होगा - और यदि तुम प्रार्थना करते भी हो, तो बस तुम्हारे होंठ ही हिलते रहेंगे, तुम सच्चाई से प्रार्थना नहीं कर रहे होगे।

2017-11-28

मार्ग… (5)



ऐसा हुआ करता था कि कोई भी पवित्र आत्मा को नहीं जानता था, और विशेष रूप से उन्हें नहीं पता होता था कि पवित्र आत्मा का मार्ग क्या है। यही कारण है कि लोग हमेशा परमेश्वर के सामने स्वयं मूर्ख बन जाते थे। यह कहा जा सकता है कि लगभग सभी लोग जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, पवित्रात्मा को नहीं जानते हैं, बल्कि केवल एक भ्रमित प्रकार का विश्वास करते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि लोग परमेश्वर को नहीं समझते हैं, और भले ही वे कहते हों कि वे उस पर विश्वास करते हो, इसके सार के संदर्भ में, अपनी क्रियाओं के आधार पर वे स्वयं पर विश्वास करते हैं, परमेश्वर पर नहीं। अपने व्यक्तिगत वास्तविक अनुभव से, मैं देख सकता हूँ कि परमेश्वर देहधारी परमेश्वर की गवाही देता है, और बाहर से, सभी लोगों को उसकी गवाही को स्वीकार करने के लिए बाध्य किया जाता है, और यह केवल इतना ही कहा जा सकता है कि उनका मानना ​​है कि परमेश्वर का आत्मा पूरी तरह से त्रुटिहीन है। हालाँकि, मैं कहता हूँ कि लोग जिस में विश्वास करते हैं वह यह व्यक्ति नहीं है और यह विशेष रूप से परमेश्वर का आत्मा नहीं है, किन्तु वे अपनी स्वयं की भावना में विश्वास करते हैं। क्या यह केवल अपने आप पर विश्वास करना नहीं है?

2017-11-11

मार्ग... (2)


मार्ग... (2)

शायद हमारे भाइयों और बहनों के पास मुख्य भूमि चीन में परमेश्वर के काम के अनुक्रम, कदमों, और तरीकों की एक रूपरेखा है, लेकिन मुझे हमेशा लगता है कि हमारे भाइयों और बहनों के लिए एक अनुस्मरण या थोड़े संक्षिप्त विवरण का होना बेहतर है। मेरे दिल में क्या है उसमें से थोड़ा सा कहने के लिए मैं सिर्फ़ इस अवसर का उपयोग कर रहा हूँ; मैं इस काम के बाहर किसी चीज के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ।

2017-10-11

परमेश्वर की इच्छा के प्रति सावधान रहना और सिद्धता को प्राप्त करना

जितना अधिक आप परमेश्वर की इच्छा के प्रति सचेत रहेंगे, आपका बोझ और अधिक हो जाएगा। आपका बोझ जितना ज्यादा होगा, उतना आपका अनुभव ज्यादा होगा। जब आप परमेश्वर की इच्छा के प्रति सचेत होते हैं, परमेश्वर इस बोझ को आपको देते हैं, और आप परमेश्वर द्वारा उन बातों पर प्रबुद्ध किए जाते हैं, जो उन्होंने आपको सौंपी हैं। परमेश्वर द्वारा यह बोझ आपको दिए जाने के बाद, आपको अपने इस बोझ से सम्बंधित बातों पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए जब आप परमेश्वर के वचन को खाते और पीतेआत्मसात करते हैं। यदि यह बोझ भाइयों और बहनों की जीवन दशा से जुड़ा है तो इसे परमेश्वर ने आपको सौंपा है, तब आपकी प्रतिदिन की प्रार्थना में भी यह बोझ होगी। परमेश्वर जो करते हैं वह आपको सौंपा गया है, आप इच्छुक होंगे परमेश्वर जो करना चाहते हैं, उसे आगे ले जाने के लिए, और यही है परमेश्वर के बोझ को अपना बोझ समझना। इस बिंदु पर, आपका परमेश्वर के वचन को आत्मसात करना इन बातों के पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित करेगा, और आप सोचेंगे, मैं कैसे इन बातों को हल करूंगा? कैसे मैं भाइयों और बहनों को स्वतंत्र होने दूंगा, उनकी आत्मा में आनंद प्राप्त करने के लिए। आप इन मुद्दों को हल करने में ध्यान केन्द्रित करेंगे जब आप संगति करेंगे, आप ध्यान केन्द्रित करेंगे उन वचनों को आत्मसात करने पर जो इस मुद्दे से जुड़े हैं जब आप परमेश्वर के वचन को आत्मसात करते हैं, आप परमेश्वर का वचन आत्मसात करेंगे जब आप इस बोझ को ढोते हैं, और आप परमेश्वर की अपेक्षाओं को समझेंगे। यहां पर, जो मार्ग है वह आपके लिए और भी सुगम हो जायेगा। आपका बोझ आपमें पवित्र आत्मा द्वारा प्रबोधन और प्रकाश लाने वाला होगा, और यह परमेश्वर की आपके लिए अगुवाई होगी। मैं ऐसा क्यों कहता हूं? यदि आप कोई भी बोझ नहीं उठा रहे हैं, तब आप परमेश्वर के वचन को आत्मसात करते समय इस पर ध्यान नहीं दे पाएँगे; बोझ ढोने के दौरान जब आप परमेश्वर के वचन को आत्मसात कर रहे हों, तो आप परमेश्वर के वचन का सार समझ सकते हैं, आप अपना मार्ग प्राप्त कर सकते हैं, आप परमेश्वर की इच्छा के प्रति सावधान होने में सक्षम होते हैं। इसलिए, आपको परमेश्वर से अपनी प्रार्थना में और अधिक बोझ मांगना चाहिए, इस प्रकार परमेश्वर आपको बड़ी चीजें सौंपेंगे, आपके सामने का रास्ता और भी सुगम हो जाएगा, आप परमेश्वर के वचनों को आत्मसात करने में और भी ज्यादा प्रभावशील हो जाएंगे, आप परमेश्वर के वचन के सार को प्राप्त करने में सक्षम होंगे, और आप और भी अधिक सरलता से पवित्र आत्मा के द्वारा प्रेरित कर दिए जाएंगे।

2017-09-11

उद्धारकर्त्ता पहले से ही एक “सफेद बादल” पर सवार होकर वापस आ चुका है



कई हज़ारों सालों से, मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता के आगमन को देखने में सक्षम होने की लालसा की है। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता यीशु को एक सफेद बादल पर देखने की इच्छा की है जब वह व्यक्तिगत रूप से उन लोगों के बीच में अवरोहण करता है जिन्होंने हज़ारों सालों से उसकी अभिलाषा की है और उसके लिए लालायित रहे हैं। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता की वापसी और लोगों के साथ उसके फिर से जुड़ने की लालसा की है, अर्थात्, उद्धारकर्त्ता यीशु के लिए कि वह उन लोगों के पास वापस आए जिनसे वह हज़ारों सालों से अलग रहा है। और मनुष्य आशा करता है कि वह एक बार फिर से छुटकारे के उस कार्य को पूरा करेगा जो उसने यहूदियों के बीच किया था, वह मनुष्य के प्रति करूणामय और प्रेममय होगा, मनुष्य के पापों को क्षमा करेगा, वह मनुष्य के पापों को सहन करेगा, और यहाँ तक कि वह मनुष्य के सभी अपराधों को सहन करेगा और मनुष्य को उसके पापों से मुक्त करेगा।