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2018-11-07

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI

परमेश्वर की पवित्रता (III)

अपनी प्रार्थनाओं को कहने के बाद तुम लोग कैसा महसूस करते हो? (बहुत अधिक रोमांचित एवं द्रवित।) आइए हम अपनी संगति को प्रारम्भ करें। हमने पिछली बार किस विषय पर संगति की थी? (परमेश्वर की पवित्रता।) स्वयं परमेश्वर के किस पहलू से परमेश्वर की पवित्रता सम्बन्धित होती है? क्या यह परमेश्वर के सार से सम्बन्धित होती है? (हाँ।) अतः वास्तव में वह विषय क्या है जो परमेश्वर के सार से सम्बन्धित होता है? क्या यह परमेश्वर की पवित्रता है?

2018-10-31

एक बहुत गंभीर समस्या: विश्वासघात (2)

एक बहुत गंभीर समस्या: विश्वासघात (2)

मनुष्य का स्वभाव मेरे सार से पूर्णतः भिन्न है; ऐसा इसलिए है क्योंकि मनुष्य की भ्रष्ट प्रकृति पूरी तरह से शैतान से उत्पन्न होती है और मनुष्य की प्रकृति को शैतान द्वारा संसाधित और भ्रष्ट किया गया है। अर्थात्, मनुष्य अपनी बुराई और कुरूपता के प्रभाव के अधीन जीवित रहता है। मनुष्य सच्चाई या पवित्र वातावरण की दुनिया में बड़ा नहीं होता है, और इसके अलावा प्रकाश में नहीं रहता है।

2018-10-28

एक बहुत गंभीर समस्या: विश्वासघात (1)

एक बहुत गंभीर समस्या: विश्वासघात (1)

मेरा कार्य पूरा होने ही वाला है। कई वर्ष जो हमने एक साथ बिताए हैं वे अतीत की असहनीय यादें बन गए हैं। मैंने अपने वचनों को दोहराना जारी रखा है और अपने नये कार्य में प्रगति करने से मैं नहीं रुका हूँ। निस्संदेह, मैं जो कार्य करता हूँ उसके प्रत्येक अंश में मेरी सलाह एक आवश्यक घटक है।

2018-10-22

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है I

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है I

परमेश्वर का अधिकार (I)

मेरी पिछली अनेक सभाएँ परमेश्वर के कार्य, परमेश्वर के स्वभाव, और स्वयं परमेश्वर के विषय में थीं। इन सभाओं को सुनने के बाद, क्या तुम लोगों को एहसास होता है कि तुम सबने परमेश्वर के स्वभाव की समझ और ज्ञान को प्राप्त किया है? कितनी बड़ी समझ और ज्ञान को प्राप्त किया है? क्या तुम लोग उसे एक संख्या दे सकते हो? क्या इन सभाओं ने तुम सभी को परमेश्वर की और गहरी समझ दी है?

2018-10-21

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II

परमेश्वर का धर्मी स्वभाव

तुम सब परमेश्वर के अधिकार के बारे में पिछली सभा में सुन चुके हो, अब मैं आश्वस्त हूं कि तुम सब उस मुद्दे पर शब्दों की व्यूह रचना के साथ पूर्ण रूप से सुसज्जित हो गए हो। तुम सब कितना अधिक स्वीकार कर सकते हो, आभास कर सकते और समझ सकते हो यह इस पर निर्भर करता है कि तुम सब उसके लिए कितना प्रयास करोगे। यह मेरी आशा है कि तुम सब इस मुद्दे तक बड़े उत्साह से पहुंच सको; तुम लोगों को किसी भी कीमत पर इसके साथ अधूरे मन से व्यवहार नहीं करना चाहिए। अब, क्या परमेश्वर के अधिकार को जानना परमेश्वर की सम्पूर्णता को जानने के समान है?

2018-10-20

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III

परमेश्वर का अधिकार (II)
आज हम "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है" के विषय पर अपनी सभा को जारी रखेंगे। हम पहले से ही इस विषय पर दो सभाएँ कर चुके हैं, पहला परमेश्वर के अधिकार से सम्बन्धित था, और दूसरा परमेश्वर के धर्मी स्वभाव से सम्बन्धित था। इन दोनों सभाओं को सुनने के पश्चात्, क्या तुम लोगों ने परमेश्वर की पहचान, हैसियत, और हस्ती की नई समझ हासिल की है?