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2018-11-02

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है V

प्रार्थना, परमेश्वर को जानना, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, परमेश्वर की इच्छा
स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है V

सब को शुभ संध्या! (शुभ संध्या सर्वसामर्थी परमेश्वर!) आज, भाइयो और बहनो, आइए हम एक गीत गाएं। जो आपको पसंद हो और आप ने उसे पहले लगातार गाया हो। (हम परमेश्वर के वचन का गीत गाना चाहेंगे "बिना दाग का पवित्र प्रेम"।)
गीत के अंत के बोलः "प्रेम" एक निष्कलंक शुद्ध भावना को दर्शाता है जहां आप अपने दिल को प्रेम करने, अनुभव करने और विचार करने के लिए उपयोग में लाते हैं। प्रेम में कोई शर्त, कोई बाधा और कोई दूरी नहीं होती है। प्रेम में कोई शक नहीं, कोई धोखा नहीं, कोई समझौता नहीं, कोई चालाकी नहीं होती। प्रेम में कोई चुनाव नहीं और कुछ अशुद्धता नहीं होती।

2018-10-24

अध्याय 28

अध्याय 28

तुम देखोगे कि समय बहुत कम है और पवित्र आत्मा का काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, जिससे तुम्हेंऐसे महान आशीष प्राप्त होते हैं, ब्रह्मांड के राजा, चमकते सूर्य, राज्य के राजा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, का स्वागत करने का अवसर तुम्हें मिलता है—यह सब मेरी अनुग्रह और दया है। ऐसा क्या हो सकता है जो तुम्हें मेरे प्यार से दूर कर सके? सावधानी से विचार करो, भागने की कोशिश न करो, हर पल मेरे सामने शांति से प्रतीक्षा करो और हमेशा बाहर घूमा न करो।

2018-10-21

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II

परमेश्वर का धर्मी स्वभाव

तुम सब परमेश्वर के अधिकार के बारे में पिछली सभा में सुन चुके हो, अब मैं आश्वस्त हूं कि तुम सब उस मुद्दे पर शब्दों की व्यूह रचना के साथ पूर्ण रूप से सुसज्जित हो गए हो। तुम सब कितना अधिक स्वीकार कर सकते हो, आभास कर सकते और समझ सकते हो यह इस पर निर्भर करता है कि तुम सब उसके लिए कितना प्रयास करोगे। यह मेरी आशा है कि तुम सब इस मुद्दे तक बड़े उत्साह से पहुंच सको; तुम लोगों को किसी भी कीमत पर इसके साथ अधूरे मन से व्यवहार नहीं करना चाहिए। अब, क्या परमेश्वर के अधिकार को जानना परमेश्वर की सम्पूर्णता को जानने के समान है?

2018-10-18

प्रस्तावना

अनुग्रह, परमेश्वर, पवित्र आत्मा, यीशु, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन
प्रस्तावना

यद्यपि बहुत से लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, किंतु बहुत कम लोग समझते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास करने का अर्थ क्या है, और परमेश्वर के मन के अनुरूप बनने के लिये उन्हें क्या करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि यद्यपि लोग "परमेश्वर" शब्द और "परमेश्वर का कार्य" जैसे वाक्यांश से परिचित हैं, किंतु वे परमेश्वर को नहीं जानते हैं, और उससे भी कम वे उसके कार्य को जानते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि तब वे सभी जो परमेश्वर को नहीं जानते हैं, वे दुविधायुक्त विश्वास रखते हैं।