सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

2018-08-09

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं"



सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं"


सभी मनुष्य यीशु के सच्चे रूप को देखने और उसके साथ रहने की इच्छा करते हैं। मैं विश्वास करता हूँ कि भाइयों या बहनों में से एक भी ऐसा नहीं है जो कहेगा कि वह यीशु को देखने या उसके साथ रहने की इच्छा नहीं करता है। यीशु को देखने से पहले, अर्थात, देहधारी परमेश्वर को देखने से पहले, संभवत: तुम्हारे भीतर अनेक विचार होंगे, उदाहरण के लिए, यीशु के रूप के बारे में, उसके बोलने के तरीका, उसके जीवन-शैली के बारे में इत्यादि। लेकिन एक बार वास्तव में उसे देख लेने के बाद, तुम्हारे विचार तेजी से बदल जाएँगे। ऐसा क्यों है? क्या तुम लोग जानना चाहते हो? जबकि मनुष्य की सोच और विचारों को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन यह मनुष्य के लिए और बहुत अधिक असहनीय है कि वह मसीह के सार में परिवर्तन करे। तुम लोग मसीह को अविनाशी, एक संत मानते हो, लेकिन कोई उसे एक सामान्य मानव नहीं मानता जो दिव्य सार धारण किये हुए है। इसलिए, अनेक लोग जो दिन-रात परमेश्वर को देखने की लालसा करते हैं, वास्तव में परमेश्वर के शत्रु हैं और परमेश्वर के अनुरूप नहीं हैं। क्या यह मनुष्य की ओर से की गई ग़लती नहीं है? तुम लोग अभी भी यह सोचते हो कि तुम्हारा विश्वास और तुम्हारी निष्ठा ऐसी है कि तुम सब मसीह के रूप को देखने के योग्य हो, परन्तु मैं तुमसे गुहार लगाता हूँ कि तुम अपने आपको और भी अधिक व्यवहारिक चीज़ों से सन्नद्ध कर लो! क्योंकि भूतकाल, वर्तमान, और भविष्य में बहुतेरे जो मसीह के सम्पर्क में आए, वे असफल हो गए हैं और असफल हो जाएँगे; वे सभी फरीसियों की भूमिका निभाते हैं। तुम लोगों की असफलता का कारण क्या है? इसका सटीक कारण यह है कि तुम्हारे विचार में एक प्रशंसनीय परमेश्वर है। परन्तु सत्य ऐसा नहीं जिसकी मनुष्य कामना करता है। न केवल मसीह ऊँचा-विशाल नहीं है, बल्कि वह विषेश रूप से छोटा है; वह न केवल मनुष्य है बल्कि एक सामान्य मनुष्य है; वह न केवल स्वर्ग पर नहीं चढ़ सकता, बल्कि वह पृथ्वी पर भी स्वतन्त्रता से घूम नहीं सकता है। और इसलिए लोग उस के साथ सामान्य मनुष्य जैसा व्यवहार करते हैं; जब वे उसके साथ होते हैं तो बेतकल्लुफ़ी भरा व्यवहार करते हैं, और उसके साथ लापरवाही से बोलते हैं, और तब भी पूरे समय "सच्चे मसीह" के आने का इन्तज़ार करते रहते हैं। जो मसीह पहले ही आ चुका है उसे तुम लोग ऐसा समझते हो कि वह एक साधारण मनुष्य है और उसके वचन को भी साधारण इंसान के वचन मानते हो। इसलिए, तुमने मसीह से कुछ भी प्राप्त नहीं किया है और उसके बजाए प्रकाश में अपनी कुरूपता को पूरी तरह प्रकट कर दिया है। मसीह के सम्पर्क में आने से पहले, तुम्हें शायद विश्वास हो कि तुम्हारा स्वभाव पूरी तरह बदल चुका है, तुम मसीह के निष्ठावान अनुयायी हो, और तुम्हें शायद यह भी विश्वास हो कि तुम मसीह की आशीषों को प्राप्त करने के लिए सबसे ज़्यादा योग्य हो। क्योंकि तुम कई मार्गों पर यात्रा कर चुके हो, बहुत काम कर चुके हो, और बहुत अधिक फल ला चुके हो, अतः अंत में तुम्हीं मुकुट प्राप्त करोगे। फिर भी, एक सच्चाई है जिसे शायद तुम नहीं जानते हो: जब मनुष्य मसीह को देखता है तब उसका भ्रष्ट स्वभाव, विद्रोह और प्रतिरोध का खुलासा हो जाता है, और जिस विद्रोह और प्रतिरोध का खुलासा ऐसे अवसर पर होता है वह किसी अन्य समय की अपेक्षा कहीं ज़्यादा पूर्ण और निश्चित होता है। मसीह मनुष्य का पुत्र है और सामान्य मानवता रखता है जिस कारण मनुष्य न तो उसका सम्मान करता और न ही आदर करता है। चूँकि परमेश्वर देह में रहता है, इस कारण से मनुष्य का विद्रोह पूरी तरह और स्पष्ट रूप से प्रकाश में लाया जाता है। अतः मैं कहता हूँ कि मसीह के आगमन ने मानवजाति के सारे विद्रोह को खोज निकाला है और मानवजाति के स्वभाव को बहुत ही स्पष्ट रूप से दृश्यमान बना दिया है। इसे कहते हैं "लालच देकर एक बाघ को पहाड़ के नीचे ले आना" और "लालच देकर एक भेड़िए को गुफा से बाहर ले आना।" क्या तुम कह सकते हो कि तुम परमेश्वर के प्रति निष्ठावान हो? क्या तुम कह सकते हो कि तुम परमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण आज्ञाकारिता दिखाते हो? क्या तुम कह सकते हैं कि तुम विद्रोही नहीं हो? कुछ लोग कहेंगेः जब भी परमेश्वर मुझे नई परिस्थिति में डालता है, मैं हमेशा आज्ञापालन करता हूँ और कभी शिकायत नहीं करता। इसके अतिरिक्त, मैं परमेश्वर के बारे में कोई धारणा नहीं बनाता हूँ। कुछ कहेंगेः परमेश्वर जो भी काम मुझे सौंपता है, मैं उसे अपनी पूरी योग्यता के साथ करता हूँ और कभी भी लापरवाही नहीं करता। तब मैं तुम लोगों से यह पूछता हूँ: क्या तुम सब मसीह के साथ रहते हुए उसके अनुरूप हो सकते हो? और कितने समय तक तुम सब उसके अनुरूप रहोगे? एक दिन? दो दिन? एक घण्टा? दो घण्टे? हो सकता है तुम्हारा विश्वास उसके अनुरूप हो, परन्तु तुम लोगों के पास अधिक दृढ़ता नहीं है। जब तुम सचमुच में मसीह के साथ रहोगे, तो तुम्हारा दंभ और अहंकार धीरे-धीरे तुम्हारे शब्दों और कार्यों के द्वारा प्रकट होने लगेगा, और इस प्रकार तुम्हारी अत्यधिक इच्छा, अवज्ञाकारी मानसिकता और असंतुष्टि स्वतः ही प्रकट हो जायेगी। आखिरकार, तुम्हारा अहंकार बहुत ज़्यादा बड़ा हो जाएगा, और जब कि तुम मसीह के वैसे ही विरोधी नहीं बन जाते जैसे जल और आग, और तब तुम्हारे स्वभाव का पूरी तरह से खुलासा हो जायेगा। उस समय, तुम्हारी धारणाएँ पर्दे में नहीं रह सकेंगी। तुम्हारी शिकायतें भी, अनायास ही प्रकट हो जाएँगी, और तुम्हारी नीच मानवता का भी पूरी तरह से खुलासा हो जाएगा। फिर भी, तुम लगातार अपने विद्रोहीपन से मुकरते हो। और तुम विश्वास करते हो कि ऐसे मसीह को स्वीकार करना आसान नहीं है और वह मनुष्य के प्रति बहुत अधिक कठोर है, लेकिन अगर वह कोई अधिक दयालु मसीह होता तो तुम पूरी तरह से उसे समर्पित हो जाते। तुम लोग विश्वास करते हो कि तुम्हारे विद्रोह का एक जायज़ कारण है, कि तुम सबने केवल तभी मसीह के विरूद्ध विद्रोह किया जब उसने तुम लोगों को हद से ज़्यादा मजबूर कर दिया। तुम सबने कभी यह एहसास नहीं किया है कि तुम लोग मसीह को परमेश्वर नहीं मानते, न ही तुम्हारे पास उसकी आज्ञा मानने की मंशा है। बल्कि, तुम ढिठाई से आग्रह करते हो कि मसीह तुम्हारे मन के अनुसार काम करे, और यदि वह एक भी कार्य ऐसा करे जो तुम्हारे मन के अनुकूल न तो तुम लोग मान लेते हो कि वह परमेश्वर नहीं मनुष्य है। क्या तुम लोगों में से बहुत से लोग ऐसे नहीं हैं जो उसके साथ इस तरह विवाद करते हैं? आख़िरकार तुम लोग किसमें विश्वास करते हो? और तुम लोग किस तरह से खोजते हो? तुम सब हमेशा मसीह को देखने की कामना करते हो, लेकिन मैं तुम सबसे गुहार लगाता हूँ कि तुम अपने आपको इस तरह ऊँचा न उठाओ; हर कोई मसीह को देख सकता है, परन्तु मैं यह कहता हूँ कि कोई मसीह को देखने के लायक नहीं है। क्योंकि मनुष्य का स्वभाव बुराई, अहंकार और विद्रोह से भरा हुआ है, इस समय तुम मसीह को देखोगे तो, तुम्हारा स्वभाव तुम्हें बर्बाद कर देगा और बेहद तिरस्कृत करेगा। किसी भाई (या बहन) के साथ तुम्हारी संगति शायद तुम्हारे बारे में बहुत कुछ न दिखाए, परन्तु जब तुम मसीह के साथ संगति करते हो तो यह इतना आसान नहीं होता। किसी भी समय, तुम्हारी धारणा जड़ पकड़ सकती है, तुम्हारा अहंकार फूटना शुरू कर सकता है, और तुम्हारे विद्रोह में फल लग सकते हैं। ऐसी मानवता के साथ तुम कैसे मसीह के साथ संगति के काबिल हो सकते हो? क्या तुम वास्तव में उसके साथ प्रत्येक दिन के प्रत्येक पल में परमेश्वर जैसा बर्ताव कर सकते हो? क्या तुम में सचमुच परमेश्वर के प्रति समर्पण की वास्तविकता होगी? तुम सब अपने हृदय में यहोवा के रूप में एक ऊँचे परमेश्वर की आराधना करते हो लेकिन दृश्यमान मसीह को मनुष्य समझते हो। तुम लोगों की समझ बहुत ही हीन है और तुम्हारी मानवता बहुत नीची है! तुम सब सदैव के लिए मसीह को परमेश्वर के रूप में मानने में असमर्थ हो; कभी-कभार ही, जब तुम्हारा मन होता है, तुम परमेश्वर को पकड़ते हो और उसकी आराधना करने लगते हो। इसीलिए मैं कहता हूँ कि तुम लोग परमेश्वर के विश्वासी नहीं हो, बल्कि तुम सभी उनके सहअपराधी हो जो मसीह के विरूद्ध लड़ते हैं। यहाँ तक कि वे मनुष्य भी जो दूसरों के प्रति हमदर्दी दिखाते हैं उन्हें भी प्रतिफल दिया जाता है, फिर भी मसीह, जो तुम्हारे बीच में ऐसा कार्य करता है, उसे मनुष्य के द्वारा प्रेम नहीं किया जाता है, न प्रतिफल दिया जाता है, न ही उसे मनुष्य का समर्पण प्राप्त होता है। क्या यह दिल दुखाने वाली बात नहीं है? ऐसा हो सकता है कि परमेश्वर में तुम्हारे इतने वर्षों के विश्वास में, तुमने कभी किसी को कोसा न हो और न ही कोई बुरा कार्य किया हो, फिर भी मसीह के साथ अपनी संगति में, तुम सच नहीं बोल सकते हो, सच्चाई से कार्य नहीं कर सकते, या मसीह के वचन का पालन नहीं कर सकते हो; तो मैं कहूँगा कि तुम संसार में सबसे अधिक कुटिल और कपटी हो। हो सकता है तुम अपने रिश्तेदारों, मित्रों, पत्नी (या पति), बेटों और बेटियों, और माता पिता के प्रति स्नेहपूर्ण और निष्ठावान हो, और कभी दूसरों का फायदा नहीं उठाया हो, लेकिन अगर तुम मसीह के अनुरूप नहीं हो और उसके साथ तुम्हारा सामंजस्य नहीं है, तो भले ही तुम अपने पड़ोसियों की सहायता के लिए अपना सब कुछ खपा दो या अपने पिता, माता और घरवालों की अच्छी देखभाल की हो, तब मैं कहूँगा कि तुम धूर्त हो, और साथ में चालाक भी हो। बस इसलिए कि तुम दूसरों के साथ अच्छा तालमेल बिठा लेते हो या कुछ अच्छे काम करते हो तो यह न सोचो कि तुम मसीह के अनुरूप हो। क्या तुम यह विश्वास करते हो कि तुम्हारी उदारता स्वर्ग की आशीषों को चुरा सकती है? क्या तुम सोचते हो कि थोड़े-से अच्छे काम कर लेना तुम्हारी आज्ञाकारिता का स्थान ले सकते हैं? तुम लोगों में से कोई भी निपटारा और छंटाई स्वीकार नहीं कर सकता, और सभी को मसीह की सरल मानवता को अंगीकार करने में कठिनाई होती है। फिर भी तुम सब परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता का दावा करते हो। तुम सबका ऐसा विश्वास तुम्हारे ऊपर उचित प्रतिकार लेकर आएगा। काल्पनिक भ्रम में लिप्त होना और मसीह को देखने की चाहत करना बंद कर दो, क्योंकि तुम सभी कद में बहुत छोटे हो, इतने कि तुम लोग उसे देखने के योग्य भी नहीं हो। जब तुम पूरी तरह से अपने विद्रोह को मिटाकर मसीह के साथ साँमजस्य स्थापित कर पाते हो, तभी परमेश्वर स्वाभाविक रूप से तुम्हारे सामने प्रकट होगा। यदि तुम बिना छंटाई या न्याय से गुज़रे परमेश्वर को देखने जाते हो, तब तुम निश्चित तौर पर परमेश्वर के विरोधी बन जाओगे और विनाश तुम्हारी नियति बन जाएगा। मनुष्य का स्वभाव स्वाभाविक रूप से परमेश्वर के प्रति शत्रुतापूर्ण है, क्योंकि सभी मनुष्यों को शैतान के द्वारा पूरी तरह भ्रष्ट कर दिया गया है। यदि कोई भ्रष्ट मनुष्य अपनी भ्रष्ट के मध्य परमेश्वर के साथ संगति करने का प्रयास करे, तो उससे कोई अच्छी चीज़ नहीं उत्पन्न हो सकती; मनुष्य के सारे कार्य और वचन निश्चित तौर पर उसकी भ्रष्टता का खुलासा करेंगे; और जब वह परमेश्वर के साथ जुड़ेगा, तो उसका विद्रोह सभी पहलुओं में प्रकट होगा। मनुष्य अनजाने में मसीह का विरोध करता है, मसीह को धोखा देता है, और मसीह को अस्वीकार करता है; तब मनुष्य और भी ज़्यादा खतरनाक स्थिति में होगा। यदि यह जारी रहता है, तो वह दण्ड का भागी होगा। कुछ लोग यह मान सकते हैं कि यदि परमेश्वर के साथ साहचर्य इतना खतरनाक है, तो बुद्धिमानी होगी कि परमेश्वर से दूर ही रहा जाए। तब, ऐसे लोगों को क्या हासिल होगा? क्या वे परमेश्वर के प्रति निष्ठावान होंगे? वास्तव में, परमेश्वर के साथ संगति बहुत ही कठिन है, परन्तु यह पूरी तरह इसलिए है क्योंकि मनुष्य भ्रष्ट है, इसलिए नहीं कि परमेश्वर मनुष्य के साथ जुड़ नहीं सकता है। तुम लोगों के लिए यह सबसे अच्छा होगा कि तुम सब स्वयं को जानने की सच्चाई पर ज़्यादा प्रयास करो। तुम लोगों ने परमेश्वर की कृपा प्राप्त क्यों नहीं की है? तुम्हारा स्वभाव उसके लिए घिनौना क्यों है? तुम्हारे शब्द उसके अंदर जुगुप्ता क्यों उत्पन्न करते हैं? तुम लोग थोड़ी-सी निष्ठा दिखाते ही खुद ही अपनी तारीफ करने लगते हो और अपने छोटे से बलिदान के लिए प्रतिफल चाहते हो; जब तुम सब थोड़ी-सी आज्ञाकारिता दिखाते हो तो तुम लोग दूसरों को नीची दृष्टि से देखते हो, और कुछ छोटे छोटे-कार्यों को करके तुम लोग परमेश्वर का तिरस्कार करने लग जाते हो। तुम लोग परमेश्वर को स्वीकार करने के बदले धन-संपत्ति, भेंटों और प्रशंसा की अभिलाषा करते हो। एक या दो सिक्के देते हुए भी तुम्हारा हृदय दुखता है; जब तुम लोग दस सिक्के देते हो, तब तुम लोग आशीषों की और दूसरों से अलग दिखने की अभिलाषा करते हो। जैसी तुम्हारी मानवता है उसके बारे में तो बात करना और सुनना भी वास्तव में अपमानजनक है। तुम्हारे शब्दों और कार्यों के बारे में प्रशंसापूर्ण क्या है? वे जो अपने कर्तव्यों को निभाते हैं और वे जो नहीं निभाते; वे जो अगुवाई करते हैं और वे जो अनुसरण करते हैं; वे जो परमेश्वर को ग्रहण करते और वे जो नहीं करते हैं; वे जो दान देते हैं और वे जो नहीं देते; वे जो प्रचार करते हैं और वे जो वचन को ग्रहण करते हैं इत्यादि; इस प्रकार के सभी लोग अपनी ही तारीफ करते हैं। क्या तुम्हें यह हास्यास्पद नहीं लगता है? निश्चित रूप से तुम लोग जानते हो कि तुम सब परमेश्वर पर विश्वास करते हो, फिर भी तुम सभी परमेश्वर के अनुरूप नहीं हो सकते हो। अच्छी तरह से यह जानते हुए कि तुम सब बिल्कुल अयोग्य हो, फिर भी तुम लोग डींग मारते ही रहते हो। क्या तुम्हें महसूस नहीं होता है कि तुम्हारी समझ ऐसी हो गई है कि अब तुम्हारे पास और आत्म-संयम नहीं है? ऐसी समझ के साथ तुम लोग परमेश्वर के साथ संगति करने के काबिल कैसे हो सकते हो? अब क्या तुम लोग इस मकाम पर अपने लिए भयभीत नहीं हो? तुम्हारा स्वभाव पहले ही ऐसा हो गया है कि तुम लोग परमेश्वर के अनुरूप नहीं हो सकते हो। इस बात को देखते हुए, क्या तुम्हारा विश्वास हास्यास्पद नहीं है? क्या तुम्हारा विश्वास बेतुका नहीं है? तुम अपने भविष्य से कैसे निपटोगे? तुम उस मार्ग का चुनाव कैसे करोगे जिस पर तुम्हें चलना है?



2018-08-06

भक्ति का भेद - भाग 2


Hindi Gospel Movie | भक्ति का भेद - भाग 2 | Preaching the Gospel of the Second Coming of 

Lord Jesus



लिन बोएन एक अनुभवी उपदेशक हैं जिन्होंने कई दशकों से प्रभु में विश्वास किया है। जब से उन्होंने अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार किया, तब से पादरियों, एल्डर्स और मसीह विरोधी ताकतों ने उनको दोषी ठहराया, उनका बहिष्कार किया और धार्मिक समुदाय से उनको निष्कासित कर दिया।

2018-08-01

Hindi Praise and Worship Song | "परमेश्वर का प्रेम हमें करीब लाता है" (Male Solo)


Hindi Praise and Worship Song | "परमेश्वर का प्रेम हमें करीब लाता है" (Male Solo)
हालांकि अनगिनत समुद्र और पहाड़ों से जुदा हैं, हम हैं एक लोग, हमारे बीच नहीं कोई सीमा, भले ही विभिन्न रंग की त्वचा है, विभिन्न भाषाएं बोलते हैं। क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बुलाते हैं हमें, परमेश्वर के सिंहासन के सामने हमें लाया गया है।

2018-07-30

Best Hindi Christian Movie | "तड़प" | God Reveals the Mystery of Kingdom of Heaven (Hindi Dubbed)



Best Hindi Christian Movie | "तड़प" | God Reveals the Mystery of Kingdom of Heaven (Hindi Dubbed)


दो हज़ार साल पहले, प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों को वचन दिया था: "मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)।(© BSI)

2018-07-23

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है X सब वस्तुओं के जीवन का स्रोत परमेश्वर है (IV)" (भाग एक)

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है X सब वस्तुओं के जीवन का स्रोत परमेश्वर है (IV)" (भाग एक)


इस वीडियो में परमेश्वर के वचन "वचन देह में प्रकट होता है" पुस्तक से हैं। इस वीडियो की सामग्री:
1.परमेश्वर किस प्रकार आत्मिक संसार पर शासन करता है और उसे चलाता है
1) अविश्वासियों का जीवन और मृत्यु चक्र

2018-07-11

Who Is My Lord | Hindi Christian Short Film "थ्री सेल्फ़ चर्च मेरा छाता है"


Who Is My Lord | Hindi Christian Short Film "थ्री सेल्फ़ चर्च मेरा छाता है"



एक बार, चीनी कम्यूनिस्ट सरकार ने देर रात को एक ही स्थान से सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कलीसिया के कई ईसाइयों को गिरफ्तार कर लिया था। स्थानीय स्‍तर पर इस मामले की वजह से काफी खलबली मच गई थी। इस वजह से तीन—आत्म कलीसिया के सदस्यों के बीच चर्चा होने लगी। कुछ लोग मानते थे कि चमकती पूर्वी बिजली ने चीनी कम्यूनिस्ट सरकार के क्रूर दमन और अत्याचार को सहा है। चमकती पूर्वी बिजली में विश्वास करना बहुत ज्यादा खतरनाक है, और तीन—आत्म कलीसिया में विश्वास करना सबसे सुरक्षित है। उन्हें मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ेगा और वे स्वर्गीय राज्य में प्रवेश करने में सक्षम होंगे। अन्य लोगों का मानना था कि चमकती पूर्वी बिजली का मार्ग निस्संदेह सच्चा मार्ग है, लेकिन वह जिस अत्याचार और गिरफ्तारी का सामना करती है, वह बहुत कष्‍टपूर्ण है। वे सोचते हैं कि अगर विश्‍वास करना ही है तो गुप्‍त रूप से विश्‍वास करना बेहतर होगा। एक बार चीनी कम्यूनिस्ट सरकार गिर जाए, तो वे खुलकर सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास कर सकते हैं। कुछ लोगों ने चमकती पूर्वी बिजली के विषय में खोजबीन करी और इस निष्‍कर्ष पर पंहुचे कि चमकती पूर्वी बिजली के लोग जीवन और मृत्यु की परवाह किए बिना सुसमाचार का प्रचार करते और प्रभु की गवाही देते हैं और परमेश्वर उन लोगों की प्रशंसा करते हैं। वे सोचते हैं कि ऐसे लोग जो तीन—आत्म कलीसिया के अंदर छिपते हैं, वे कायर हैं, जो बिना किसी उद्देश्य के जीवन जीते हैं और ऐसे लोग स्वर्गीय राज्य में प्रवेश करने योग्य नहीं हैं। ... इस गर्मागर्म चर्चा के बाद, क्या हर कोई यह जानने में सक्षम हो पाया कि परमेश्वर किस प्रकार के लोगों की प्रशंसा करते हैं और क्या डरपोक व्यक्ति स्वर्गीय राज्य में प्रवेश कर सकता है?

2018-02-14

Hindi Christian Song | सबकुछ परमेश्वर के हाथ में है



एक बार परमेश्वर ने ऐसा कहा था:
परमेश्वर जो कहता उसके मायने हैं, होकर रहेगा, कोई भी उसे बदल नहीं सकता। वचन चाहे पहले कहे हों या आगे कहे जायेंगे, कोई अंतर नहीं है, वो पूरे होकर रहेंगे, ताकि देख सके हर कोई हर चीज़ जगत की तय करता है परमेश्वर, परमेश्वर, परमेश्वर, परमेश्वर। परमेश्वर के हाथों में क्या नहीं है? जो कहता है परमेश्वर होता वही है, वो होकर रहेगा। परमेश्वर की चाहत को कौन बदल सकता है? परमेश्वर की योजना को बढ़ने से कौन रोक सकता है? हर समय परमेश्वर काम में लगा है। सबकुछ परमेश्वर के हाथ में है। ताकि देख सके हर कोई हर चीज़ जगत की तय करता है परमेश्वर, परमेश्वर, परमेश्वर।

2018-02-05

The Church of Almighty God | 28 मई के झाओयुआन मामले के पीछे का सत्य उजागर हुआ (Hindi)


The Church of Almighty God | 28 मई के झाओयुआन मामले के पीछे का सत्य उजागर हुआ (Hindi)



2014 में, सीसीपी ने घरेलू कलीसियाओं का पूर्ण दमन करने के लिए जनता की राय का आधार बनाने हेतु मनमाने ढंग से शेनडोंग प्रांत में कुख्यात 5/28 झाओयुआन घटना को गढ़ा, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की निंदा और बदनामी करने के लिए विश्व भर में झूठ प्रसारित किया। परिणामस्वरूप, कुछ अनभिज्ञ दलों को, जिन्हें सच्चाई का पता नहीं था, सीसीपी के प्रचार द्वारा धोखा दिया गया था।

2017-12-23

Hindi Christian Worship Song | अनुभव वीडियो "सारी दुनिया तेरी रोशनी की पनाह में आती"



Hindi Christian Worship Song | अनुभव वीडियो "सारी दुनिया तेरी रोशनी की पनाह में आती"


(सारी दुनिया की रोशनी)
दर्द-ओ-ग़म से कराहती इंसानियत को
तेरे आग़ोश में आकर दुलार मिलता है,
तेरी झूलती-सी मज़बूत, फैली बाहें,
तेरी चमकती, मुस्कुराती-सी निगाहें!

2017-12-14


देह और आत्मा का है काम उसी सार का


परमेश्वर के आत्मा का हर एक चीज़ पर अधिकार है। उसके देह में, परमेश्वर का सार है, उसका भी वही अधिकार है। देह में रहकर भी प्रभु, काम कर सकता बहुत है। वो पिता की ख़्वाहिशें करता पूरी। परमेश्वर आत्मा है, वो बचा सकता है इंसानियत को, ऐसा देह में परमेश्वर भी कर सकता है। अपने कामों को प्रभु करता है ख़ुद।

2017-12-11

God Is God | Hindi Christian Music Video"हर इंसान जीता है परमेश्वर की रोशनी में"| Praise and Worship


हर इंसान जीता है परमेश्वर की रोशनी में



उमंग में, उल्लास में अब, परमेश्वर की धर्मिता और पवित्रता फैल गई है पूरे ब्रह्माण्ड में, हर तरफ, और पूरी मानवता के बीच बनी महान। हंसते शहर आसमां के, नाचते धरती के राज्य। कौन है जो ख़ुश न होगा, किसकी आंखें नम न होंगी? अब न है अनबन किसी में, अब न है तकरार कोई, नाम परमेश्वर का ना, बदनाम अब करता है कोई। हर कोई रहता है अब, परमेश्वर की रोशनी में, शांति और प्यार से, रहते हैं मिलके लोग अब।

2017-12-03

लोग अक्सर कहते हैं कि "तूफान बिना चेतावनी के आते हैं और दुर्भाग्य रातों-रात मनुष्य को तबाह कर देता है।"





लोग अक्सर कहते हैं कि "तूफान बिना चेतावनी के आते हैं और दुर्भाग्य रातों-रात मनुष्य को तबाह कर देता है।"

हमारे वर्तमान युग में जब विज्ञान, आधुनिक परिवहन और भौतिक सम्पत्ति का तेजी से विस्तार कर रहा है, हमारे चारों ओर हो रही आपदाएं भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। जब हम समाचार पत्र को खोलते हैं या टीवी को चालू करते हैं, तो मुख्यतौर पर हमें: युद्ध, भूकंप, सुनामी, तूफान, आग, बाढ़, हवाई दुर्घटना, खदान दुर्घटनाएं, सामाजिक अशांति, हिंसक संघर्ष, आतंकवादी हमले आदि देखने को मिलते हैं। हम प्राकृतिक प्रकोप और मानव-निर्मित आपदाओं को देखते हैं। ये आपदाएं अक्सर होती रहती हैं और तेजी से तीव्र होती जा रही हैं। आपदा के यह हमले अपने साथ, पीड़ा, रक्त, अपंगता और मौत लेकर आते हैं। जीवन की अल्‍पता और दुर्बलता पर जोर देते हुए, दुर्भाग्य हर समय हमारे आसपास घटित होते रहते हैं। भविष्य में हमें किस तरह की आपदाओं का सामना करना पड़ेगा, इसका अनुमान लगाने का कोई तरीका नहीं है। इसके अलावा, हम यह भी नहीं जानते कि हमें किस प्रकार की कार्रवाई करनी चाहिए। मानवता के सदस्य के रूप में, इन आपदाओं से मुक्त होने के लिए हमें क्या करना चाहिए? इस कार्यक्रम में, आपको उत्तर मिल जायेगा। आपको परमेश्वर का बचाव प्राप्त करने का एकमात्र मार्ग मिल जायेगा जिससे कि आप आसन्‍न आपदाओं से बच सकें।

2017-12-02

हर राष्ट्र व्यावहारिक परमेश्वर की आराधना करता है। चीनी सुसमाचार गायक-मण्डली 19वाँ प्रदर्शन




तारों भरी, निस्तब्ध और शांत रात्रि के आकाश तले, ईसाईयों का एक समूह उत्सुकता से उद्धारकर्ता की वापसी की प्रतीक्षा करते हुए और सुखद संगीत की धुन में गाता और नाचता है। जब वे खुशी का समाचार सुनते हैं कि "परमेश्वर वापस आ गया है" और "परमेश्वर ने नए वचन कहे हैं", वे आश्चर्यचकित और उत्साहित हो जाते हैं। वे सोचते हैं: "परमेश्वर वापस आ गया है? वह पहले ही प्रकट हो चुका है?!" जिज्ञासा और अनिश्चितता के साथ, एक के बाद एक, वे परमेश्वर के नए वचनों को खोजने की यात्रा में कदम रखते हैं। अपनी कर्मठ खोज में, कुछ लोग सवाल कर रहे हैं जबकि अन्य इसे सादगी से स्वीकार करते हैं। कुछ लोग टीका-टिप्पणी के बिना देखते हैं, जबकि अन्य लोग सुझाव देते हैं और बाइबल में उत्तर ढूँढ़ते हैं - वे देखते हैं लेकिन अंत में यह व्यर्थ है ...। जब वे निराश हो जाते हैं, ठीक तभी एक गवाह उनके लिए राज्य का युग बाइबल की एक प्रति लाता है, और वे पुस्तक में दिए गए वचनों से गहराई तक आकर्षित हो जाते हैं। यह किस प्रकार की पुस्तक है? क्या उन्होंने वास्तव में उन नए वचनों को पाया है जो परमेश्वर ने उस पुस्तक में कहे हैं? क्या उन्होंने परमेश्वर के प्रकटन का स्वागत किया है?

2017-11-30

क्या तुम हो अपने लक्ष्य के प्रति आगाह


Hindi Christian Song | क्या तुम हो अपने लक्ष्य के प्रति आगाह | Preach the Gospel to All Creation


 I
क्या तुम हो अपने लक्ष्य से अवगत? क्या तुम अपने बोझ, फ़र्ज़, और कर्तव्यों से अवगत हो? कहाँ है तुम्हारा वो ऐतिहासिक कर्तव्य का अहसास? कैसे बनोगे अगले युग के मालिक तुम? क्या तुम्हारी स्वामित्व की समझ मज़बूत है? सभी का मालिक होने का अर्थ कैसे समझाओगे? क्या वो सारे जीवों का मालिक है या फिर इस पूरे भौतिक संसार का मुखिया? कार्य के अगले कदम की क्या है तुम्हारी योजना? जाने कितने हैं तरसते चरवाही के लिए तुम्हारी? क्या तुम्हें नहीं लगता ये कार्य अतिभारी?

2017-11-12

मार्ग... (1)

अपने जीवनकाल में कोई भी व्यक्ति नहीं जानता है कि वह किस तरह की बाधाओं का सामना करने जा रहा है, न ही उसे पता होता है कि वह किस प्रकार के शुद्धिकरण के अधीन होगा। कुछ के लिए यह उनके काम में है, कुछ के लिए यह उनके भविष्य की संभावनाओं में है, कुछ के लिए यह उनके मूल परिवार में है, और कुछ के लिए यह उनके विवाह में है। लेकिन उनमें जो भिन्न है वह है कि आज हम, लोगों का यह समूह, परमेश्वर के वचन के लिए पीड़ित हैं। अर्थात्, जैसे कि कोई जो परमेश्वर की सेवा करता हो, हमने उसमें विश्वास करने के मार्ग पर बाधा का सामना किया हो, और यही वह रास्ता है जो सभी विश्वासी लेते हैं और यह हम सभी के पैरों के नीचे की राह है। यह इसी बिंदु से है कि हम परमेश्वर पर विश्वास करने के अपने मार्ग को आधिकारिक रूप से आरंभ करते हैं, मनुष्य के रूप में अपने जीवन पर से पर्दा उठाते हैं, और जीवन के सही मार्ग पर प्रवेश करते हैं।

2017-10-18

एक निर्मित प्राणी के दिल की आवाज़

Hindi Christian Song "एक निर्मित प्राणी के दिल की आवाज़" | A Song of Praise From Christians' Hearts


मैंने चाहा रोना, कोई जगह नहीं थी सही। मैंने चाहा गाना, मिला नहीं कोई गीत। मैंने चाहा एक निर्मित प्राणी के प्रेम का करना इज़हार। ऊपर-नीचे ढूंढा, पर कोई वचन न बता पाए, न बता पाए मुझे होता जो महसूस। व्यावहारिक और सच्चे परमेश्वर, मेरे भीतर के प्रेम। स्तुति में आपकी मैं उठाऊँ अपने हाथ, हूँ ख़ुश कि आप आए इस दुनिया में।

2017-10-13

बाइबल के विषय में (4)


बहुत से लोग यह विश्वास करते हैं कि बाइबल को समझना और उसकी व्याख्या करने में समर्थ होना सच्चे मार्ग की खोज करने के समान है—परन्तु वास्तव में, क्या ये चीज़ें इतनी सरल हैं? बाइबल की सच्चाई को कोई नहीं जानता हैः कि यह परमेश्वर के कार्य के ऐतिहासिक अभिलेख, और परमेश्वर के कार्य के पिछले दो चरणों की गवाही से बढ़कर और कुछ नहीं है, और तुम्हें परमेश्वर के कार्य के लक्ष्यों की कोई समझ नहीं देता है। जिस किसी ने भी बाइबल को पढ़ा है वह जानता है कि यह व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के दौरान परमेश्वर के कार्य के दो चरणों को प्रलेखित करता है। पुराना विधान इस्राएल के इतिहास और सृष्टि के समय से लेकर व्यवस्था के अंत तक यहोवा के कार्य का कालक्रम से अभिलेखन करता है। नया विधान पृथ्वी पर यीशु के कार्य को, जो चार सुसमाचारों में है, और साथ की पौलुस के कार्य को भी अभिलिखित करता है; क्या वे ऐतिहासिक अभिलेख नहीं हैं? आज अतीत की चीज़ों को सामने लाने से वे इतिहास बन जाती हैं, और इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितनी सच्ची और यथार्थ हैं, वे तब भी इतिहास होती हैं—और इतिहास वर्तमान को संबोधित नहीं कर सकता है। क्योंकि परमेश्वर पीछे मुड़कर इतिहास को नहीं देखता है! और इसलिए, यदि तुम केवल बाइबल को ही समझते हो, और उस कार्य को नहीं समझते हो जिसे परमेश्वर आज करने का इरादा करता है, और यदि तुम परमेश्वर पर विश्वास करते हो और पवित्र आत्मा के कार्य की खोज नहीं करते हो, तो तुम यह नहीं समझते हो कि परमेश्वर को खोजने का आशय क्या है?

2017-10-12

परमेश्वर स्वयं के लिए इंसान की सच्ची आस्था और प्रेम पाने की करता है आशा


परमेश्वर स्वयं के लिए इंसान की सच्ची आस्था और प्रेम पाने की करता है आशा


परमेश्वर करता है आशा, जब तुम समझो,
उसके सच्चे रूप को, तुम हो जाओगे उनके और करीब; सच्चे दिल से समझोगे उनके प्रेम को, इंसानियत के लिए उनकी चिंता की करोगे सच्ची तारीफ़; अपने दिल को सौंप दोगे उनके हाथ में, न रहेगा शंका न होगा कोई संदेह उनके बारे में, इंसान के लिए वो सब कुछ करते हैं, लेकिन चुपके से, उनकी सच्चाई, निष्ठा और प्यार मिलता है इंसान को चुपके से। वह अपने किये पर कभी नहीं पछताता है, न इंसान से मांगता है नेकी का बदला और न करता है उनसे कुछ मिलने की आशा। वह जो कुछ भी करता उसमें सच्ची आस्था और प्यार ही उसकी इकलौती मुराद है।

2017-10-08

परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है


मानवजाति का प्रबंधन करने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि मानवजाति को बचाने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है। इन चरणों में संसार की रचना का कार्य समाविष्ट नहीं है, बल्कि ये व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग और राज्य के युग के कार्य के तीन चरण हैं। संसार की रचना करने का कार्य, सम्पूर्ण मानवजाति को उत्पन्न करने का कार्य था। यह मानवजाति को बचाने का कार्य नहीं था, और मानवजाति को बचाने के कार्य से कोई सम्बन्ध नहीं रखता है, क्योंकि जब संसार की रचना हुई थी तब मानवजाति शैतान के द्वारा भ्रष्ट नहीं की गई थी, और इसलिए मानवजाति के उद्धार का कार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। मानवजाति को बचाने का कार्य केवल मानवजाति के भ्रष्ट होने पर ही आरंभ हुआ, और इसलिए मानवजाति का प्रबंधन करने का कार्य भी मानवजाति के भ्रष्ट हो जाने पर ही आरम्भ हुआ। दूसरे शब्दों में, मनुष्य के प्रबंधन का परमेश्वर का कार्य मनुष्य को बचाने के कार्य के परिणामस्वरूप आरंभ हुआ, और संसार की रचना के कार्य से उत्पन्न नहीं हुआ। मानवजाति के प्रबंधन का कोई भी कार्य मानवजाति के भ्रष्ट स्वभाव के बिना नहीं हो सकता था, और इसलिए मानवजाति के प्रबंधन के कार्य में चार चरणों या चार युगों के बजाए तीन भागों का समावेश है।

2017-10-05

ब्रह्मांड और उसकी विशालता करे परमेश्वर की जय


ब्रह्मांड और उसकी विशालता करे परमेश्वर की जय

ऐ...गीत हैं कई और नृत्य हैं बहुत खूबसूरत, ब्रह्मांड और पृथ्वी के कोने बन जाते हैं एक व्याकुल सागर। ऐ...जन्नत है नई और पृथ्वी है नई। ब्रह्मांड की विशालता परिपूर्ण है जयकारों से, चीखते और लगाते छलांग हम ख़ुशी से। पहाड़ जुड़े हैं पहाड़ों से और समुन्दर जुड़े समुन्दरों से, हम सभी भाईयों और बहनों के दिल जुड़े एक दूसरे से। बिना रुके हम करते हैं परमेश्वर की जय। उनके बनाए प्राणी करते परमेश्वर से प्रेम, झुकाते हैं ख़ुशी से सिर सामने उसके सिंहासन के और करते उसकी आराधना। सिय्योन में परमेश्वर ने ख़ुद की प्रकट, अपनी धार्मिकता और पवित्रता। परमेश्वर के सभी इंसान चमकते ख़ुशी से, बिना रुके करते परमेश्वर की जय।