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2019-02-12

परमेश्वर के सबसे नए कार्य को जानो और परमेश्वर के चरण-चिन्हों का अनुसरण करो

अब, तुम लोगों को परमेश्वर की प्रजा बनने की कोशिश करनी है, और तुम सब पूरी प्रविष्टि को सही राह पर शुरू करोगे। परमेश्वर के लोग होने का अर्थ है राज्य के युग में प्रवेश करना। आज, तुम सब आधिकारिक तौर पर राज्य के प्रशिक्षण में प्रवेश करना शुरू कर रहे हो, और तुम लोगों के भावी जीवन अब पहले की तरह सुस्त और लापरवाह नहीं रहेंगे; ऐसे जीवन परमेश्वर द्वारा अपेक्षित मानकों को प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं।

2019-02-11

8. यह कैसे समझें कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है?

I. परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए

I. परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए

8. यह कैसे समझें कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"आदि में वचन था, और वचन परमेश्‍वर के साथ था, और वचन परमेश्‍वर था। यही आदि में परमेश्‍वर के साथ था" (युहन्ना 1:1-2)।
"और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा" (युहन्ना 1:14)।
"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता" (युहन्ना 14:6)।

2019-02-10

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?

I. परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए

I. परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ; और जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा" (इब्रानियों 9:28)।

2019-02-09

6. यह क्यों कहा जाता है कि भ्रष्ट मानव जाति को देह बने परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है?

6. यह क्यों कहा जाता है कि भ्रष्ट मानव जाति को देह बने परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है?

I. परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए

6. यह क्यों कहा जाता है कि भ्रष्ट मानव जाति को देह बने परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है?
(परमेश्वर के वचन का चुना गया अवतरण)

भ्रष्ट मानवजाति को देह धारण किए हुए परमेश्वर के उद्धार की अत्यधिक आवश्यकता है

परमेश्वर ने देहधारण किया क्योंकि शैतान का आत्मा, या कोई अभौतिक चीज़ उसके कार्य का विषय नहीं है, परन्तु मनुष्य है, जो शरीर से बना है और जिसे शैतान के द्वारा भ्रष्ट किया गया है। निश्चित रूप से चूँकि मनुष्य की देह को भ्रष्ट किया गया है इसलिए परमेश्वर ने हाड़-मांस के मनुष्य को अपने कार्य का विषय बनाया है; इसके अतिरिक्त, क्योंकि मनुष्य भ्रष्टता का विषय है, उसने मनुष्य को अपने उद्धार के कार्य के समस्त चरणों के दौरान अपने कार्य का एकमात्र विषय बनाया है। मनुष्य एक नश्वर प्राणी है, और वह हाड़-मांस एवं लहू से बना हुआ है, और एकमात्र परमेश्वर ही है जो मनुष्य को बचा सकता है।

2019-02-07

सत्रहवें कथन की व्याख्या

वास्तव में, परमेश्वर के मुँह के सभी वचन ऐसी बातें हैं जिन्हें मनुष्य नहीं जानते हैं; वे सभी ऐसी भाषा में हैं जिसे लोगों ने नहीं सुना है, इसलिए इसे इस तरह से प्रस्तुत किया जा सकता है: परमेश्वर के वचन स्वयं एक रहस्य हैं। अधिकांश लोग गलत ढंग से विश्वास करते हैं, कि केवल ऐसी चीजें जिन्हें लोग अवधारणात्मक रूप से प्राप्त नहीं कर सकते हैं, स्वर्ग के मामले जिनके बारे में परमेश्वर अब लोगों को जानने की अनुमति देता है या परमेश्वर आध्यात्मिक दुनिया में जो करता है उसकी सच्चाई, रहस्य हैं। यह दर्शाता है कि लोग परमेश्वर के सभी वचनों को एक समान नहीं मानते हैं, न ही वे उन्हें सँजो कर रखते हैं, किन्तु वे उस बात पर ध्यान केन्द्रित करते हैं जिसे वे "रहस्य" मानते हैं।

2019-02-06

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?

I. परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए


I. परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?
देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"मैं तो पानी से अथवा, में तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूँ, परन्तु जो मेरे बाद आने वाला है, वह मुझ से शक्‍तिशाली है; मैं उसकी जूती उठाने के योग्य नहीं। वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा" (मत्ती 3:11)।

2019-02-05

सोलहवें कथन की व्याख्या

लोगों के लिए, परमेश्वर बहुत महान, बहुत अतिशय, बहुत अद्भुत, बहुत अथाह है; उनकी मज़रों में, परमेश्वर के वचन ऊँचाई पर उदय होते हैं, और दुनिया की एक महान कृति के रूप में प्रकट होते हैं। किन्तु क्योंकि लोगों की बहुत सारी असफलताएँ हैं, और उनके मन बहुत सरल हैं, और इसके अलावा, क्योंकि स्वीकार करने की उनकी क्षमताएँ बहुत कम है, चाहे परमेश्वर अपने वचनों को कितना ही स्पष्ट रूप से व्यक्त करे, इसलिए वे बैठे और अचल रह जाते हैं, मानो कि मानसिक बीमारी से पीड़ित हों। जब वे भूखे हो हैं, तो उनकी समझ में नहीं आता है कि उन्हें अवश्य खाना चाहिए, जब वे प्यासे होते हैं, तो उनकी समझ में नहीं आता है कि उन्हें क्या अवश्य पीना चाहिए; वे केवल चीखते और चिल्लाते रहते हैं, मानो कि उनकी आत्माओं की गहराई में अवर्णनीय कठिनाई हो, फिर भी वे इसके बारे में बात करने में असमर्थ हों।

2019-02-04

4. अंतिम दिनों में अपने न्याय के कार्य को करने के लिए परमेश्वर मनुष्य का उपयोग क्यों नहीं करता, इसके बजाय उसे देह-धारण कर, स्वयं इसे क्यों करना पड़ता है?

I. परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए

4. अंतिम दिनों में अपने न्याय के कार्य को करने के लिए परमेश्वर मनुष्य का उपयोग क्यों नहीं करता, इसके बजाय उसे देह-धारण कर, स्वयं इसे क्यों करना पड़ता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"जैसा पिता मरे हुओं को उठाता और जिलाता है, वैसा ही पुत्र भी जिन्हें चाहता है उन्हें जिलाता है" (युहन्ना 5:22)।
"वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिये कि वह मनुष्य का पुत्र है" (युहन्ना 5:27)।

2019-02-03

पंद्रहवें कथन की व्याख्या

परमेश्वर और मनुष्य के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि परमेश्वर के वचन हमेशा सटीक सच्चाई बताते हैं, और कुछ भी छुपा नहीं है। इसलिए परमेश्वर के स्वभाव के इस पहलू को आज के प्रथम वचनों में देखा जा सकता है। एक पहलू यह है कि वे मनुष्य के सच्चे रंगों को उजागर करते हैं, और एक अन्य पहलू यह है कि वे स्पष्ट रूप से परमेश्वर के स्वभाव को प्रकट करते हैं।

2019-01-31

चौदहवें कथन की व्याख्या

मनुष्य ने परमेश्वर के वचन से कभी भी कुछ नहीं सीखा है। इसके बजाय, मनुष्य परमेश्वर के वचन की केवल सतह को ही सँजोए रखता है, किन्तु इसके सही अर्थ को नहीं जानता है। इसलिए, यद्यपि अधिकांश लोग परमेश्वर के वचन से प्रेम करते हैं, फिर भी परमेश्वर कहता है कि वे वास्तव में इसे सँजोए नहीं रखते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर के दृष्टिकोण में, भले ही उसका वचन एक मूल्यवान वस्तु है, फिर भी लोगों ने इसकी सच्ची मिठास को नहीं चखा है।

2019-01-30

तेरहवें कथन की व्याख्या

परमेश्वर बड़े लाल अजगर के सभी वंशजों से नफ़रत करता है, और वह बड़े लाल अजगर से तो और भी ज़्यादा नफ़रत करता है। यह परमेश्वर के हृदय के भीतर कोप की जड़ है। ऐसा लगता है कि परमेश्वर उन सभी चीज़ों को आग और गंधक की झील में डालकर पूरी तरह भस्म कर देना चाहता है जो बड़े लाल अजगर से संबंधित हैं।

2019-01-26

बारहवें कथन की विवेचना

जब सभी लोग सुनते हैं, जब सब कुछ नवीकृत और पुनर्जीवित हो जाता है, जब हर व्यक्ति बिना आशंका के परमेश्वर को समर्पित हो जाता है, और परमेश्वर के बोझ की भारी ज़िम्मेदारी को अपने कंधे पर उठाने के लिए तैयार होता है—तभी ऐसा होता है कि पूर्वी बिजली आगे बढ़ती है, पूर्व से पश्चिम तक सभी को रोशन करते हुए, इस प्रकाश के आगमन के साथ पृथ्वी पर सभी को भयभीत करते हुए; और इस समय, परमेश्वर एक बार फिर अपना नया जीवन शुरू करता है। कहने का अर्थ है इस समय परमेश्वर पृथ्वी पर अपना नया काम शुरू करता है, पूरे विश्व के लोगों के प्रति यह घोषणा करते हुए कि "जब पूर्व से बिजली चमकती है—जो कि निश्चित रूप से वही क्षण भी होता है जब मैं बोलना आरम्भ करता हूँ—जिस क्षण बिजली प्रकट होती है, तो संपूर्ण नभमण्डल जगमगा उठता है, और सभी तारे रूपान्तरित होना शुरू कर देते हैं।" तो, कब वह समय होता है जब बिजली पूर्व दिशा से निकल कर आगे बढ़ती है? जब स्वर्ग पर अंधेरा छाने लगता है और पृथ्वी धुंधली हो जाती है, और ऐसा तब होता है जब परमेश्वर दुनिया से अपना चेहरा छिपा लेता है, और उस क्षण जब आकाश के नीचे सब कुछ एक शक्तिशाली तूफान से घिरने वाला होता है।

2019-01-20

परमेश्वर द्वारा मनुष्य को इस्तेमाल करने के विषय में

ऐसे लोगों के अतिरिक्त जिन्हें पवित्र आत्मा का निर्देश और अगुवाई प्राप्त है, कोई भी स्वतंत्र रूप से जीवन जीने में सक्षम नहीं है, क्योंकि उन्हें परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल किए गए लोगों की सेवकाई और उनके मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, परमेश्वर हर पीढ़ी में अलग-अलग लोगों को खड़ा करता है, जो उसके कार्य के लिए कलीसिया के मार्गदर्शन के लिए व्यस्त और कार्यरत रहते हैं। कहने का अर्थ यह है कि परमेश्वर का कार्य उन लोगों द्वारा होना चाहिए जिन पर वह अनुग्रह करता है और जिनको वह प्रमाणित करता है; पवित्र आत्मा को कार्य करने के लिए उनके भीतर के उस भाग का इस्तेमाल करना चाहिए जो उपयोग के योग्य है, और पवित्र आत्मा द्वारा सिद्ध किए जाने से वे परमेश्वर के द्वारा इस्तेमाल करने के लिए उपयुक्त बनाए जाते हैं।

2019-01-19

परिशिष्ट 2: द्वितीय कथन

जब लोग व्यवहारिक परमेश्वर को देखते हैं, जब वे व्यक्तिगत रूप से अपना जीवन उसके साथ जीते हैं, उसके साथ-साथ चलते हैं और परमेश्वर स्वयं के साथ ही रहते हैं, तो वे इतने सालों से, अपने दिल में पल रही उत्सुकता को दरकिनार कर देते हैं। परमेश्वर के जिस ज्ञान के बारे में पहले कहा गया था, वह केवल पहला कदम है; हालांकि लोगों को परमेश्वर का ज्ञान है, लेकिन फिर भी उनके हृदय में लगातार संदेह बना रहता है: परमेश्वर कहाँ से आया? क्या परमेश्वर खाता है?

2018-06-25

(1) - क्या सत्ताधारियों के आदेशों का पालन करना परमेश्वर के आदेशों के पालन की तरह ही है?



बाइबल में पौलुस ने कहा, "हर एक व्यक्‍ति शासकीय अधिकारियों के अधीन रहे, क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं जो परमेश्‍वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्‍वर के ठहराए हुए हैं। इसलिये जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्‍वर की विधि का सामना करता है, और सामना करनेवाले दण्ड पाएँगे" (रोमियों 13: 1-2) हम विश्वासियों को सत्ताधारियों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए? क्या सत्ताधारियों के आदेशों का पालन करना परमेश्वर के आदेशों के पालन की तरह ही है?