अपने प्रतिदिन के जीवन में तुम प्रार्थना पर बिलकुल ध्यान नहीं देते। लोगों ने प्रार्थना को सदैव नजरअंदाज किया है। अपनी प्रार्थनाओं में वे ऐसे ही इधर-उधर घूमते हैं और ऊपरी तौर पर कार्य करते हैं, और किसी ने भी कभी परमेश्वर के समक्ष पूरी रीति से अपने हृदय को समर्पित नहीं किया है और न ही परमेश्वर से सच्चाई से प्रार्थना की है। लोग परमेश्वर से तभी प्रार्थना करते हैं जब उनके साथ कुछ घटित हो जाता है। इन सारे समयों के दौरान, क्या तुमने कभी सच्चाई के साथ परमेश्वर से प्रार्थना की है? क्या तुमने कभी पीड़ा के आँसुओं को परमेश्वर के सामने बहाया है? क्या तुमने कभी परमेश्वर के सामने स्वयं को पहचाना है? क्या तुमने कभी परमेश्वर के साथ हृदय से हृदय मिलाते हुए प्रार्थना की है? प्रार्थना का अभ्यास धीरे-धीरे किया जाता है: यदि तुम सामान्य रीति से घर पर प्रार्थना नहीं करते हो, तब तुम्हारा कलीसिया में प्रार्थना करने का कोई अर्थ नहीं होगा, और यदि तुम छोटी-छोटी सभाओं में सामान्य रीति से प्रार्थना नहीं करते हो, तो बड़ी-बड़ी सभाओं में प्रार्थना करने में भी असमर्थ होगे। यदि तुम सामान्य रीति से परमेश्वर के निकट नहीं आते या परमेश्वर के वचनों पर मनन नहीं करते हो, तो तुम्हारे पास तब कहने के लिए कुछ भी नहीं होगा जब प्रार्थना का समय होगा - और यदि तुम प्रार्थना करते भी हो, तो बस तुम्हारे होंठ ही हिलते रहेंगे, तुम सच्चाई से प्रार्थना नहीं कर रहे होगे।
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2017-12-07
प्रार्थना की क्रिया के विषय में
अपने प्रतिदिन के जीवन में तुम प्रार्थना पर बिलकुल ध्यान नहीं देते। लोगों ने प्रार्थना को सदैव नजरअंदाज किया है। अपनी प्रार्थनाओं में वे ऐसे ही इधर-उधर घूमते हैं और ऊपरी तौर पर कार्य करते हैं, और किसी ने भी कभी परमेश्वर के समक्ष पूरी रीति से अपने हृदय को समर्पित नहीं किया है और न ही परमेश्वर से सच्चाई से प्रार्थना की है। लोग परमेश्वर से तभी प्रार्थना करते हैं जब उनके साथ कुछ घटित हो जाता है। इन सारे समयों के दौरान, क्या तुमने कभी सच्चाई के साथ परमेश्वर से प्रार्थना की है? क्या तुमने कभी पीड़ा के आँसुओं को परमेश्वर के सामने बहाया है? क्या तुमने कभी परमेश्वर के सामने स्वयं को पहचाना है? क्या तुमने कभी परमेश्वर के साथ हृदय से हृदय मिलाते हुए प्रार्थना की है? प्रार्थना का अभ्यास धीरे-धीरे किया जाता है: यदि तुम सामान्य रीति से घर पर प्रार्थना नहीं करते हो, तब तुम्हारा कलीसिया में प्रार्थना करने का कोई अर्थ नहीं होगा, और यदि तुम छोटी-छोटी सभाओं में सामान्य रीति से प्रार्थना नहीं करते हो, तो बड़ी-बड़ी सभाओं में प्रार्थना करने में भी असमर्थ होगे। यदि तुम सामान्य रीति से परमेश्वर के निकट नहीं आते या परमेश्वर के वचनों पर मनन नहीं करते हो, तो तुम्हारे पास तब कहने के लिए कुछ भी नहीं होगा जब प्रार्थना का समय होगा - और यदि तुम प्रार्थना करते भी हो, तो बस तुम्हारे होंठ ही हिलते रहेंगे, तुम सच्चाई से प्रार्थना नहीं कर रहे होगे।
2017-11-05
तुम लोगों को कार्य समझना होगा; उलझकर इसके पीछे नहीं चलो!
वर्तमान में ऐसे कई लोग हैं जो एक उलझे हुए तरीके से आस्था रखते हैं। तुम लोगों की जिज्ञासा बहुत बड़ी है, अपने आशिषों को प्राप्त करने की तुम लोगों की इच्छा बहुत बड़ी है, और जीवन को आगे बढ़ाने की तुम लोगों की इच्छा बहुत छोटी है। आजकल, यीशु के विश्वासी उत्साह से भरे हुए हैं। यीशु उनका अपने स्वर्गीय घर में स्वागत करने जा रहा है—क्या वे विश्वास नहीं कर सकते? कुछ लोग अपने पूरे जीवन में विश्वासी बने रहते हैं, कुछ लोगों का विश्वास बीस से अधिक वर्षों के लिए बना रहता है, या चालीस या पचास वर्षों के लिए बना रहता है; वे बाइबल पढ़ते हुए कभीपरमेश्वर के पीछे चल रहे हो, और अभी से संघर्ष कर रहे हो और तुम लोगों में धीरज की कमी आ गई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आशीषें प्राप्त करने की तुम लोगों की इच्छा कुछ ज़्यादा ही मज़बूत है। तुम लोगों का इस सच्ची राह पर चलना आशीषें प्राप्त करने की तुम्हारी इच्छा और तुम्हारे जिज्ञासु दिल द्वारा संचालित है। तुम लोगों को कार्य के इस चरण की बहुत समझ नहीं है।
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