I
जानना चाहोगे फरीसी, यीशु के ख़िलाफ़ क्यों थे?
जानना चाहोगे उनका सार-तत्व क्या है?
जानना चाहोगे फरीसी, यीशु के ख़िलाफ़ क्यों थे?
जानना चाहोगे उनका सार-तत्व क्या है?
बस उनके ख़्यालों में था मसीहा,
यकीं करते थे, आयेगा वो इक दिन, खोजते नहीं ज़िंदगी की सच्चाई।
आज भी उन्हें हैं इंतज़ार उसका,
जानते नहीं मगर ज़िंदगी या सच का पथ क्या है।
II
II
जानना चाहोगे क्यों पा ना सके वो नादान दुआएं प्रभु की?
जानते हो क्यों ना कर सके दीदार वो मसीहा का?
वो करते थे ख़िलाफ़त यीशु की,
इस बात से बेख़बर कि वो दिखलाता था राह सच की,
ना समझे मसीहा को या पवित्र आत्मा के काम को,
ना देखा था कभी उसको, ना रहे थे साथ कभी।
खोखले श्रद्धा सुमन अर्पित किये उन्होंने उसके नाम पर,
उसका विरोध करने के लिए चुकायी कीमत सारी।
फ़रीसी मग़रूर थे, आज्ञाकारी ना थे, और उनका नज़रिया हठीला भी था:
प्रभु के वचनों में गहराई थी, ऊंचा अधिकार था,
मगर शर्त थी वो झुकेंगे तभी, जब परमेश्वर को मसीहा कहा जायेगा।
मगर इन विश्वासों का उपहास होना चाहिये,
ऐसे प्रलापों को ख़्याली उड़ान कहना चाहिये।
III
III
परमेश्वर पूछता है बस इतनी-सी बात:
जो ग़लती फ़रीसी ने की, तुम तो ना दोहराओगे?
नहीं जानते हो यीशु को तुम,
क्या सच और जीवन के पथ को तुम पहचान पाओगे,
पवित्र आत्मा के कामों को देखो, उसी की रोशनी पे आगे बढ़ो?
क्या वचन दे सकते हो, करोगे ना मसीह का विरोध तुम?
अगर नहीं, तो जीवन नहीं, मौत के कगार पर हो तुम।
"वचन देह में प्रकट होता है" से
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चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
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