मेरा आत्मा लगातार मेरी वाणी बोलता और कथन कहता है—तुम लोगों में से कितने मुझे जान सकते हैं? मुझे क्यों अवश्य देह बन कर तुम लोगों के बीच आना होगा? यह एक बड़ा रहस्य है। तुम लोग मेरे बारे में सोचते हो और पूरे दिन मेरे लिए लालायित रहते हो, और तुम लोग मेरी स्तुति करते हो, मेरा आनंद लेते हो और हर दिन मुझे खाते और पीते हो, और फिर भी आज मुझे नहीं जानते हो। कितने अज्ञानी और अंधे हो! तुम लोग मुझे कितना कम जानते हो! तुम लोगों में से कितने मेरी इच्छा के प्रति विचारशील हो सकते हैं? अर्थात्, तुम लोगों में से कितने मुझे जान सकते हो?
अनुग्रह के युग में, यूहन्ना ने यीशु का मार्ग प्रशस्त किया। वह स्वयं परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकता था और उसने मात्र मनुष्य का कर्तव्य पूरा किया था। यद्यपि यूहन्ना प्रभु का अग्रदूत था, फिर भी वह परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता था; वह आत्मा के द्वारा उपयोग किया गया मात्र एक मनुष्य था। यीशु के बपतिस्मा के बाद "पवित्र आत्मा कबूतर के समान उस पर उतरा।" तब उसने अपना काम आरम्भ किया, अर्थात्, उसने मसीह की सेवकाई करना प्रारम्भ किया। इसीलिए उसने परमेश्वर की पहचान को अपनाया, क्योंकि वह परमेश्वर से आया था।